Malaria Fever: खूनी मलेरिया की चपेट में कानपुर शहर! अस्‍पतालों में बढ़े मरीज, जानें इससे बचाव के उपाय

कानपुर शहर में मलेरिया के परजीवी दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। शहर के अस्‍तपालों में कई मरीजों में मलेरिया की गंभीर स्थिति देखी गई है, जिनका इलाज किया जा रहा है।
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Malaria Fever: खूनी मलेरिया की चपेट में कानपुर शहर! अस्‍पतालों में बढ़े मरीज, जानें इससे बचाव के उपाय


कानपुर शहर में फैली गंदगी और जलभराव के कारण आसपास के इलाकों में मच्‍छरों की भरमार हो गई है। इससे मच्‍छर जनित रोगों के फैलने की संभावना बढ़ गई है। हालांकि डेंगू के कई मामले पहले ही सामने आ चुके हैं, अब दबे पांव खूनी मलेरिया यानी प्‍लाज्‍मोडियम फाल्‍सीपेरम ने भी शहर में दस्‍तक दे दी है। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की मानें तो इस मलेरिया बुखार ने अब तक 5 लोगों को अपनी गिरफ्त में ले चुका है, जिन्‍हें एलएलआर हॉस्पिटल (हैलट) में भर्ती कराया गया है। दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक, शहर के ज्‍यादातर अस्‍पतालों में मलेरिया के मरीज भर्ती कराए जा रहे हैं। कानपुर के सरकारी और प्राइवेट अस्‍पतालों में मरीजों की संख्‍या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

 

एलएलआर हॉस्पिटल में मे‍डिसिन विभाग की एचओडी प्रोफेसर ऋचा गिरी के मुताबिक, अस्‍पताल में भर्ती खूनी मलेरिया से ग्रसित दो मरीजों की किडनी पर भी असर पड़ा है। उनकी तिल्ली बढ़ने से खून की रेड ब्लड सेल यानी आरबीसी टूटकर किडनी में जमा हो जाती है। संक्रमण होने से पेशाब में खून आने लगता है। इससे किडनी फेल होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में डायलिसिस करानी पड़ती है। 

वहीं खूनी मलेरिया से ग्रस्‍त 3 मरीजों के मस्तिष्‍क पर भी असर पड़ा है। मलेरिया के परजीवी रक्त के माध्यम से दिमाग में पहुंचने पर सूजन आ जाती है। जिससे झटके और बेहोशी होने की संभावना बढ़ने लगती है। गंभीर स्थिति में खूनी पेचिश और उल्टियां भी आने लगती हैं। मरीज धीरे-धीरे कोमा में जाने लगता है। इलाज में लापरवाही से मरीज की मौत भी हो सकती है।

क्‍या है प्‍लाज्‍मोडियम फाल्‍सीपेरम 

यह मलेरिया का ही एक रूप है। गंभीर मलेरिया विशेष रूप से प्‍लाज्‍मोडियम फाल्‍सीपेरम के कारण होता है और आमतौर पर संक्रमण के बाद 6-14 दिन रहता है। इस प्रजाति से मलेरिया फैलने के बाद पीड़ित या तो कोमा में जा सकता है या फिर कुछ घंटों/दिनों के भीतर उसकी मृत्यु हो जाती है। सबसे अधिक मलेरिया भी इसी परजीवी के माध्यम से फैलते हैं। 

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मलेरिया वाइवैक्स की मामले आए सामने 

कानपुर के GSVM मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों के मुताबिक, ओपीडी में आए कई मरीजों के खून के नमूने की जांच में मलेरिया वाइवैक्स की पुष्टि हुई है। वहीं पांच मरीजों में खूनी मलेरिया की भी पुष्टि हुई है, जो खतरे की घंटी है। मरीजों की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती किया गया है।

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इससे बचाव के तरीके 

  • साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  • मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
  • मच्छरों से दूर रहें। 
  • शरीर को ढक कर रखें
  • पूरी बांह के कपड़े पहनें।
  • घर के आसपास जलभराव न होने दें।

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