Myths of Psoriasis in Hindi: सोरायसिस ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें त्वचा की कोशिकाएं तेजी से बढ़ने लगती है। इससे त्वचा पर लाल पपड़ीदार परत बन जाती है। इस परत में खुजली भी होती है। सोरायसिस के पैच अक्सर टांगों, कोहनी, उंगुलियों, सिर और पीठ के निचले हिस्से (where on the body does psoriasis occur) में बनते हैं। अक्सर लोग ऐसी त्वचा देखकर समझने लगते हैं कि ये फैलने वाली बीमारी है और मरीज से दूर भागते हैं। ऐसे ही कई मिथकों को लोग सच्चाई मानने लगे हैं। इसलिए ऐसे मिथकों की सच्चाई बताना बहुत जरूरी है क्योंकि सोरायसिस रोगियों के साथ लोग छुआछूत जैसा व्यवहार करने लगते हैं। आज हम सोरायसिस से जुड़े ऐसे 7 मिथकों की सच्चाई नवी मुम्बई के मेडिकवर अस्पताल के कंसलटेंट जनरल मेडिसिन के डॉ. बादल तायोरी (Dr Badal Taori, Consultant General Medicine, Medicover Hospitals, Kharghar, Navi Mumbai) से जानेंगे।
सोरायसिस से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई
सोरायिसस सिर्फ एक त्वचा की बीमारी है।
इस बारे में डॉ. बादल कहते हैं,”सोरायसिस सिर्फ त्वचा की बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें पूरा शरीर ही प्रभावित होता है। इस बीमारी में जोड़ों का दर्द, थकान जैसी समस्याएं भी हो सकती है। आमतौर पर सामान्य त्वचा में कोशिकाएं मैच्योर होकर लगभग 30 दिन में झड़ जाती है लेकिन सोरायसिस रोगी के त्वचा की कोशिकाएं करीब 3 से 4 दिन में मैच्योर हो जाती है। ये जमा होकर पपड़ीनुमा बन जाती है और खुजली होने लगती है लेकिन सोरायसिस को सिर्फ आप त्वचा की बीमारी नहीं कह सकते। इसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है।”
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सोरायसिस फैलने वाली बीमारी है।
डॉ. बादल जोर देते हुए कहते हैं, “त्वचा पर लाल चकते बनने के कारण लोग इसे फैलने वाली बीमारी समझ लेते हैं, लेकिन ऐसा कतई नहीं है। अगर सोरायसिस रोगी की त्वचा को छू लिया जाए या संपर्क में आ जाए तो इससे सोरायसिस की बीमारी स्वस्थ व्यक्ति को नहीं लगती। अगर आप सोरायसिस इंसान के गले लगते हैं, या किस करते हैं या आपस में खाना शेयर करते हैं, तो भी किसी तरह की बीमारी नहीं हो सकती। इसलिए सोरायसिस रोगियों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए।”
सोरायसिस गर्मियों में ज्यादा बढ़ जाती है।
डॉ. बादल के अनुसार वैसे तो सोरायसिस सर्दियों में गंभीर हो सकती है। आमतौर पर सर्दियों के महीने में सूखी और पपड़ीनुमा त्वचा के कारण सोरायसिस बढ़ सकता है। इस मौसम में नमी कम होती है और ठंडी हवाओं और सूरज की कम रोशनी सोरायसिस के लक्षणों को बढ़ा देती है। वैसे कुछ मामलों में गर्मियों में बहुत ज्यादा गर्मी और पसीने के चलते सोरायसिस के लक्षण बढ़ सकते हैं। यह रोगी की स्थिति पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है।
सोरायसिस और एक्जिमा एक ही है।
डॉ. बादल कहते हैं, “हालांकि एक्जिमा और सोरायसिस दोनों ही त्वचा से जुड़ी बीमारियां है। दोनों में ही त्वचा में सूजन आ जाती है, लेकिन सोरायसिस ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें त्वचा पर लाल पपड़ीनुमा मोटे धब्बे बन जाते हैं। एक्जिमा एलर्जी से जुड़ी बीमारी है जिसमें त्वचा पर लाल सूखी खुजली जैसे धब्बे बन जाते हैं। हालांकि सोरायसिस में भी खुजली होती है लेकिन एक्जिमा में खुजली बहुत ज्यादा होती है और रात में खुजली की स्थिति बदतर हो जाती है। दोनों ही स्थितियां अलग-अलग है, इसलिए इन दोनों के इलाज का तरीका भी अलग होता है।
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सोरायसिस जेनेटिक बीमारी है।
डॉ. बादल कहते हैं कि अगर माता-पिता या परिवार में किसी को सोरायसिस की समस्या होती है, तो यह बच्चों को हो सकती है। हालांकि बहुत सारे मामलों में देखा गया है कि फैमिली हिस्ट्री न होने के बावजूद बच्चों में सोरायिसस की समस्या पाई गई है। अगर दोनों माता-पिता को यह बीमारी होती है, तो 50 फीसदी तक बच्चे को होने का रिस्क रहता है। वैसे आमतौर पर सोरायसिस होने का कारण स्ट्रेस, इंफेक्शन और जीवनशैली से जुड़े फैक्टर्स हो सकते हैं।
सोरायिसस को मैनेज नहीं किया जा सकता।
डॉ. बादल ने बताया, “सोरायसिस का फिलहाल कोई ऐसा इलाज नहीं है, जिससे इसे पूरी तरह ठीक किया जा सके लेकिन इस बीमारी को मैनेज किया जा सकता है। डॉक्टर सोरायसिस को मैनेज करने के लिए क्रीम या त्वचा पर लगाने वाली दवाइयां दी जाती है। इसके अलावा, लाइट थेरेपी (Light Therapy) से इसके लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है।”
सोरायिसस से फर्टिलिटी प्रभावित होती है।
फर्टिलिटी से जुड़े मुद्दे पर बात करते हुए डॉ बादल ने कहा कि अभी तक किसी रिसर्च ने ऐसा दावा नहीं किया है कि सोरायसिस से फर्टिलिटी पर नेगेटिव असर पड़ता है। सोरायसिस रोगी भी माता-पिता बन रहे हैं। इसलिए जिन लोगों को सोरायसिस है, उन्हें डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और अपने लक्षणों को मैनेज करना चाहिए।
FAQ
क्या तनाव से सोरायसिस होता है?
स्ट्रेस के कारण सोरायसिस के लक्षण बढ़ सकते हैं। इसलिए सोरायसिस रोगियों को स्ट्रेस को मैनेज करना जरूरी है।क्या बहुत सारा पानी पीना सोरायसिस के लिए अच्छा है?
पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से त्वचा हाइड्रेट होती है, जिससे सोरायसिस त्वचा में नमी बनी रहती है।सोरायसिस का टेस्ट कैसे होता है?
सोरायसिस की पहचान त्वचा विशेषज्ञ करते हैं। वह त्वचा की जांच और लक्षणों की पहचान करके सोरायसिस की जानकारी देते हैं।