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इंटरमिटेंट फास्टिंग से जुड़े इन 5 मिथकों पर आप भी करते हैं भरोसा? जानें इनकी सच्चाई

इंटरमिटेंट फास्टिंग से जुड़ी कई बातों पर हम बिना सोचे-समझें भरोसा कर लेते हैं। जानें इससे जुड़े कुछ मिथक और उनकी सच्चाई।  
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इंटरमिटेंट फास्टिंग से जुड़े इन 5 मिथकों पर आप भी करते हैं भरोसा? जानें इनकी सच्चाई


The Truth About Intermittent Fasting: वेट लॉस करने के लिए लोग अलग-अलग तरह की डाइट अपनाते हैं। लो कार्ब्स डाइट से लेकर हाई फाइबर डाइट तक सभी फास्ट वेट लॉस के लिए फायदेमंद है। इनमें से ही एक फेमस तरीका है इंटरमिटेंट फास्टिंग। इंटरमिटेंट फास्टिंग करने के दौरान 12-16 घंटे की फास्टिंग करनी होती है। इसमें केवल 6 से 8 घंटे के बीच कुछ भी खा सकते हैं। वेट लॉस के साथ ही यह कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए भी फायदेमंद साबित हुई है। लेकिन इंटरमिटेंट फास्टिंग करने का सही तरीका हर किसी को पता नहीं होता है। इसलिए लोग बिना सोचे-समझें इंटरमिटेंट फास्टिंग से जुड़ी हर बात पर भरोसा कर लेते हैं। आइये इस लेख में हम उत्तर पूर्वी दिल्ली के जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, डॉ. पीयूष मिश्रा से जानेंगे इंटरमिटेंट फास्टिंग के कुछ खास मिथक के बारे में।

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इंटरमिटेंट फास्टिंग से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई-  Myths Related To Intermittent Fasting 

मिथक- इंटरमिटेंट फास्टिंग हर किसी के लिए सेफ होती है? 

इंटरमिटेंट फास्टिंग वेट लॉस करने का आसान तरीका है। इसलिए लोग मानते हैं कि इसे हर कोई कर सकता है। वैसे तो हेल्दी व्यक्ति के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग सेफ है। लेकिन जो लोग डायबिटीज या कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से पीड़ित हैं, उन्हें इंटरमिटेंट फास्टिंग अवॉइड करनी चाहिए। क्योंकि डायबिटीज में लंबे समय तक फास्टिंग करने से ब्लड शुगर इंबैलेंस हो सकती है। वहीं लॉन्ग टर्म फास्टिंग कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा भी बढ़ा सकती है।

मिथक- इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से मसल्स मास कम होता है

इंटरमिटेंट फास्टिंग से जुड़ी यह बात केवल एक मिथक है। इंटरमिटेंट फास्टिंग करने का सही तरीका पता होना जरूरी है। अगर आप डाइट में प्रोटीन नहीं ले रहे हैं या गलत वर्कआउट कर रहे हैं, तो इससे कोई भी डाइट नुकसानदायक हो सकती है। डाइट में पर्याप्त प्रोटीन लेने और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने से आप मसल्स मास को बनाए रख सकते हैं। 

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मिथक- इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से मेटाबॉलिज्म कम होता है

इंटरमिटेंट फास्टिंग से जुड़ी यह बात बिलकुल गलत है। क्योंकि इंटरमिटेंट फास्टिंग में मेटाबॉलिज्म कम होने के बजाय बढ़ता है। लॉन्ग टाइम फास्टिंग से बॉडी को हील होने का समय मिल जाता है। इससे पाचन क्रिया भी तेज होती है और हार्मोन्स भी बैलेंस रहते हैं। इनसे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और वेट लॉस में मदद मिलती है। इसलिए इंटरमिटेंट फास्टिंग को वेट लॉस के लिए फायदेमंद माना जाता है। 

इंटरमिटेंट फास्टिंग की ईटिंग विंडों में कुछ भी खा सकते हैं

अगर आपका भी मानना है कि ईटिंग विंडों में कुछ भी खा सकते हैं, तो आप गलत हैं। क्योंकि इंटरमिटेंट फास्टिंग में टाइम पर खाने के साथ हेल्दी खाना भी जरूरी है। अगर ऐसे में आप जंक या प्रोसेस्ड फूड खाते हैं, तो आपकी बॉडी को नुकसान हो सकता है। इसलिए इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान अनहेल्दी चीजें बिलकुल भी न खाएं। ऐसे में केवल हेल्दी और फ्रेश खाना ही खाएं। इससे शरीर को फास्टिंग के सभी फायदे मिलते हैं।

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इंटरमिटेंट फास्टिंग में बार-बार भूख लगती है

इंटरमिटेंट फास्टिंग के शुरुआती दिनों में आपको भूख लग सकती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि बॉडी को नई ईटिंग विंडों में ढ़लने में समय लगता है। लेकिन धीरे-धीरे शरीर को इसकी आदत होने लगती है। भूख को कंट्रोल रखने के लिए अपने हर मील में प्रोटीन एड करें। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं और हेल्दी और लाइट स्नैक्स पहले से प्लान रखें। 

 

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