मलेरिया एक जानलेवा वेक्टर-जनित रोग है। यह मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से परजीवी के माध्यम से फैलता है, जिसे "मलेरिया वैक्टर" कहा जाता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2017 में 87 देशों में 210 मिलियन मामले दर्ज हुए और इसमें से 4,35,000 मरीजों की मौत हो गई। इनमें से 92% मामले और 93% मारे गए लोग अफ्रीकी क्षेत्र से थे।
भारत में, हालांकि, मामलों की संख्या में 24% की कमी आई है। विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2018 के अनुसार 2016 की तुलना में यह 3 मिलियन कम है। दुनियाभर के सिर्फ 4% मलेरिया रोगी अब भारत में हैं। दुनियाभर में मलेरिया रोगियों की संख्या में 2010 के बाद से सतत गिरावट आई है। हालांकि, 2017 में इसमें 219 मिलियन की वृद्धि हुई।
मलेरिया के मच्छर मुख्य रूप से शाम को सक्रिय रहते हैं और बारिश के मौसम में और इसके अलावा अनुकूल संचरण अवधि में भी इनकी सक्रियता चरम पर होती है। यह रोग पुरुषों और महिलाओं को बराबरी से प्रभावित करता है और बच्चों में होने वाली मौतों का एक बड़ा कारण भी है। यह शिशुओं के लिए घातक है यानी 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए, खासकर उनकी कम प्रतिरक्षा के कारण। 2006 में लगभग 2,85,000 बच्चों की मलेरिया के कारण मृत्यु हो गई।
मलेरिया के प्रकार
वैसे तो प्लास्मोडियम परजीवी की पांच प्रजातियां हैं, लेकिन, सभी असुरक्षित नहीं हैं। मनुष्यों के लिए जो खतरनाक हैं, वह इस प्रकार हैं-
प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम
अफ्रीका में सबसे आम मलेरिया परजीवी है, और दुनिया में सबसे अधिक मौत का कारण बनता है। यह परजीवी तेजी से पनपता है। इसकी वजह से रक्त को गंभीर नुकसान पहुंचता है और रक्त वाहिकाओं को अवरुद्ध करता है।
पी विवैक्स
उप-सहारा अफ्रीका के क्षेत्र में पाया जाता है, विशेष रूप से एशिया और लैटिन अमेरिका में। यह संक्रमण आमतौर पर सुप्त रहता है लेकिन कई महीनों या वर्षों बाद भी इसके उदय और संक्रमित करने की क्षमता होती है। कैसा हो मलेरिया में खान-पान
मलेरिया के लक्षण
मलेरिया के लक्षण फ्लू से मिलते-जुलते हैं। लेकिन, मलेरिया के मामले में, यह काटने के 10 से 15 दिनों के बाद दिखाई देता है। कुछ लक्षण इस प्रकार हैं-
- मध्यम से गंभीर कंपकंपी से ठंड लगना
- तेज बुखार
- पसीना
- सिरदर्द
- उल्टी
- दस्त
गंभीर मामलों में लक्षण इस प्रकार है:
- पीलिया
- गहरे रंग का पेशाब या सीमित उत्पादन
- दौरे पड़ना
- बेहोशी
बच्चों में गंभीर मलेरिया के मामले में, यह एनीमिया, या कई लाल रक्त कोशिकाओं के नुकसान की ओर ले जाता है और सांस लेने में भी परेशानी का कारण बनता है।
मलेरिया से बचाव
बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदमः
- शाम और रात में लंबी आस्तीन के शर्ट और पतलून पहनकर सोएं
- मच्छर भगाने वाले रेपलेंट, स्प्रे और मच्छरदानी वाले बिस्तर का इस्तेमाल करें
- इंसेक्ट रेपलेंट लगाने से पहले सनस्क्रीन लगाएं
- बाहर सोने और कमरे की खिड़कियां खोलने से बचें
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मलेरिया का इलाज
मलेरिया से बचाव का कोई टीका नहीं है लेकिन कुछ एंटी-मलेरिया दवाएं हैं जो बीमारी होने की संभावना को कम कर सकती हैं। य़े हैं-
- क्लोरोक्विन
- आर्टेसुनेट कॉम्बीनेशन थैरेपी
- क्विनिन सल्फेट
- मेफ्लोक्विन
हालांकि, ये केवल एक डॉक्टर से परामर्श करने के बाद लिया जाना चाहिए, जो सटीक खुराक और उसे लेने का तरीका निर्धारित करेगा। प्राकृतिक रूप से मलेरिया का इलाज
भारत सरकार मलेरिया को रोकने और खत्म करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है। 2017 में, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने मलेरिया उन्मूलन (2017-22) के लिए पांच वर्षीय नेशनल स्ट्रेटेजिक प्लान शुरू किया, जिसका लक्ष्य 2030 तक मलेरिया को पूरी तरह से हटाना है। 678 में से 578 जिलों में मलेरिया को 2022 तक समाप्त करने का लक्ष्य है। श्रीलंका, पराग्वे, उज्बेकिस्तान, मालदीव, मोरक्को, आदि कुछ ऐसे देश हैं जिन्हें लगातार तीन साल तक शून्य केस दर्ज करने पर डब्ल्यूएचओ ने मलेरिया-फ्री घोषित किया है।
नोट: यह लेख डॉकप्राइम.कॉम के कंसल्टेंट डॉक्टर साजिद मीर से हुई बातचीत पर आधारित है।
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