Mosquito-Borne Diseases in Maharashtra: वैसे तो पूरे भारत में ही मानसून के सीजन में मच्छरों से जुड़ी बीमारियां फैलने लगती हैं, लेकिन महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में पिछले पांच साल से मच्छरों से जुड़ी बीमारियां जैसेकि मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू और जापानी बुखार लगातार कहर बरपा रही है। इस साल अभी मानसून का सीजन शुरू ही हुआ है और महाराष्ट्र के कई इलाकों में मलेरिया, चिकनगुनिया और जापानी बुखार के मामले देखने को मिल रहे हैं। मुम्बई, पुणे से लेकर गांव देहात तक मच्छरों से जुड़ी बीमारियों में लगातार इजाफा हो रहा है। ओनलीमाय हेल्थ के हाइपर लोकल कैंपेन में आज हम महाराष्ट्र में वेक्टर जनित बीमारियों के आंकड़ों पर नजर डालते हैं और साथ ही डॉक्टरों से जानते हैं कि क्यों महाराष्ट्र में मानसून के सीजन में मच्छरों की बीमारियों में बढ़ोतरी होती है।
महाराष्ट्र में साल 2025 में अभी तक मच्छरों से जुड़ी बीमारियों का हाल
पिछले साल की तुलना में इस साल महाराष्ट्र में वेक्टर जनित बीमारियों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, इस साल के मार्च तक महाराष्ट्र में डेंगू के मामले 1159 हो गए थे और चिकनगुनिया 592 लोगों में पाया गया और मलेरिया के केस मई तक 3851 तक पहुंच गए थे। मानसून के सीजन में 15 जून तक मलेरिया और चिकनगुनिया के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। मुम्बई, पुणे, पालघर, सिंधु और ग्रामीण इलाको में जून 2025 तक मलेरिया के 4471 मामले सामने आए हैं। महाराष्ट्र के किन इलाकों में सबसे ज्यादा मामले देखने को मिल रहे हैं, इस बारे में हमने नवी मुम्बई के मेडिकवर अस्पताल के कंसलटेंट जनरल मेडिसिन के डॉ. बादल तायोरी (Dr Badal Taori, Consultant General Medicine, Medicover Hospitals, Kharghar, Navi Mumbai) से बात की। उन्होंने बताया कि नवी मुम्बई, खारघर और पनवेल में हर उम्र के लोगों में मच्छरों से जुड़ी बीमारियां चिंताजनक तरीके से बढ़ रही हैं।
मुम्बई के होली फैमिली अस्पताल के जनरल मेडिसन और इन्फेक्शयस डिसीज स्पेशलिस्ट कंसल्टेंट ड़ॉ. सनाह मर्चेंट ( Dr. Sanah Merchant, Consultant - General Medicine & Infectious Disease Specialist at Holy Family Hospital, Mumbai) ने बताया, “मुम्बई, थाणे, पुणे और नवीं मुम्बई के इलाकों में मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। मानसून, निर्माण का काम, झुग्गी झोपड़ियों का बहुत ज्यादा बढ़ने के कारण मच्छरों की तादाद बढ़ रही है।
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वेक्टर जनित बीमारियों के पिछले 5 साल के आंकड़ों पर एक नजर
अगर हम महाराष्ट्र के पिछले पांच साल के आंकड़ों पर नजर डालें, तो राज्य में मच्छरों से जुड़ी बीमारियों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसमें सबसे ज्यादा चिकनगुनिया के मामलों में उछाल आया है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, साल 2023 में 1700 मामले थे, जो 2024 में 5800 के पार चले गए थे। कुछ ऐसा ही हाल मलेरिया का था। साल 2023 में 16 हजार से ज्यादा मामले दर्ज हुए थे, जो साल 2024 में बढ़कर 21 हजार से ज्यादा हो गए थे। हालांकि डेंगू में बहुत कम मामले दर्ज हुए थे। लोगों के समय पर टेस्ट कराने से डेंगू के मामलों में मामूली सी वृद्धि दर्ज हुई थी। राज्य सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि वेक्टर जनित बीमारियों को काबू किया जा सके लेकिन महाराष्ट्र में मानसून के सीजन काफी लंबा चलता है, इस कारण लोग पूरा साल मच्छरों से जुड़ी बीमारियों ग्रस्त रहते हैं। इसलिए आंकड़ों में कमी नहीं आ रही।
मलेरिया के मामले में मुम्बई बना हॉटस्पॉट
बीएमसी हेल्थ डेटा के अनुसार, मुम्बई में मलेरिया के मामले पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुना हो गए है। जून में मुम्बई में करीब 884 मलेरिया के मामले थे और जुलाई के 15 दिन में ही ये 633 हो गए हैं। अगर सिर्फ पिछले 6 हफ्तों पर ही नजर डाली जाए तो कुल आंकड़ा 1517 हो गया है। हमने मुम्बई में मलेरिया के मामलों के बढ़ने का कारण जानने के लिए हमने मुम्बई के होली फैमिली अस्पताल के जनरल मेडिसन और इन्फेक्शयस डिसीज स्पेशलिस्ट कंसल्टेंट ड़ॉ. सनाह मर्चेंट ( Dr. Sanah Merchant, Consultant - General Medicine & Infectious Disease Specialist at Holy Family Hospital, Mumbai) से बात की। उन्होंने बताया, “मुम्बई में ज्यादा मानसून की वजह से निर्माण की जगहों, गड्ढों और खुले नालों में पानी जमा हो जाता है। ऐसी जगहें मादा एनोफिलीज मच्छर पनपने के लिए सबसे बेहतर होती है, जो मलेरिया फैलाती है। इसके अलावा ज्यादा नमी और तापमान में बदलाव की वजह से भी मच्छर का ट्रांसमिशन बढ़ता है। शहरों में लगातार बढ़ती जनसंख्या और कचरे का सही मैनेजमेंट न करने से मच्छरों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
कुछ ऐसे ही विचार डॉ बादल के भी हैं। उन्होंने बताया, “मुम्बई में कंस्ट्रक्शन का काम अनियंत्रितत तरीके से चल रहा है। इसके अलावा पानी भरना और खुले नालों की वजह से भी मलेरिया के केस बढ़ रहे हैं। दरअसल, मानसून में पानी जमा हो जाता है और स्वच्छता के अभाव में भी मलेरिया के मच्छर पनप जाते हैं। इसलिए मलेरिया से बचाव करना जरूरी है।”
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चिकनगुनिया का दर्द इस साल लौटा
मलेरिया के अलावा, पूरे महाराष्ट्र में इस साल चिकनगुनिया के मामलों में भी इजाफा हो रहा है। अकोला शहर में चिकनगुनिया के केस 56 से बढ़कर 101 हो गए हैं। वैसे भी दो साल में चिकनगुनिया के मामले काफी बढ़ रहे हैं, इसके कारणों पर बात करते हुए पुणे के अपोलो स्पैक्ट्री अस्पताल के इंटरनल मेडिसन एक्सपर्ट डॉ. आदित्य देशमुख (Dr Aditya Deshmukh, Internal Medicine Expert, Apollo Spectra Pune) ने कहा, “ इस साल महाराष्ट्र में चिकनगुनिया के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसका मुख्य कारण मानसून में जमा पानी में पनपते मच्छरों की वजह से हो रहा है। शहरों और गांवों में साफ-सफाई का ध्यान न रखने से मच्छरों से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं। इसके अलावा, लोगों को बीमारियों के लक्षणों की भी ज्यादा जानकारी नहीं है। इस वजह से चिकनगुनिया के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।”
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महाराष्ट्र के गांवों में कैसे हो रही है मच्छरों से जुड़ी बीमारियों को रोकने की तैयारी?
हर साल की तरह इस साल भी राज्य सरकार अपने स्तर पर मच्छरों से जुड़ी बीमारियों को रोकने की कई कोशिशे कर रही हैं। बीएमसी ने मच्छरों के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए पिछले साल ‘भाग मच्छर भाग’ ऐप लॉच किया था। इस साल भी स्वास्थ्य अधिकारी और आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर मच्छरों से जुड़ी जानकारी दे रही हैं ताकि लोग कबाड़ में या घर के आसपास जमा पानी न होने दें। इस बारे में मुम्बई के अपोलो स्पैक्ट्रा अस्पताल के इंटरनल मेडिसन एक्सपर्ट डॉ. छाया वाजह (Dr Chhya Vaja, Internal Medicine Expert, Apollo Spectra Mumbai) ने कहा, “महाराष्ट्र के गांव में मच्छरों से जुड़ी बीमारियों को रोकने के लिए समाज को जागरूक करना जरूरी है। नियमित रूप से पानी रखने के बर्तनों को साफ रखना, टैंक को कवर करना और आसपास पानी खड़ा न होने देने से मच्छरों को पनपने से रोका जा सकता है। लगातार फोगिंग कराना और मच्छरों से बचाव के लिए नेट बांटना जरूरी है। इसके अलावा डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के लक्षणों की पहचान करना भी जरूरी है। स्कूलों में बच्चों को जागरूक कराना महत्वपूर्ण है। नालियों को साफ रखना और आसपास की सफाई रखकर गांवों के लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाया जा सकता है।”
मच्छरों से बचाव के लिए आसपास पानी जमा न होने देना और बाढ़ के पानी में न चलना और शाम को घर के दरवाजे खिड़िकयां बंद करना सबसे बेहतर उपाय है।
FAQ
क्या हर मच्छर को मलेरिया होता है?
नहीं, एनोफिलीज मच्छर से मलेरिया फैलता है और यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सभी एनोफिलीज मच्छरों में मलेरिया नहीं होता। अगर एनोफिलीज मच्छर किसी मलेरिया पीड़ित को काट लें और अगर वह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काट लेता है। ऐसी स्थिति में स्वस्थ इंसान को भी मलेरिया हो सकता है। इस तरह से मच्छर से दूसरे व्यक्ति में मलेरिया फैलने का चक्र बन जाता है।चिकनगुनिया के 3 लक्षण क्या हैं?
चिकनगुनिया में अचानक तेज बुखार, थकान, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द और आंखें लाल होना शामिल हैं। संक्रमित मच्छर के काटने के 2 से 7 दिनों के अंदर चिकनगुनिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।डेंगू के बाद ताकत कैसे हासिल करें?
डेंगू की रिकवरी के लिए अपनी डाइट पर ध्यान दें। खाने में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं, पपीता, नींबू और संतरे जैसे विटामिन C वाले फल लें। हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक और साग शामिल करें। डॉक्टर की बताई दवाइयों को समय पर लेने से डेंगू की जल्दी रिकवरी होती है।