फिलहाल पूरा देश कोरोनावायरस की चपेट में है, जो देश के लिए इस वक्त सबसे बड़ा संकंट है। लेकिन वहीं दूसरी ओर एक और संकट समाने आया है, जहां एक ट्विटर थ्रेड ने थैलेसीमिया रोगियों के लिए एक गंभीर चिकित्सा स्थिति पैदा कर दी है। थैलेसीमिया एक खून से जुड़ी बीमारी है, जिसमें थैलेसीमिया से पीडि़त व्यक्ति को हर 15 से 20 दिनों के अंतराल में खून चढ़ाना पड़ता है। लेकिन फिलहाल कुछ थैलेसीमिया के मरीज लखनऊ के संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SGPGI) में ट्रांसफ्यूजन के लिए हो रहे परेशान हैं। SGPGI एक ऐसा केंद्र है, जिसमें न केवल राज्य बल्कि पूरे भारत से मरीज आते हैं।
क्या है थैलेसीमिया?
थैलेसीमिया एक आनुवंशिक बल्ड डिसऑर्डर है, जिसमें थैलेसीमिया से पीडि़त व्यक्ति को जिंदा रहने के लिए आजीवन नियमित रूप से खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है। इसमें रोगी को आमतौर पर हर दो से तीन हफ्ते की बीच खून चढ़ाना जरूरी होता है। भारत में थैलेसीमिया के हजारों लाखों लोग है। हाल में SGPGI के साथ पंजीकृत रोगियों के हालिया ट्वीट ने थैलेसीमिया के लिए सेवा प्राप्त करने में कठिनाई का संकेत दिया।
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यहां उन लोगों के कुछ ट्वीट हैं, जो थैलेसीमिया से पीडि़त हैं और फिलहाल SGPGI में खून चढ़ाने में असमर्थ हैं।
I'm a #thalassemic patient and there are 5000 other patients who need blood transfusion every 15 day or 21 days. This figure is only for Lucknow patients. If we count outstation also then the figures are going to cross 20,000. We all are registered patients of #SGPGI since
— Pooja.M1102 (@PoojaMani1102) April 28, 2020
आखिर थैलेसीमिया पीडि़तों को खून चढ़ाने में क्यो हो रही है मुश्किल?
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पूरा देश और दुनिया इस समय कोरोनावायरस की जंग लड़ रहे हैं। ऐसे में SGPGI को कोरोनावायरस मरीजों के इलाज वालें हॉस्पिटल में बदल दिया गया है। हेड डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल जेनेटिक्स डॉ. शुभा फड़के ने स्पष्ट किया, "अब जब हॉस्पिटल में COVID-19 का ट्रीटमेंट किया जा रहा है , तो ऐसे में नॉन-कोरोनोवायरस पेसेंट के लिए अपने सभी भवनों को पुनर्गठित करना पड़ा है, जिन्होंने पिछले सप्ताह में चुनौतियों का सामना किया था।
डॉ. फड़के ने कहा कि थैलेसीमिया के रोगियों में संक्रमण का खतरा होता है और यह देखा गया है कि कोरोनावायरस कोमोर्डीडिटी का रोगियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वह कहती है कि इसलिए हम सलाह देते हैं कि जब तक हॉस्पिटल में कोरोनावायरस रोगियों का इलाज चल रहा है, तब तक थैलेसीमिया रोगी खून चढ़ाने के लिए अन्य छोटे केंद्रों में जाएं, जहां भीड़ होने की संभावना कम है। यही बात हम मरीजों को बताने की कोशिश कर रहे हैं।
SGPGI में आने वाले मरीजों को अब पहले कोरोनोवायरस की जांच करवानी होगी। डॉक्टर ने कहा कि अस्पताल गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों वाले लोगों के लिए परिसर के बाहर भी खून चढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव, लव अग्रवाल ने 21 अप्रैल, 2020 को घोषणा की, सभी अस्पतालों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन जारी रहेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ। हर्षवर्धन ने सभी राज्यों को लिखा है और उनसे ब्लड बैंकों में रक्त की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा है। विशेष रूप से ब्लड डिसऑर्डर जैसे थैलेसीमिया और हीमोफिलिया, जिसमें नियमित रूप से खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है, सभी अस्पतालों में जारी रहेगा।
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कोरोनावायरस के समय थैलासीमिया रोगी रहें अधिक सर्तक
कोरोनावायरस के समय थैलासीमिया रोगियों को सर्तक रहने की जरूरत है क्योंकि अगर किन्हीं हालात में उन्हें समय खून नहीं मिलता तो रोगियों में एनीमिया की स्थिति बन जाती है और इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ सकता है।
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