Poshan Pakhwada 2025: बच्चों और महिलाओं में कुपोषण को दूर करने पर होगी चर्चा, जानें अहम बातें

Poshan Pakhwada 2025: इस साल 8 से 15 अप्रैल तक पोषण पखवाड़ा मनाया जाता है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों और मांओं को बेहतर पोषण देना, टेक्नोलॉजी के जरिए स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है।
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Poshan Pakhwada 2025: बच्चों और महिलाओं में कुपोषण को दूर करने पर होगी चर्चा, जानें अहम बातें


Poshan Pakhwada 2025: भारत आज टेक्नोलॉजी और आधुनिकता की दौड़ में बहुत आगे चल रहा है। चंद्रयान से लेकर मोबाइल ऐप बनाने तक हम भारतीय दुनिया के कई देशों से बहुत आगे है। लेकिन इसके बावजूद भारत में आज भी महिलाओं और बच्चों में कुपोषण एक गंभीर समस्या है। एक मां और बच्चे को कुपोषण से बचाने और उन्हें पोषित करने के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा साल 2018 में पोषण अभियान की शुरुआत की गई।

इस अभियान का एक हिस्सा है पोषण पखवाड़ा। इस साल 8 से 15 अप्रैल तक पोषण पखवाड़ा मनाया जाता है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों और मांओं को बेहतर पोषण देना, टेक्नोलॉजी के जरिए जुड़ाव बढ़ाना, मोटापे और थायराइड जैसी बीमारी को चुनौती देना है।

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पोषण पखवाड़ा से जुड़ी अहम बातें

1. आंगनवाड़ी गतिविधियां : इस पखवाड़े में देश के विभिन्न हिस्सों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता किस तरह के बच्चों के कुपोषण से लड़ने में मदद कर सकते हैं, उसका ग्रोथ चार्ट में कितनी बढ़ोतरी है, इस विषय पर चर्चा होगी।

2. स्कूल और कॉलेज कार्यक्रम : इसमें पोस्टर, निबंध और भाषण प्रतियोगिता, पौष्टिक टिफिन दिवस और विभिन्न प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन होगा।

3. 1000 दिन की जानकारी : इस कार्यक्रम (Poshan Pakhwada 2025) के तहत अस्पताल, स्कूल और विभिन्न स्तर पर कई तरह के कार्यक्रमों के जरिए इस बात की जानकारी दी जाएगी कि बच्चों के लिए 1000 दिन क्यों महत्वपूर्ण होते हैं। इसमें बच्चों के गर्भधारण और 2 साल की उम्र तक के समय को शामिल किया गया है।

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बच्चों के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं 1000 दिन

हर बच्चे का जीवन एक बीज की तरह होता है। अगर शुरुआत में सही देखभाल और पोषण मिले, तो वह मजबूत, स्वस्थ और सशक्त वृक्ष बनता है। ठीक उसी तरह, जीवन के पहले 1000 दिन गर्भधारण से लेकर शिशु के दो वर्ष की आयु तक बच्चे का विकास बहुत महत्व रखता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे के दिमाग का लगभग 80% विकास पहले दो वर्षों में हो जाता है। इस समय दिए गए पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, आयरन, ओमेगा-3 फैटी एसिड आदि मस्तिष्क के न्यूरॉन्स को मजबूत बनाते हैं। यदि इस समय कुपोषण होता है, तो इसका असर बच्चे की सीखने की क्षमता, ध्यान केंद्रित करने की शक्ति और व्यवहार पर पड़ता है।

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1000 दिन की शुरुआत गर्भधारण से होती है, यानी मां के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति सीधे बच्चे के स्वास्थ्य से जुड़ी होती है। यही कारण है गर्भधारण के पहले दिन से महिलाओं को प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम और मिनरल्स से युक्त आहार का सेवन करने की सलाह दी जाती है। यदि मां कुपोषित है तो बच्चे का वजन कम हो सकता है, समय से पहले जन्म हो सकता है या फिर मां और बच्चे दोनों को आजीवन किसी अन्य प्रकार की परेशानी हो सकती है।

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निष्कर्ष

पोषण पखवाड़ा 2025 केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक जन-जन का अभियान है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत का हर नागरिक स्वस्थ, सशक्त और कुपोषण से मुक्त हो। यदि हम सभी मिलकर इस प्रयास में भाग लें, तो "संपूर्ण कुपोषण मुक्त भारत" का सपना जल्द ही साकार हो सकता है।

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