Respiratory Syncytial Virus Disease in Hindi: बीते दिनों हुए कई अध्ययन और शोध में यह पाया गया है कि पांच साल तक की उम्र के बच्चों में रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (RSV) या आरएसवी वायरस का खतरा बना रहता है। दरअसल यह समस्या सबसे पहले ब्रिटेन में देखने को मिली थी जिसकी वजह से ब्रिटेन में साल 2019 में 1 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो गयी थी। भारत में भी आरएसवी वायरस के तमाम मामलों में अलग-अलग अस्पतालों में दर्ज किये गए हैं। इस वायरस के संक्रमण को लेकर यह कहा जा रहा है कि यह संक्रमण सबसे ज्यादा उन बच्चों में होता है जो बोतल से दूध पीते हैं। आरएसवी वायरस संक्रमण होने पर बच्चों में फेफड़ों की सूजन सांस लेने से जुड़ी गंभीर समस्या होती है।
क्या है आरएसवी वायरस?- What is RSV Virus?
आरएसवी वायरस दरअसल एक तरह का श्वसन तंत्र से जुड़ा संक्रमण है, जो सबसे ज्यादा 5 साल तक के बच्चों में देखा जाता है। एससीपीएम हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ शेख जफर के मुताबिक इस संक्रमण की वजह से बच्चों में निमोनिया और ब्रोंकियोलाइटिस के लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे बच्चे जो जन्म के बाद से ही बोतल से दूध पीते हैं, उनमें इस संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। गंभीर रूप से संक्रमित होने पर मरीज की जान भी जा सकती है।
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आरएसवी वायरस इन्फेक्शन के कारण- RSV Virus Infection Causes in Hindi
RSV वायरस इन्फेक्शन के प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं-
- फेफड़ों से जुड़ी बीमारी के कारण
- कैंसर या कीमोथेरेपी की वजह से
- कमजोर इम्यूनिटी के कारण
- मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के कारण
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आरएसवी वायरस इन्फेक्शन के लक्षण- RSV Virus Infection Symptoms in Hindi
आरएसवी वायरस इन्फेक्शन होने पर ज्यादातर बच्चों में बुखार, गले में दर्द, घबराहट और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं होती हैं। बच्चों में आरएसवी संक्रमण होने पर स्किन का रंग भी नीला पड़ जाता है। आरएसवी वायरस संक्रमण होने पर ये लक्षण प्रमुखता से दिखाई देते हैं-
- खांसी, बुखार और जुकाम के लक्षण
- गले में दर्द और खराश
- घबराहट और सांस लेने में परेशानी
- सिरदर्द
- स्किन के रंग में बदलाव
आरएसवी संक्रमण का इलाज- RSV Infection Treatment in Hindi
आरएसवी वायरस संक्रमण का अभी तक कोई इलाज नहीं मौजूद है। इस संक्रमण को लेकर वैज्ञानिक अभी भी शोध कर रहे हैं। संक्रमित बच्चों के इलाज में डॉक्टर लक्षणों को कम करने के लिए दवाएं देते हैं। वैज्ञानिक और सरकारें अभी भी आरएसवी वायरस संक्रमण से लोगों का जीवन बचाने के लिए रिसर्च कर रही हैं।
(Image Courtesy: Freepik.com)
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