Medical Tests For Women Over The Age Of 40 In Hindi: 40 साल की उम्र पार करते ही महिलाओं को कई तरह की शारीरिक समस्याएं शुरू होने लगती हैं। इसकी वजह मेनोपॉज की शुरुआत होने का माना जा सकता है। आमतौर पर, मेनोपॉज की शुरुआत इसी उम्र में होती है। मेनोपॉज होने के कारण महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है। ऐसे में उन्हें कई तरह के शारीरिक बदलाव से गुजरना पड़ता है। यही नहीं, इस दौरान महिलाओं में बीमार होने का रिस्क भी ज्यादा रहता है। इस तरह की सिचुएशन से बचने के लिए अगर महिलाएं समय-समय पर अपना हेल्थ चेकअप करवाती रहें और जरूरी टेस्ट करवाएं, तो समय पर और सही तरह से बीमारियों का निदान किया सकता है। 40 साल की उम्र के बाद महिलाओं को किस तरह के टेस्ट करवाने चाहिए। इस संबंधम में हमने Neuberg Ajay Shah Laboratory के Managing Director डॉ. अजय शाह से बात की।
40 साल की उम्र के बाद हर महिला को जरूर करवाने चाहिए ये टेस्ट- Medical Tests For Women Over The Age Of 40
मैमोग्राम
बढ़ती उम्र में महिलाओं में स्तन कैंसर का रिस्क भी बढ़ जाता है। इसलिए, जरूरी है कि महिलाएं 40 साल की उम्र के बाद मैमोग्राम जरूर करवाएं। यह एक तरह का इमेजिंग टेस्ट है, जो स्तन के टिश्यूज में हो रही एब्नॉर्मलिटी का पता लगा सकता है। इस टेस्ट की मदद से ब्रेस्ट कैंसर या ब्रेस्ट से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या का पहले से ही पता लगाया जा सकता है।
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पैप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट
पैप स्मीयर और ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) टेस्ट भी महिलाओं को 40 पार की उम्र में जरूर करवाने चाहिए। इन टेस्ट्स की मदद से सर्वाइकल कैंसर का पता लगाया जा सकता है। हालांकि, मेनोपॉज के बाद कुछ बीमारियों के रिस्क कम भी होते हैं। इस पैप स्मीयर टेस्ट की जरूरत कम रह जाती है। इसके बावजूद, एचपीवी टेस्ट करवाना जरूरी होता है। इस टेस्ट की मदद से सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती चरण के बारे में पता लगाया जा सकता है।
बोन डेंसिटी टेस्ट
ऑस्टियोपोरोसिस, एक खतरनाक बीमारी है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, हड्डियों से जुड़ी समस्याओं का रिस्क भी बढ़ता जाता है। खासकर, मेनोपॉज हो चुकी महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस का रिस्क ज्यादा रहता है। इस टेस्ट की मदद से बोन डेंसिटी का पता लगाया जा सकता है। ऐसे में, जरूरी होने पर महिलाएं लाइफस्टाइट से जुड़े बदलाव कर खुद को हेल्दी रख सकती हैं।
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बीपी टेस्ट और लिपिड प्रोफाइल टेस्ट
रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में हार्ट से जुड़ी बीमारियों का रिस्क भी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में हार्ट हेल्थ के बारे में पता लगाने के लिए जरूरी है कि आप नियिमत रूप से ब्लड प्रेशर की जांच करवाते रहें और लिपिड प्रोफाइल टेस्ट करवाएं। बताते चलें कि अगर बीपी का स्तर बैलेंस न रहे, तो कई तरह की बीमारियों का रिस्क बढ़ जाता है, जैसे हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और हृदय संबंधी अन्य समस्या आदि।
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थायराइड फंक्शन टेस्ट
थायराइड डिजीज, जैसे हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म का रिस्क भी उम्र के साथ-साथ बढ़ता जाता है। कई बार, थायराइड के लक्षण जटिल हो जाते हैं। इसलिए, इनका पहले से पता लगाना जरूरी है। ऐसा न किया जाए, तो थायराइड की वजह से आपको अन्य शारीरिक समस्या हो सकती है, जिसमें वजन का बढ़ना भी शामिल है। आप पहले से ही थायराइड फंक्शन टेस्ट की मदद से यह जान सकेंगे कि आपको थायराइड से जुड़ी कोई समस्या तो नहीं है। अगर है, तो समय पर उसका निदान भी संभव हो सकेगा।
कुछ जरूरी टेस्ट
यहां बताए गए सभी टेस्ट हर महिला को 40 साल की उम्र करने के बाद, समय-समय पर करवाते रहना चाहिए। लेकिन, महिलाओं को चाहिए कि वे कुछ अन्य टेस्ट भी जरूर करवाएं, जैसे कोलोनोस्कोपी टेस्ट। यह कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे के बारे में बताता है। इसके अलावा, ब्लड ग्लूकोज और हीमोग्लोबिन ए1सी टेस्ट। बढ़ती उम्र में मेटाबॉलिज्म से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं, जो कि डायबिटीज और प्री-डायबिटीज के रिस्क को बढ़ा देता है।
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