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डायबिटीज और अनियमित हार्ट बीट (Atrial fibrillation) के बीच क्या है संबंध? जानें डॉक्टर से

Link Between Diabetes and Atrial Fibrillation : आइए डॉक्टर से जानते हैं कि डायबिटीज और अनियमित हार्ट बीट के बीच क्या लिंक होता है?
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डायबिटीज और अनियमित हार्ट बीट (Atrial fibrillation) के बीच क्या है संबंध? जानें डॉक्टर से


Link Between Diabetes and Atrial Fibrillation : आलिंद फिब्रिलेशन (Atrial Fibrillation) जिसे आसान शब्दों में अनियमित हार्ट बीट की स्थिति भी कहा जा  सकता है। बता दें कि आलिंद फिब्रिलेशन (Atrial Fibrillation) एक प्रकार की हृदय अतालता यानी असामान्य हृदय गति से जुड़ी स्थिति है, जिसमें दिल का ऊपरी हिस्सा (आलिंद) अनियमित और तेज गति से धड़कता है। इससे ब्लड का फ्लो बाधित हो सकता है। बता दें कि आजकल हार्ट से जुड़ी समस्याओं के साथ ही डायबिटीज जैसे क्रोनिक बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि आलिंद फिब्रिलेशन और डायबिटीज के बीच भी कोई संबंध है या नहीं? हमें इस बात की जानकारी डॉ. निरंजन हिरेमथ, अपोलो इंद्रप्रस्थ में वरिष्ठ सलाहकार कार्डियोवास्कुलर और महाधमनी सर्जन (Dr. Niranjan Hiremath, Senior Consultant Cardiovascular and Aortic Surgeon at Apollo Indraprastha) ने दी है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

आलिंद फिब्रिलेशन और डायबिटीज के बीच लिंक है?- Is there a Link Between Atrial Fibrillation and Diabetes

heartbeat and diabetes

कई बार दो बहुत ही अलग दिखने या महसूस होने वाली बीमारियां भी बहुत गहराई से एक-दूसरे से जुड़ी हो सकती हैं। इन्हीं में से एक बीमाई एट्रियल फाइब्रिलेशन (AFib) और दूसरी डायबिटीज की बीमारी है। क्या आपने कभी सोचा है कि यह दो अलग-अलग दिखने वाली समस्याएं, एक दूसरे से जुड़ भी सकती हैं? बता दें कि डायबिटीज को अक्सर मेटाबॉलिज्म से जुड़ी बीमारी और AFib को हृदय ताल असामान्यता के रूप में देखा जाता है। इन दोनों के साथ आने से इंसान को स्ट्रोक, हार्ट फेलियर और प्रणालीगत एम्बोलिज्म (Systemic Embolism) जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

एट्रियल फाइब्रिलेशन हृदय के ऊपरी कक्षों के समकालिक संकुचन को बाधित करता है, जिससे अनियमित ब्लड फ्लो और थक्का बनने की संभावना बढ़ जाती है। इस बीच, डायबिटीज की वजह से सूजन, एंडोथेलियल डिसफंक्शन और धमनी कठोरता (arterial stiffness) को बढ़ावा मिल सकता है। कई स्टडी से पता चलता है कि AFib की शुरुआत में इंसुलिन प्रतिरोध एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें उतार-चढ़ाव वाले ग्लूकोज के स्तर ऑक्सीडेटिव तनाव को ट्रिगर करते हैं और हृदय की विद्युत स्थिरता (electrical stability) बाधित हो सकती है। ऐसे में एट्रियल फाइब्रिलेशन का खतरा बढ़ सकता है।

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कैसे करें बचाव?- How to Prevent

 इसके अतिरिक्त, हृदय अटरिया (Heart Atria)के भीतर डायबिटीज-प्रेरित फाइब्रोसिस (diabetes-induced fibrosis) व्यक्तियों को लगातार फाइब्रिलेशन के लिए प्रेरित करता है। इस स्थिति से बचने के लिए सख्त ग्लाइसेमिक कंट्रोल, सतर्क हृदय संबंधी निगरानी (vigilant cardiac monitoring) और लाइफस्टाइल में बदलाव करने चाहिए। डायबिटीज और AFib रोगियों में बढ़े हुए थ्रोम्बोम्बोलिक जोखिम को देखते हुए, एंटीकोएग्यूलेशन थेरेपी की जरूरत पड़ सकती है।

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अगर आप इस सतही से बचना चाहते हैं, तो लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव कर सकते हैं। इससे शरीर को हार्ट से जुड़ी समस्याओं से बचाया जा सकता है और डायबिटीज की स्थिति को सुधारने में भी मदद मिलती है।

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