इम्यून सिस्टम कैसे काम करती है? इस बात का पता लगाने के लिए इन 3 वैज्ञानिकों को मिला मेडिसिन का Nobel Prize 2025

मेडिसिन का नोबेल प्राइज जिन 3 वैज्ञानिकों को मिला है, उन्होंने हमारे इम्यून सिस्टम से जुड़े कुछ रोचक बातों का पता लगाया है। आइए, जानते हैं कौन हैं ये 3 वैज्ञानिक और इनकी खोज।
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इम्यून सिस्टम कैसे काम करती है? इस बात का पता लगाने के लिए इन 3 वैज्ञानिकों को मिला मेडिसिन का Nobel Prize 2025


साल 2025 में मेडिसिन का नोबेल प्राइज (Nobel prize in medicine 2025) अमेरिका के मैरी ई ब्रुनको (Mary E Brunkow), फ्रेड रामस्डेल (Fred Ramsdell) और जापान के शिमोन साकागुची (Shimon Sakaguchi) को मिला है। इन तीनों ने ही चिकित्सा क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है और इनके रिसर्च ने दुनिया को इस बात से अवगत कराया है कि हमारा इम्यून सिस्टम कैसे काम करता है? दरअसल, इन तीनों को मेडिसिन का ये नोबेल प्राइज इसलिए मिला है क्योंकि इन्होंने इंसानी इम्यून सिस्टम को लेकर कुछ बड़े खोज किए हैं। इस खोज में इन 3 वैज्ञानिकों को इस बात का पता लगाया है कि कैसे हमारा इम्यून सिस्टम इस बात की पहचान करता है कि शरीर के लिए कौन दुश्मन है, किससे नुकसान है और क्या फायदेमंद? तो आइए जानते हैं इनकी इस खोज के बारे में विस्तार से।

इम्यून सिस्टम को लेकर क्या है इन 3 वैज्ञानिकों की खोज

इन 3 वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगाया है कि इम्यून सिस्टम विभिन्न बैक्टीरिया और वायरस से कैसे लड़ती है। साथ ही यह कैसे जानती है कि किन कोशिकाओं पर हमला नहीं करना चाहिए। नोबेल पुरस्कार की आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, "मैरी ब्रुनको, फ्रेड रामस्डेल और शिमोन सकागुची को परिधीय प्रतिरक्षा सहिष्णुता से संबंधित उनकी मौलिक खोजों के लिए 2025 का फिजियोलॉजी या मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार दिया जा रहा है। इन विजेताओं ने प्रतिरक्षा प्रणाली के सुरक्षा रक्षकों, नियामक टी कोशिकाओं की पहचान की, जो प्रतिरक्षा कोशिकाओं को हमारे शरीर पर हमला करने से रोकती हैं।

Nobel prize in medicine

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तो इसलिए लोगों को होते हैं ऑटोइम्यून रोग

खोज में इस बात का पता लगाया गया है कि कैसे इम्यून सिस्टम स्वस्थ कोशिकाओं की पहचान करती है और अपने ही शरीर पर खुद ही हमला नहीं करती। जब यह पहचान ठीक से नहीं होती, तो लोगों को ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा होता है। विजेता शिमोन साकागुची ने प्रयोगों की एक श्रृंखला में, उन्होंने उन चूहों का परीक्षण किया जिनके थाइमस ग्रंथि को हटा दिया गया था और बाद में उनके शरीर में परिपक्व टी कोशिकाएं प्रविष्ट कराई गईं। उन्होंने टी कोशिकाओं के एक ऐसे वर्ग की पहचान की जो मूल रूप से अन्य टी कोशिकाओं, जो शरीर में अपने टिशूज पर आक्रमण कर रही हों तो शांत होने के लिए कहती हैं। इन्हें नियामक टी कोशिकाएं कहा जाता है।

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चिकित्सा जगत के लिए ये खोज खास हैं क्योंकि इम्यून सिस्टम से जुड़े इन खोजों की मदद से अब कैंसर, ऑर्गन ट्रांसप्लांट और ऑटोइम्यून बीमारियों के इलाज में मदद मिलेगी। प्रतिरक्षा प्रणाली की बेहतर समझ यह सुनिश्चित करने में भी मदद कर सकती है कि शरीर प्रत्यारोपित अंगों को अस्वीकार न करे। हालांकि, इस दिशा में अभी और शोध की जरूरत है।

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  • Oct 07, 2025 11:55 IST

    Published By : Pallavi Kumari

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