
थैलेसीमिया एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर (genetic blood disorder) है, जिसमें पीड़ित का शरीर पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन नहीं बना पाता। इस समस्या के कारण थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों में एनीमिया, थकावट, कमजोरी, सांस लेने में दिक्कत और कई बार उनके जीवन के लिए खतरा भी बढ़ जाता है। यह बीमारी अक्सर माता-पिता से बच्चे में ट्रांसफर होती है, जब दोनों में थैलेसीमिया का जीन मौजूद होता है। आज के समय में भी लोगों के बीच थैलेसीमिया को लेकर कम जानकारी मौजूद है, जिस कारण लोग इस बीमारी से पीड़ित लोगों से दूरी बना लेते हैं। इसलिए, हर साल 8 मई को वर्ल्ड थैलेसीमिया डे के रूप में मनाया जाता है, तो आइए जानते हैं इस साल की थीम, महत्व और इतिहास के बारे में-
वर्ल्ड थैलेसीमिया डे 2025 थीम
हर साल 8 मई को वर्ल्ड थैलेसीमिया डे मनाया जाता है। यह दिन थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों को हौंसला देने, समाज में इसके प्रति जागरुकता बढ़ाने और बेहतर इलाज के लिए लोगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जाता है। हर साल इस दिन की अलग-अलग थीम होती है, जिसे लेकर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं साल 2025 में इस दिन की थीम है- "थैलेसीमिया के लिए एक साथ: समुदायों को एकजुट करना, मरीजों को प्राथमिकता देना"। इस थीम के साथ #WeAre1 और #PatientsFirst जैसे नारों के जरिए दुनिया भर में थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों को एकजुट किया जा रहा है।
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विश्व थैलेसीमिया दिवस का इतिहास
विश्व थैलेसीमिया दिवस की शुरुआत साल 1994 में थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन (TIF) के अध्यक्ष और संस्थापक पैनोस एंगलेजोस द्वारा की गई थी। उन्होने यह दिन अपने बेटे जॉर्ज की याद में मनाने का फैसला किया था, जो थैलेसीमिया की बीमारी से जूझते हुए अपनी लाइफ संघर्ष के साथ गुजार रहा था। इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों के साथ होने वाले गलत व्यवहार को सामने लाना और वैश्विक स्तर पर इसके खिलाफ नीति, रिसर्च और समर्थन को बढ़ावा देना है।
वर्ल्ड थैलेसीमिया डे का महत्व
विश्व थैलेसीमिया डे केवल याद रखने वाला दिन नहीं है, यह कार्रवाई का दिन नहीं है, यह कार्रवाई और आशा का भी प्रतीक है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य थैलेसीमिया के बारे में आम जनता में जागरूकता फैलाना, सभी थैलेसीमिया मरीजों को हाई क्वालिटी की स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने, लोगों में जेनेटिक जांच की महत्व के बारे में जानकारी देने और सरकारों को थैलेसीमिया स्क्रीनिंग, इलाज और समर्थन से संबंधित योजनाएं लागू करने के लिए प्ररित करना है। आज के समय में दुनिया के कई देश थैलेसीमिया स्क्रीनिंग, शिक्षा कार्यक्रम, और सहायता सेवाएं नीति का हिस्सा बन चुकी हैं। इसलिए, यह दिन हमें ये याद दिलाता है कि थैलेसीमिया मरीजों को समाज से अलग करके नहीं, बल्कि साथ लेकर चलने की जरूरत है।
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थैलेसीमिया की रोकथाम कैसे करें?
थैलेसीमिया का इलाज आज के समय में भी अभी संभव नहीं है, लेकिन इसके रोकथाम के लिए कुछ उपायों को किया जा सकता है-
- जनेटिक टेस्ट- शादी से पहले या फैमिली प्लानिंग करने से पहले माता-पिता की जांच करवाना चाहिए, ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि उनमें थैलेसीमिया का जीन तो नहीं है।
- डिलीवरी से पहले जांच- प्रेग्नेंसी के दौरान भ्रूण की जांच से थैलेसीमिया का पता लगाया जा सकता है।
- प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस- इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के साथ प्रयोग की जाने वाली तकनीक है, जो यह तय करती है कि कंसीव करने के लिए हेल्दी भ्रूण को ही चुना जाए।
- सार्वजनिक जागरूकता- समाज को थैलेसीमिया के कारण, असर और रोकथाम के बारे में शिक्षित करना इसकी रोकथाम के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है।
निष्कर्ष
वर्ल्ड थैलेसीमिया डे 2025 की थीम हमें यह याद दिलाती है कि मरीजों को न सिर्फ इलाज की जरूरत, बल्कि समझदारी, सहयोग और सम्मान की भी बहुत जरूरत है।
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