Myths of Women's Heart Health in Hindi: जब भी दिल संबंधी बीमारियों की बात की जाती है, तो महिलाओं के बारे में यह माना जाता है कि उन्हें दिल संबंधी बीमारियां ज्यादा नहीं होतीं। इस वजह से वे दिल की बीमारियों के लक्षणों को लगातार नजरअंदाज भी करती रहती हैं। आजकल के लाइफस्टाइल और स्ट्रेस में क्या महिलाएं सचमुच हार्ट की समस्याओं से बची रह सकती हैं? महिलाओं में हार्ट से जुड़े कई तरह के मिथकों के कारण भी वे अपने लक्षणों को इग्नोर कर देती हैं। इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के मौके पर हमने मुंबई के होली फैमिली अस्पताल के कंसल्टेंट कॉडियोलॉजिस्ट डॉ. कुणाल सिनकर (Dr. Kunal Sinkar, Consultant Cardiology at Holy Family Hospital, Mumbai) से बात की और उनसे महिलाओं से जुड़े हार्ट हेल्थ के कई मिथकों की सच्चाई के बारे में जाना।
मिथ: महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में हार्ट की बीमारियां ज्यादा होती हैं।
सच्चाई: इस बारे में डॉ. कुणाल कहते हैं कि महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही मृत्यु का प्रमुख कारण दिल की बीमारियां हैं। हालांकि, पुरुषों में दिल की बीमारियां थोड़ा जल्दी हो सकती हैं, और महिलाओं में मेनोपॉज के बाद ज्यादा रिस्क देखने को मिलते हैं। वैसे, अध्ययनों से पता चलता है कि हार्ट अटैक के बाद महिलाओं को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि वे अपने लक्षणों को पहचानने और उनका इलाज करने में देर कर देती हैं। इसके अलावा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और स्ट्रेस जैसी स्थितियां पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के हृदय को अलग तरह से प्रभावित करती हैं।
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मिथ: जो महिलाएं फिजिकली फिट होती हैं, उन्हें दिल की बीमारियां नहीं होतीं।
सच्चाई: डॉ. कुणाल कहते हैं,”जो महिलाएं कसरत करती हैं और फिजिकली फिट होती हैं, उनमें दिल की बीमारियां होने का रिस्क कम होता है, लेकिन इसे बिल्कुल नकारा नहीं जा सकता। जो महिलाएं रोजाना कसरत करती हैं, उनमें पारिवारिक हिस्ट्री, कोलेस्ट्रॉल बढ़ना, स्ट्रेस या फिर हाइपरटेंशन या कोरोनेरी आर्टेरी बीमारियों के रिस्क फैक्टर के चलते दिल की बीमारियां हो सकती हैं। कुछ महिलाओं में स्पॉन्टेनियस कोरोनरी आर्टरी डिसेक्शन (SCAD) or माइक्रोवास्कुलर बीमारियां (microvascular disease) की पहचान नहीं हो पाती, और इस वजह से सेहतमंद दिखने वाली महिलाओं को भी हार्ट अटैक हो सकता है।
मिथ: अगर परिवार में किसी को दिल की बीमारियां नहीं हैं, तो महिलाओं को हार्ट से जुड़ी बीमारियां नहीं हो सकतीं।
सच्चाई: डॉ. कुणाल कहते हैं कि ऐसा सोचना गलत है, क्योंकि जेनेटिक्स दिल संबंधी बीमारियों में मुख्य भूमिका निभाते हैं। जिन परिवारों में हार्ट की बीमारियां होती हैं, उनके परिवार में इसका रिस्क बढ़ जाता है। लेकिन इसके साथ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि दिल की बीमारियां लाइफस्टाइल से ज्यादा जुड़ी हुई हैं। खानपान की आदतें सही न होना, स्मोकिंग, स्ट्रेस, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कसरत न करने (risk factors of heart diseases) के चलते भी हार्ट की बीमारियां होने का रिस्क बढ़ सकता है। अगर परिवार में किसी को हृदय की बीमारी न हो, लेकिन हार्मोन में बदलाव, प्रेग्नेंसी में जटिलताएं होना (प्रीक्लेमपेशिया और गेस्टेशनल डायबिटीज) और गंभीर सूजन होने की वजह से भी रिस्क बढ़ सकता है। इसलिए महिलाओं को अपनी नियमित रूप से स्क्रीनिंग कराते रहना चाहिए।
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मिथ: महिलाओं और पुरुषों में हार्ट अटैक के लक्षण एक जैसे ही होते हैं।
सच्चाई: महिलाओं को आमतौर पर पुरुषों के मुकाबले अलग और थोड़े हल्के हार्ट अटैक के लक्षण महसूस होते हैं। छाती में दर्द और बेचैनी तो दोनों को ही होती है, लेकिन महिलाओं को इन लक्षणों पर खास ध्यान रखना चाहिए।
- बहुत ज्यादा थकान महसूस होना (कई बार बिना किसी वजह के थकान होती है)
- बिना कोई काम किए सांस फूलना
- मतली या उल्टी आना
- चक्कर आना
- गर्दन, जबड़े और पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द होना
- ठंड लगने के साथ पसीने आना
इन लक्षणों को महिलाएं कई बार अपच, चिंता या मेनोपॉज से जोड़कर देखती हैं और इस वजह से वे अपना चेकअप नहीं करातीं और इलाज में देरी हो जाती है। यह कई बार जानलेवा भी हो सकता है।
मिथ: महिलाओं को मेनोपॉज तक हार्ट अटैक नहीं आता।
सच्चाई: डॉ. कुणाल कहते हैं कि मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन का स्तर काफी कम हो जाता है। इस वजह से हार्ट की बीमारियां बढ़ने का रिस्क ज्यादा हो जाता है। लेकिन आजकल युवा महिलाओं को भी हार्ट अटैक का रिस्क रहता है, जिसकी मुख्य वजह हैं:
- स्मोकिंग - इस लत के कारण पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को हार्ट अटैक का रिस्क काफी बढ़ जाता है।
- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)
- प्रेग्नेंसी से जुड़ी जटिलताएं जैसे गैस्टेशनल डायबिटीज या प्रीक्लेमसिया
- ऑटोइम्यून बीमारियां जैसे ल्यूपस या रूमेटॉयड अर्थाराइटिस
- गंभीर रूप से स्ट्रेस या चिंता से ब्लड प्रेशर बढ़ना
डॉ. कुणाल के अनुसार महिलाओं को अपनी दिल से जुड़ी बीमारियों के प्रति बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और लक्षण दिखने पर डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। इसके अलावा, महिलाओं को अपनी जीवनशैली से जुड़ी आदतों को सेहतमंद रखना चाहिए और हेल्दी व संतुलित भोजन करना चाहिए।