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OMH Hyperlocal: उत्तर प्रदेश में मच्छरों से जुड़ी बीमारियों का पिछले 5 साल का जानें हाल

Mosquito Borne Diseases in UP in Hindi: यूपी में मच्छरों से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते प्रकोप की वजह डॉक्टरों ने सावधानी बरतने की सलाह दी है। जानें उत्तर प्रदेश का हाल इस लेख में - 
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OMH Hyperlocal: उत्तर प्रदेश में मच्छरों से जुड़ी बीमारियों का पिछले 5 साल का जानें हाल


Mosquito Borne Diseases in UP in Hindi: उत्तर प्रदेश में मानसून ने जैसे ही करवट ली, वैसे ही मच्छरों की तादाद भी बढ़ने लग गई और इस बढ़ते मच्छरों की वजह से प्रदेश में मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के मामलों में भी इजाफा होने लगा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य के कई इलाकों में डेंगू और मलेरिया के मामले देखने को मिल रहे हैं। लोग तेज बुखार, बदन दर्द और सर्दी लगने जैसे कई लक्षणों के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं। डॉक्टर मलेरिया और डेंगू की जांच की सलाह दे रहे हैं। ओनली माय हेल्थ के हाइपर लोकल कैंपेन के तहत हमने राज्य में मच्छरों के बढ़ते कारणों की वजह जानने की कोशिश की। आइये जानते हैं, मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के बढ़ने की वजह और इसकी रोकथाम के लिए सरकारी इंतजाम क्या है।

उत्तर प्रदेश में मच्छरों से जुड़ी बीमारियों के आंकड़े

भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में साल 2022 में मलेरिया के मामले करीब सात हजार के करीब थे जो साल 2023 में बढ़कर 13 हजार से ऊपर चले गए थे। कुछ ऐसा ही हाल डेंगू का है, साल 2022 में 19 हजार से बढ़कर मामले 35 हजार के पार चले गए थे। इस साल भी बरसात का मौसम आते ही राज्य के कई इलाकों में मलेरिया और डेंगू के मामले आने लगे हैं। इस साल कालाजार के मामले भी आ गए हैं।

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उत्तर प्रदेश में मलेरिया के मामलों में बढ़ोतरी के कारण

हालांकि देशभर में मलेरिया को पूरी तरह से खत्म करने की कोशिशे जारी हैं, इसके बावजूद हर साल मौसम में बदलाव आते ही मलेरिया के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिलती है। उत्तर प्रदेश में नोएडा, गाजियाबाद से लेकर कानपुर, बरेली जैसे इलाकों में मलेरिया के मरीज बढ़ रहे हैं। इसके बचाव के बारे में बात करते हुए लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हॉस्‍प‍िटल मैनेजमेंट के एचओडी डॉ राजेश हर्षवर्धन ने कहा, “लोगों को आसपास खड़े पानी, तालाब जैसी जगहों की सफाई रखनी चाहिए। वहां मच्छरों न पनपने दें और नियमित फॉग कराते रहना चाहिए। साथ ही लोगों को मच्छरों से जुड़ी बीमारियों के प्रति जागरुक कराना भी जरूरी है।”

साफ-सफाई बन रही है समस्या

हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य में मच्छरों से जुड़ी बीमारियां बढ़ने का एक कारण साफ-सफाई है। घरों के बाहर नालियां ब्लॉक है, तो घर के अंदर जमा पानी को लोग साफ नहीं करते। इसके बढ़ते कारणों पर प्रकाश डालते हुए अकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियंस ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ. रमन कुमार कहते हैं,”दरअसल बरसात में नालियों में ब्लॉकेज हो जाती है और इनकी साफ-सफाई न होने के कारण मच्छरों की तादाद लगातार बढ़ रही है। इस वजह से डेंगू और मलेरिया के मामले देखने को मिल रहे हैं। लोगों को डेंगू या मलेरिया से बचने के लिए मच्छरों को रोकथाम करनी चाहिए और डेंगू के लक्षणों पर ध्यान दें।”

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मच्छरों से जुड़ी बीमारियों के बढ़ने की वजह

चिकनगुनिया के आंकड़ों पर गौर किया जाए, तो इसके मामलों में कमी आई है। साल 2023 में 1400 से ज्यादा मामले थे जो पिछले साल कम होकर हजार के करीब आ गए। मच्छरों की इन सभी बीमारियों के बढ़ने का कारण सही इलाज कराना नहीं है। नोएडा और गाजियाबाद में मच्छरों से जुड़ी बीमारियों में इजाफा होने के कारणों पर बात करते हुए गाजियाबाद के जिला अधिकारी .ज्ञानेंद्र मिश्रा के अनुसार, “मलेरिया या मच्छरों से जुड़ी बीमारियां बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है कि लोग इलाज अधूरा छोड़ देते हैं। इस कारण निष्क्रय हो चुके पैरासाइट फिर से उभर आते हैं और बीमारी बढ़ने लगती है। इसलिए मैं सभी लोगों से अपील करता हूं कि बीमारी का इलाज पूरा करवाएं। लक्षण ठीक होने पर दवाई या इलाज को अधूरा न छोड़े। डॉक्टर ने जो दवाई का कोर्स बताया है, उसे पूरा करें।”

मच्छरों से जुड़ी बीमारियों पर सरकार का रुख

सरकार बढ़ते मामलों की रोकथाम के लिए कई कदम उठा रही है, जिसके बारे में गाजियाबाद के एमएमजी जिला अस्पताल के संयुक्त निदेशक और फिजिशयन डॉ संतराम वर्मा (Dr Sant Ram Verma, Joint Director and Physician, MMG District Hospital, Ghaziabad) ने कहा, “सरकारी स्तर पर अस्पतालों में वेक्टर जनित बीमारियों के लक्षणों की जांच और उपचार की सुविधा निशुल्क उपलब्ध है। बस, हम लोगों को सलाह देते हैं कि लक्षणों को इग्नोर न करके समय पर इलाज कराए।”

लखनऊ की डीएमओ डॉ. रितु श्रीवास्तव ने लोगों को मच्छरों से जुड़ी बीमारियों से बचाव के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। उनका कहना है, “अगर किसी को तेज बुखार, आंख के पीछे दर्द हो, मांसपेशियों में जकड़न महसूस हो, पैरों में सूजन, चक्कर या उल्टी जैसे लक्षण नजर आने पर खुद इलाज न करें और न ही पेनकिलर्स लें। खुद मेडिकेशन करना और पेन किलर्स लेना घातक साबित हो सकता है।”

कुछ ऐसे ही सुझाव लखनऊ के केयर इंस्‍टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फ‍िजिश‍ियन डॉ सीमा यादव ने दिए। उन्होंने कहा कि प्रशासन को शहर में डीडीटी का स्प्रे करना चाहिए और कचरे की सफाई करवानी चाहिए। किसानों को खेतों और तालाबों में गम्बूशिया फिश पालनी चाहिए जो मच्छरों की ग्रोथ रोकती है। 

तो इस मौसम में मच्छरों के प्रकोप से बचने के लिए लोगों को अपने आसपास की साफ-सफाई पर ध्यान देना और मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ ही राज्य सरकार को भी जमीनी स्तर पर फॉगिग, साफ-सफाई के साथ निशुल्क टेस्ट और इलाज पर और तेजी से जोर देना चाहिए।

FAQ

  • डेंगू मच्छर काटने से कौन सा रोग होता है?

    डेंगू वायरल इंफेक्शन है, जो एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) मच्छर के काटने से फैलता है। इससे डेंगू का बुखार होता है।
  • डेंगू के 5 लक्षण क्या हैं?

    डेंगू बुखार में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। रोगी को शरीर पर दाने होना, मांसपेशियों में दर्द, मतली और उल्टी आती है।
  • मलेरिया बुखार की पहचान क्या है?

    मलेरिया के लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटने के कुछ हफ्तों बाद दिखाई देते हैं। इसमें रोगी को कंपकंपी और ठंड लगती है। रोगी को तेज बुखार आता है और फिर पसीना आता है। अगर किसी रोगी को ये लक्षण दिखते हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

 

 

 

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