Early Arthritis का संकेत है हड्डियों से आवाज आना, विशेषज्ञ से जानें ऑस्टियोअर्थराइटिस से जुड़ी सभी बातें

हड्डियों के जोड़ों में लुब्रिकेंट की कमी प्रारंभिक गठिया का संकेत मान सकते हैं पर ये कब गंभीर हो जाती है, इस पर हमने डॉ. अरुण से बात की।
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Early Arthritis का संकेत है हड्डियों से  आवाज आना, विशेषज्ञ से जानें ऑस्टियोअर्थराइटिस से जुड़ी सभी बातें


 हड्डियों से जुड़ी प्रारंभिक परेशानियों को अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं। जैसे कि हड्डियों से कट-कट की आवाज आना, जिसे मेडिकल टर्म में 'क्रेपिटस' कहते हैं। दरअसल देसी भाषा में कहें, तो लोग इसे घुटने का घिस जाना कहते हैं, जब कि ये बात सिर्फ घुटने को लेकर नहीं है। शरीर के किसी भी हड्डी से, मांसपेशियों के टेंडन या लिगामेंट्स में रहने वाले द्रवों के बीच गैप आने पर हवा के नन्हें बुलबुले बनते हैं, जो उठने-बैठने या हड्डियों के मोड़ने पर आवाज करते हैं। वहीं जब ये 30 या 40 से कम उम्र के लोगों में होता है, तो इसे हमें अर्थराइटिस यानी कि गठिया का ही एक प्रारंभिक संकेत समझना चाहिए। हड्डी से जुडे इस पूरे विषय को समझने के लिए आज 'ऑनली माई हेल्थ' ने डॉ. अरुण आशीष पाण्डे से भी बात की, जो कि एक ऑरथोपेडिक (हड्डी रोग विशेषज्ञ) डॉक्टर हैं। 

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डॉ. अरुण आशीष पाण्डे की मानें, तो जिन लोगों को ये परेशानी लगातार रहती है, तो उन्हें ये हड्डियों के जोड़ों में लुब्रिकेंट की कमी का संकेत हो सकती है। वहीं इसे प्रारंभिक गठिया का भी संकेत मान सकते है। इस समस्या के सबसे आसान कारण को समझें, तो ये कैल्शियम की कमी के कारण होती हैं, इसलिए शरीर में कैल्शियम को पूरा करने के लिए कैल्शियम युक्त चीजों का सेवन करना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ इसके कुछ गंभीर पहलू भी हैं। उन गंभीर चीजों को समझने के लिए हमें आस्टियोअर्थराइटिस और इसके विभिन्न स्टेज को समझना होगा।

क्या है ऑस्टियोअर्थराइटिस?

घुटने में गठिया का सबसे आम रूप ऑस्टियोअर्थराइटिस ही है। ये गठिया ज्यादातर 50 वर्ष की उम्र के लोगों में होता है पर आज ये कम उम्र के लोगों में भी बढ़ रहा है। पुराने ऑस्टियोअर्थराइटिस में, घुटने के जोड़ में उपास्थि धीरे-धीरे दूर हो जाती है और उनके बीच में गैप आ जाता है। जैसा कि उपास्थि दूर हो जाती है, यह भुरभुरा और खुरदरा हो जाता है, और हड्डियों के बीच की सुरक्षात्मक जगह कम हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप हड्डी पर हड्डी रगड़ सकती है, और दर्दनाक हड्डी स्पर्स का उत्पादन कर सकती है। ऑस्टियोअर्थराइटिस धीरे-धीरे विकसित होता है और इसके कारण होने वाला दर्द समय के साथ बिगड़ता जाता है। वहीं महिलाओं में इसके सभी लक्षणों को समझना भी बेहद जरूरी है।

मेनोपॉज के बाद वाली महिलाओं में ऑस्टियोअर्थराइटिस

दरअसल मेनोपॉज तक आते-आते महिलाओं में हड्डियों के सिरों पर लचीले ऊतकों की संख्या कम हो जाती है। घुटनों के जोड़ों पर मौजूद कार्टिलेज धीरे-धीरे खत्म हो जाता है। फिर ये आस्टियोअर्थराइटिस का कारण बन जाता है। ऐसे में घुटनों की हड्डियों में दर्द रह सकता है और कभी-कभी ये इतना बढ़ जाता है कि चलने-फिरने में परेशानी हो जाती है। 

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इसे भी पढ़ें : आस्‍टियो और रयूमेटायड अर्थराइटिस से कैसे निपटें

कम उम्र की लड़कियों में

अगर किसी भी कम उम्र की लड़कियों के उठने-बैठने में ये परेशानी हो रहूी है तो उन्हें इसे लेकर पहले से ही सावनधान हो जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि ये प्रारंभिक गठिया का कारण हो सकता है। जैसे ही क्षतिग्रस्त घुटने का जोड़ गति करता है इससे टूटने या चटकने जैसी आवाजें आती हैं, जिसे घुटने की चरचराहट कहते हैं। यह आवाजें घुटने में अक्सर होती हैं और आमतौर पर दर्द नहीं देतीं है। ऐसे में कैल्शियम का इंटेक बढ़ाएं और शुरू से अपने हड्डियों का ख्याल रखें।

ऑस्टियोअर्थराइटिस के 4 ग्रेड होते हैं, जिसे हम इसके अलग-अलग स्टेज भी समझ सकते हैं।

डॉ. अरुण आशीष पाण्डे की मानें, तो इसका 4 ग्रेड है

ग्रेड -1 अर्ली अर्थराइटिस (Early Arthritis)

  • -इसमें व्यक्ति को सीढ़ी ऊपर चढ़ने में परेशानी होती है।
  • -एक्स-रे में सब सामान्य होता है पर अक्सर हड्डियों में खिंचाव रहता है।
  • -हड्डियों से आवाज आना

ग्रेड -2 बड्डियों का गैप बढ़ जाना

  • -इसे घुटने का घिसना भी कहते हैं।
  • -जोड़ों में अचानक से दर्द रहना और फिर ठीक हो जाना।
  • -खिंचाव महसूस होना।

Watch Video: जैसे जैसे घुटने जवाब देने लगते हैं, चलना-फिरना, उठना-बैठना, यहां तक कि बिस्तर से उठ पाना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में नी रिप्लेसमैंट यानी घुटनों का प्रत्यारोपण एक विकल्प के तौर पर मौजूद है।

ग्रेड -3 घुटनों में हमेशा दर्द रहना

  • -इसे दौरान ऊपर की सारी स्थियां लंबे समय तक रहने लगती है।
  • -लिगमेंट्स और टेंडेंन्स से जुड़ूी परेशानियां बढ़ने लगती हैं।
  • -विटामिन डी-3 की भारी कमी हो जाना।

ग्रेड - 4 लेट अर्थराइटिस (Late Arthritis)

  • -इसमें हड्डियां टेढ़ी हो जाती हैं।
  • -हड्डियों में विकृतियां आने लगती हैं।
  • -एक्सट्रा बोन्स बढ़ने लगते हैं या बोन्स बढ़ जाते हैं।
  • -घुटना सहिल पूरे पैर में सूजन रहती है।

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अर्थराइटिस से बचावा के उपाय

डॉ. अरुण की मानें, तो हड्डियों के स्वास्थ्य का हमें बचपन से ख्याल रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ चाहे-अनचाहे इनकी स्थितियां खराब होती ही हैं। ऐसे में हमें बचपने से ही कुछ चीजों को ख्याल रखना चाहिए। जैसे-

  • -एक्सरसाइज करें।
  • -कैल्शियम की मात्रा सही रखने के लिए दूध और अंडे जैसे चीजों का सेवन करें।
  • -कैल्शियम D-3 का सेवन करें।
  • -सुबह 8 बजे से पहले वाली धूप लें।

 इसे भी पढ़ें : ऑस्टियोआर्थराइटिस में इन 5 आहारों के सेवन से बढ़ जाते हैं दर्द और सूजन

जिन लोगों को अर्थराइटिस का दर्द रहता है उनके लिए उपाय

  • -सूजन वाली जगहों पर बर्फ के पानी से सेके या बर्फ लगाएं।
  • - सूजन वाली जगह पर कभी मसाज न करें।
  • -क्रिम लगाकर हल्के हाथों से मालिश करें।
  • -अगर दर्द है और सूजन नहीं है, तो गर्म पानी से सिकाई करें।

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