थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को कोरोना में क्यों है सावधानी की जरूरत? जानें थैलेसीमिया पर कैसे असर डालता है कोरोना

अगर आपका बच्‍चा भी थैलेसीम‍िया का श‍िकार है तो जानें कोव‍िड में इस बीमारी पर क्‍या प्रभाव पड़ सकता है और उससे कैसे बचाव करना है
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थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को कोरोना में क्यों है सावधानी की जरूरत? जानें थैलेसीमिया पर कैसे असर डालता है कोरोना


थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को कोरोना में क्यों है सावधानी की जरूरत? भारत में कई बच्‍चे थैलेसीम‍िया के श‍िकार हैं। ये दो तरह का होता है। पहला माइनस और दूसरा मेजर। ज‍िन बच्‍चों को माइनर थैलेसीम‍िया है उनका स्‍वास्‍थ्‍य काफी हद तक ठीक रहता है वहीं ज‍िन बच्‍चों को मेजर थैलेसीम‍िया होता है उन्‍हें लगभग हर 21 द‍िनों में कम से कम एक यून‍िट खून की जरूरत होती है, जो उन्‍हें चढ़ाया जाता है। अगर आंकड़ों की बात करें तो भारत में थैलेसीम‍िया से पीड़‍ित बच्‍चों की संख्‍या आपको ज्‍यादा म‍िलेगी। भारत में करीब एक से डेढ़ लाख बच्‍चे इस बीमारी से पीड़ित हैं। बीते एक साल में थैलेसीम‍िया से पीड़‍ित कई बच्‍चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कोव‍िड के चलते ब्‍लड बैंकों में ब्‍लड की कमी है, इसके साथ ही कोव‍िड के कारण थैलेसीम‍िया पीड़‍ित बच्‍चों के शरीर को और कई खतरों ने घेर रखा है, इस समय उनका खास ख्‍याल रखने की जरूरत है। चल‍िए जानते हैं थैलेसीम‍िया पर क्‍या असर डाल सकता है कोरोना। ज्‍यादा जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के केयर इंस्‍टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फ‍िजिश‍ियन डॉ सीमा यादव से बात की। 

thalassemia in kids

क्‍या थैलेसीम‍िया से पीड़‍ित बच्‍चों को कोव‍िड का ज्‍यादा खतरा है? (Kids with thalassemia are at greater risk of corona)

थैलेसीम‍िया से पीड़‍ित बच्‍चों को खासकर बड़ों के मुकाबले कोव‍िड होने का ज्‍यादा र‍िस्‍क है। ज‍िन बच्‍चों को थैलेसीम‍िया है और उन्‍हें कोरोना हो जाता है तो इस स्‍थ‍ित‍ि में परेशानी बढ़ सकती है। बच्‍चों में हार्ट फेल‍ियर, हाइपरटेंशन या डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। ज‍िन बच्‍चों को थैलेसीम‍िया है और उनको बुखार आए डॉक्‍टर की सलाह पर तुरंत दवा देना शुरू कर दें। कोश‍िश करें क‍ि बुखार जल्‍द से जल्‍द उतर जाए नहीं तो बैक्‍टीर‍ियल इंफेक्‍शन का खतरा बढ़ सकता है ज‍िसके ल‍िए डॉक्‍टर एंटीबॉडीज देते हैं।

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थैलेसीम‍िया से पीड़‍ित बच्‍चों को कोरोला काल में ब्‍लड चढ़वाना खतरा तो नहीं? (Blood trasnfusion during corona pandemic is safe or not)

अभी तक ऐसा कोई केस नहीं म‍िला है जि‍समें कोरोना वायरस खून चढ़ने से एक से दूसरे बॉडी में आया हो। थैलेसीम‍िया पीड़‍ित बच्‍चे को आप कोरोना काल में खून चढ़वा सकते हैं पर साफ-सफाई और सोशल ड‍िस्‍टेंस‍िंग का ध्‍यान रखते हुए ही ब्‍लड चढ़वाएं। ऐसे अस्‍पताल में जाने से बचें जहां कोव‍िड मरीजों का इलाज होता हो। इसके साथ ही ब्‍लड का इंतजाम भी पहले ही चेक कर लें क्‍योंक‍ि इन द‍िनों ब्‍लड बैंकों में ब्‍लड की कमी देखी जा रही है। 

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थैलेसीम‍िया से पीड़‍ित बच्‍चों के लि‍ए कोव‍िड में क्‍या र‍िस्‍क है? (Risks for thalassemia's young patients during covid)

  • ब्‍लड चढ़वाते समय कोव‍िड न‍ियमों का पालन न करने से कोव‍िड का खतरा हो सकता है, इस बात पर गौर करें क‍ि अस्‍पताल स्‍टाफ क‍िसी तरह की लापरवाही न बरते। 
  • थैलेसीम‍िया के मरीजों के बॉडी में आयरन के ओवरलोड से ऑक्‍सीडेट‍िव स्‍ट्रेस बढ़ता है इससे इम्‍यून‍िटी कमजोर हो सकती है, इससे बचने के ल‍िए एंटीऑक्‍सीडेंट थैरेपी दी जाती है। 
  • थैलेसीम‍िया के मरीजों में गंभीर लीवर ड‍िसीज का खतरा भी रहता है जो कोव‍िड में एक गंभीर व‍िषय है, ऐसे मरीजों को कोव‍िड होने पर जान खतरे में पड़ सकती है। 
  • थैलेसीम‍िया से पीड़‍ित मरीजों को द‍िल की बीमारी और डायबिटीज का खतरा भी रहता है ज‍िसके चलते कोव‍िड उनकी बॉडी को जल्‍दी पकड़ सकता है। 

कोव‍िड से बचाव ही थैलेसीम‍िया से पीड़‍ित बच्‍चों के ल‍िए सही उपाय है। कोश‍िश करें क‍ि ऐसे मरीजों का खानपान या बाक‍ि काम में ज्‍यादा लोग हाथ न लगाएं, ऐसे मरीजों को घर में भी हर समय मास्‍क लगाकर रहना चाह‍िए ताक‍ि उन्‍हें क‍िसी भी तरह से वायरस अपनी चपेट में न ले सके। इसके साथ ही घर में सोशल ड‍िस्‍टेंस‍िंग का पालन भी करें। 

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