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बच्‍चों के फेफड़ों में इन्‍फेक्‍शन का कारण बनता है रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस, जानें बचाव के उपाय

Respiratory Syncytial Virus: रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस बच्‍चों के फेफड़े और श्वसन तंत्र को प्रभाव‍ित करता है। जानते हैं इसके बारे में।  
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बच्‍चों के फेफड़ों में इन्‍फेक्‍शन का कारण बनता है रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस, जानें बचाव के उपाय

Respiratory Syncytial Virus in Child: कोरोना के लक्षणों जैसा एक और संक्रमण है ज‍िसे रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस कहा जाता है। रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस से पीड़ि‍त व्‍यक्‍त‍ि को छूने या हाथ म‍िलाने से भी यह संक्रमण फैल सकता है। रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस बच्‍चों से लेकर वयस्‍कों तक को प्रभाव‍ित कर सकता है। रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस की समस्‍या बच्‍चों के फेफड़े और श्वसन तंत्र को प्रभाव‍ित करता है। इसल‍िए इससे बचाव के उपाय जरूर जान लें। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के केयर इंस्‍टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फ‍िजिश‍ियन डॉ सीमा यादव से बात की।  

respiratory syncytial virus

रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस क्‍या है?- What is Respiratory Syncytial Virus

रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस को आरएसवी (RSV) भी कहा जाता है। रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस होने पर फेफड़े और श्वसन तंत्र में इन्‍फेक्‍शन होता है। रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस होने पर खांसी, जुकाम, नाक बहना, बुखार और गले में खराश जैसे लक्षण नजर आते हैं। रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस के कारण ब्रोंकाइट‍िस और न‍िमोन‍िया जैसे बीमार‍ियां हो सकती हैं। यह संक्रमण ज्‍यादातर 2 से 6 साल के कम उम्र के बच्चों को प्रभाव‍ित करता है। 

इसे भी पढ़ें- बच्‍चों में न‍िमोन‍िया क्‍यों होता है? जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय

बच्‍चों को रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस से कैसे बचाएं?- Respiratory Syncytial Virus Prevention Tips

इस संक्रमण से बचाव जरूरी है क्‍योंक‍ि इससे इन्‍फेक्‍शन से पूरे विश्व में हर पांच में से एक बच्चे की मौत हुई है। रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस से बचने के उपाय कुछ इस प्रकार है-  

  • बच्‍चों के हाथों को साफ रखें। 20 सेकेंड्स तक हाथों को साबुन और पानी से साफ करें। 
  • अगर आप बच्‍चे को बाहर लेकर जा रहे हैं, तो ख्‍याल रखें क‍ि बच्‍चा खांसते या छींकते समय मुंह कवर करे।  
  • कोई बीमार व्‍यक्‍त‍ि है, तो उसे बच्‍चे से दूर रखें। 
  • बच्‍चे को साल में एक बार फ्लू वैक्‍सीन दें, इससे इन्‍फेक्‍शन से बचाव होगा।
  • बच्‍चों को हेल्‍दी डाइट दें और खाने में व‍िटाम‍िन-सी, व‍िटाम‍िन-ए जैसे पोषक तत्‍वों को शाम‍िल करें। 
  • अगर बच्‍चे को खांसी, सांस लेने में परेशानी, बुखार या अन्‍य असामान्‍य लक्षण नजर आते हैं, तो डॉक्‍टर की सलाह लेना न भूलें। 

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