घुटने से जुड़ी समस्याएं लोगों में तेजी से बढ़ रही हैं। अर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस, और गठिया जैसी समस्याएं घुटने को खराब कर देती हैं। घुटने से जुड़ी समस्याओं से निजात पाने के लिए घुटने की सर्जरी की जाती है। घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी (Knee Replacement Surgery) में आधुनिक उपकरणों की सहायता से मरीज का इलाज किया जाता है। आज के डिजिटल युग में लोगों तक जानकारियां पहुंचने के साधन तो बढ़े हैं लेकिन इसके साथ ही गलत जानकारियां भी तेजी से फैली हैं। इंटरनेट पर किसी भी चीज के बारे में गलत जानकारियां बहुत जल्दी वायरल हो जाती हैं। घुटने की सर्जरी के बारे में भी तमाम भ्रामक बातें यानी मिथक लोगों में प्रचलित हैं। आइये विस्तार से जानते हैं घुटने की सर्जरी से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में।
घुटने की सर्जरी से जुड़े मिथक और सच्चाई (Myths And Facts About Knee Replacement Surgery)
जोड़ों में सूजन, लगातार दर्द और चोट अदि के कारण घुटने खराब हो जाते हैं। जब मरीज में घुटनों से जुड़ी समस्या बढ़ जाती है तो इसके निदान के लिए डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं। कई बार अर्थराइटिस के मरीज घुटने की सर्जरी कराने से कतराते रहते हैं जिसका सबसे बड़ा कारण इससे जुड़े मिथक हैं। घुटने की सर्जरी के बारे में कई मिथक प्रचलित हैं जिसके कारण लोग इस सर्जरी को अपनाने से बचते हैं। आइये मैक्स हेल्थकेयर के हड्डी और घुटना प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ अनिल अरोड़ा से जानते हैं घुटने की सर्जरी से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में।
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मिथक 1 : घुटने की सर्जरी सफल नहीं होती है
घुटने की सर्जरी को लेकर सबसे प्रचलित मिथक में से एक है कि यह सर्जरी सफल नहीं होती है। लोगों में यह बात फैली है कि घुटने से जुड़ी सर्जरी या घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी का सक्सेस रेट बहुत कम है। जबकि असल में ऐसा नहीं है, घुटने की सर्जरी में हर मरीज की स्थिति के आधार पर इसकी सफलता निर्भर करती है। सफलतापूर्वक सर्जरी होने के बाद मरीज की देखभाल, उसकी डाइट और फिजियोथेरेपी आदि पर घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी की सफलता निर्भर करती है।
मिथक 2 : सर्जरी के बाद मरीज जल्दी ठीक नही होता है
घुटने की सर्जरी के बारे में ये मिथक बहुत प्रचलित है कि इसके बाद मरीज जल्दी रिकवर नहीं होता है। आमतौर पर घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी के बाद मरीज का रिकवरी रेट सामान्य ही रहता है और यह हर मरीज में उसके आंतरिक स्वास्थ्य स्थितियों पर निर्भर करता है। वैसे तो सर्जरी के 12 से 14 दिन में मरीज ठीक हो जाता है लेकिन कुछ मरीजों को इससे ज्यादा समय भी लग सकता है। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि सामान्य सर्जरी के बाद ठीक होने जैसे ही घुटने की सर्जरी के बाद भी मरीज ठीक होता है।
मिथक 3 : घुटने की सर्जरी अधिक उम्र में नहीं हो सकती है
घुटने की सर्जरी के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है। अगर मरीज चिकित्सकीय रूप से फिट हैं, तो बुजुर्ग मरीज भी घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी भी करवा सकते हैं।
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मिथक 4 : घुटने की सर्जरी 5 से 7 साल ही चलती है
तमाम लोगों का यह मानना है कि घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी ज्यादा दिनों तक टिकती नहीं है, जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं है। घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी की उम्र जोड़ और सर्जरी के प्रोसीजर पर निर्भर करता है। आमतौर पर यह सर्जरी 15 से 20 साल तक चलती है।
मिथक 5 : सर्जरी के बाद मरीज की परेशानी बढ़ सकती है
ऐसा जरूरी नहीं है कि हर मरीज सर्जरी के बाद एकदम से ठीक हो जाए। ऐसा इसलिए है कि घुटने की सर्जरी में मरीज की शारीरिक स्थिति और सर्जरी के बाद देखभाल का असर इस पर पड़ता है। लेकिन आमतौर पर घुटने की सर्जरी के बाद मरीज की समस्याएं काफी हद तक कम हो जाती हैं।
मिथक 6 : सर्जरी के बाद अस्पताल में लम्बे समय तक रहना पड़ता है
मरीज को सर्जरी के बाद अस्पताल में 2 से 3 दिनों तक रहना पड़ सकता है लेकिन कुछ मरीजों में उनकी स्थितियों के कारण उन्हें हफ्ते भर भी अस्पताल में रहना पड़ सकता है।
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घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी से जुड़े ये मिथक लोगों में काफी प्रचलित हैं लेकिन इनकी सच्चाई कुछ और ही है। सर्जरी से पहले आपको एक्सपर्ट डॉक्टर से इसके बारे में सलाह और अपनी फिटनेस की जांच जरूर करानी चाहिए।
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