Rectal Bleeding Causes In Kids In Hindi: आमतौर पर मल से खून (Rectal Bleeding) आने की शिकायत वयस्कों में अधिक देखी जाती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनकी जीवनशैली काफी स्थिर हो गई है। फिजिकल एक्टिविटी पूरी तरह बंद हो गई और खानपान में भी अनहेल्दी विकल्प ज्यादा शामिल हो गए हैं। जबकि, जो लोग हेल्दी डाइट फॉलो करते हैं और नियमित रूप से एक्सरसाइज या वर्कआउट करते हैं, उन्हें पाचन से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं। इसीलिए, माना जाता है कि बच्चों के मल से खून आने की शिकायत कम देखी जाती है। लेकिन, पिछले कुछ सालों में देखने में आया है कि बच्चे भी वयस्कों की ही तरह इस समस्या की चपेट में आ रहे हैं। सामान्यतः जिन बच्चों को बवासीर है, उन्हें मल से खून आने की शिकायत होती है। हालांकि, बच्चों में मल से खून आने (Bacche Ke Mal Mein Khoon Aana) के कई अन्य कारण हो सकते हैं। इस लेख में उन्हीं कारणों के बारे में जानेंगे। साथ ही, जानेंगे कि आखिर पेरेंट्स ऐसा क्या करें, ताकि बच्चों को इस समस्या से छुटकारा मिल सके। इस बारे में हमने मुंबई के खारघर स्थित मदरहुड हॉस्पिटल्स में कंसल्टेंट- बाल रोग विशेषज्ञ और नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. अमित पी घावड़े से बात की।
बच्चों में मल से खून आने के कारण- Rectal Bleeding In Children Causes
फिजिकल एक्टिविटी कम होना
आजकल बच्चे मोबाइल फोन में अपना ज्यादा समय बिताते हैं। ऐसे में उनकी फिजिकल एक्टिविटी पूरी तरह बंद हो गई है। जब शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं, तो वयस्कों की ही तरह बच्चों को भी कब्ज की समस्या होने लगती है। जब कब्ज गंभीर चरण में पहुंच जाता है, तो अक्सर मल त्याग करने के दौरान बच्चों को अधिक दबाव बनाना पड़ता है, जिस वजह से खून निकल जाता है।
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फास्ट फूड का सेवन अधिक करना
आजकल बच्चों घर का बना खाना कम खाते हैं। वहीं, उन्हें बाहर का खाना यानी फास्ट फूड, स्ट्रीट फूड आदि खाने में रुचि ज्यादा रहती है। इस तरह की डाइट लेने के कारण बच्चों को पर्याप्त फाइबर नहीं मिल पाता है। फाइबर युक्त आहार की कमी के कारण बच्चों को न सिर्फ पाचन से जुड़ी समस्या हो जाती है, बल्कि कब्ज भी हो जाता है। इस तरह की डाइट लेने या स्पाइसी फूड अधिक खाने के कारण भी मल से खून आने की शिकायत हो सकती है।
घंटों टॉयलेट में बैठे रहना
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जो बच्चे लंबे समय तक टॉयलेट सीट पर बैठे रहते हैं, उन्हें बवासीर की शिकायत हो सकती है। सवाल है, ऐसा क्यों होता है? विशेषज्ञों की मानें, तो जो बच्चे 10 मिनट से ज्यादा समय तक टॉयेट सीट पर बैठे रहते हैं, उन बच्चों के पेल्विक एरिया में ब्लड जमा हो जाता है यानी ब्लड फ्लो बाधित होने लगता है। ऐसे में बच्चों को बवासीर हो सकता है, जिससे मल त्याग प्रक्रिया के दौरान खून भी निकल सकता है।
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लंबे समय तक बीमार रहने पर
विशेषज्ञों की मानें, तो कई बार बच्चे जब लंबे समय तक बीमार रहते हैं, तो उन्हें बवासीर हो सकता है या मल त्याग प्रक्रिया के दौरान ब्लीडिंग हो सकती है। दरअसल, जब बच्चे बीमार रहते हैं, तो ऐसे में उनके पेट में ब्लड फ्लो बाधित होने लगता है। इससे मल त्याग करने की प्रक्रिया पर निगेटिव असर पड़ता है, जो कि बाद में चलकर बवासीर जैसी समस्या में बदल जाती है।
आंत में संक्रमण होना
अगर बच्चे की बड़ी आंत में संक्रमण है, तो भी उन्हें मल त्याग करते समय ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है। ऐसा खासकर तब होता है, जब संक्रमण मलाशय द्वार तक फैल जाता है। वहीं, अगर किसी बच्चे को कोलोन कैंसर है, तो भी रेक्टल ब्लीडिंग हो सकती है। इस तरह की कंडीशन होने पर पेरेंट्स को जरा भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और बच्चे का इलाज करवाना चाहिए।
मल में खून आने की समस्या को कैसे रोकें?- How Do You Treat Rectal Bleeding In Children In Hindi
अगर आपके बच्चे को मल में खून आने की समस्या है, तो इस स्थिति की अनदेखी न करें। बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं और उचित ट्रीटमेंट करवाएं। इसके अलावा, कुछ उपाय भी अपना सकते हैं, जैसे-
- बच्चे को हेल्दी चीजें खाने को दें। डाइट में फाइबर युक्त फूड शामिल करें और उन्हें ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह दें। इससे कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।
- बच्चों को जंक फूड, फास्ट फूड और कोल्ड ड्रिंक से दूर रखें। इसके बजाय, घर का बना खाना ही दें। फल और सब्जियां खाने के लिए प्रोत्साहित करें।
- बच्चे को फिजिकल एक्टिविटी के लिए मोटिवेट करें। इससे कब्ज की समस्या अपने आप कम होने लगेगी।
- बच्चे को गैजेट आदि से दूर रखें, ताकि फ्री टाइम में वह शारीरिक और मानसिक रूप सक्रिय रहे। इससे पाचन संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं।
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