तेज दौड़ने, तनाव, व घबराने की स्थिति में आपको हृदय गति तेज हो जाती है। हृदय गति में लगातार बदलाव होना एक सामान्य स्थिति में गंभीर हो सकता है। इस दौरान आपको ज्यादा पसीना आना और कई बार सांस लेने में भी परेशानी हो सकती है। यदि आपकी हृदय गति तेज हो जाती है तो यह किसी समस्या का संकेत हो सकता है। इसे अरिदमिया (arrhythmia) के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थिति में हृदय में ब्लड क्लॉट होने के साथ हार्ट फेलियर व हृदय से जुड़ी अन्य बीमारियों का जोखिम अधिक होता है। इस समस्या को आप गैलोपियन हार्टबीट भी कह सकते हैं। इस लेख में आगे आरएन टैगोर अस्पताल मुकुंदपुर के कार्डिएक सर्जन और सीनियर कंसल्टेंट डॉ. ललित कपूर से जानते हैं कि गैलोपियन हार्ट बीट के क्या कारण होते हैं। साथ ही, इस बीमारी में क्या लक्षण महसूस होते हैं।
हृदय गति अनियमित (Atrial fibrillation) होने के कारण
डॉक्टर के अनुसार दिल की धड़कन सामान्य रूप से एक निश्चित दर और ताल में होती है, जिसे साइनस रिद्म कहा जाता है। सामान्य स्थिति में, एक स्वस्थ वयस्क का हृदय प्रति मिनट 60 से 100 बार धड़कता है। जब दिल की धड़कन प्रति मिनट 100 से अधिक हो जाती है, तो इसे गंभीर माना जाता है। अटरियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) के कई संभावित कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ सामान्य कारण आगे बताए गए हैं।
- हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन): हाई ब्लड प्रेशर हृदय की दीवारों को मोटा और कठोर बना सकता है, जिससे हृदय गति अनियमित होने का जोखिम बढ़ जाता है।
- हृदय रोग: कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हार्ट फेलियर, और हार्ट वाल्व समस्याएं भी AFib के प्रमुख कारण हो सकते हैं।
- थायरॉयड डिसऑर्डर: हाइपरथायरायडिज्म (थायरॉयड हार्मोन का अधिक उत्पादन) और हाइपोथायरायडिज्म (थायरॉयड हार्मोन का कम उत्पादन) दोनों ही AFib का कारण बन सकते हैं।
- शराब और कैफीन: अत्यधिक शराब और कैफीन का सेवन भी दिल की धड़कन को अनियमित कर सकता है।
- जेनेटिक कारक: परिवार में किसी व्यक्ति को AFib होना भी इस स्थिति के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हृदय गति अनियमित (Atrial fibrillation) होने के लक्षण
अटरियल फिब्रिलेशन के लक्षण व्यक्ति-व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। कुछ लोग बिना किसी स्पष्ट लक्षण के भी AFib हो सकते हैं, जबकि अन्य लोग विभिन्न प्रकार के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। आगे जानते हैं इस बारे में
- दिल की धड़कन का तेज होना (पैलपिटेशन)
- व्यक्ति को हमेशा थकान रहना
- सांस की तकलीफ
- चक्कर आना और बेहोशी
- सीने में दर्द
- कुछ मामलों में बेचैनी भी हो सकती है, आदि।
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इस समस्या के लिए डॉक्टर ईसीजी, इकोकार्डियोग्राम, स्ट्रेस टेस्ट या ब्लड टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। इस समस्या में डॉक्टर लाइफस्टाइल में बदलाव की सलाह देते हैं। साथ ही, दवाइयों से ठीक करने का प्रयास करते हैं। यह समस्या लगातार बनी रहती है और लक्षण गंभीर होते हैं तो ऐसे में सर्जरी भी की जी सकती है।