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स्ट्रेस के कारण शरीर के कई हिस्से होते हैं प्रभावित, डॉक्टर से जानें इसका सेहत पर असर

How Does Stress Affect Overall Health In Hindi: स्ट्रेस के कारण हमारी किडनी, लिवर और हार्ट पर बहुत असर पड़ता है। आखिर स्ट्रेस इन्हें कैसे प्रभावित करता है? जानें, इस लेख में-
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स्ट्रेस के कारण शरीर के कई हिस्से होते हैं प्रभावित, डॉक्टर से जानें इसका सेहत पर असर

Does Stress Affect Overall Health In Hindi: स्ट्रेस एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। जब हम किसी तरह के चुनौती का सामना करते हैं, तो बॉडी अपने आप स्ट्रेस लेने लगता है। स्ट्रेस का मतलब है तनाव। असल बात ये है कि कुछ हद तक तनाव लेने हमारे शरीर के लिए उपयोगी माना जाता है। वहीं, किसी कारणवश तनाव का स्तर बढ़ जाए, तो इसके कारण हमारे शरीर के कई अंग प्रभावित हो सकते हैं और ओवर ऑल हेल्थ पर नेगेटिव असर पड़ सकता है। आइए, जानते हैं कि तनाव हमारे शरीर को किस तरह प्रभावित करता है और इसकी वजह से हमारा शरीर के कौन-कौन से अंग या कार्यप्रणाली बाधित होती है। इस बारे में हमने क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और सुकून साइकोथैरेपी सेंटर की फाउंडर दीपाली बेदी से बात की।

स्ट्रेस का हमारे शरीर पर असर- How Does Stress Affect Overall Health In Hindi

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स्ट्रेस के कारण प्रभावित होती है किडनी

स्ट्रेस तीन तरह के होते हैं। एक्यूट स्ट्रेस, एपिसोडिक एक्यूट स्ट्रेस और क्रॉनिक स्ट्रेस। जब स्ट्रेस का स्तर सामान्य से बढ़ जाता है, तो इसका नेगेटिव असर हमारे किडनी पर देखने को मिलता है। दरअसल, तनाव लेने के कारण हार्मोनल अंसतुलन हो सकता है। हार्मोन के स्राव को ट्रिगर करने की वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। ध्यान रखें कि ब्लड प्रेशर के कारण ब्लड वेसल्स डैमेज होती है। सही तरह से रक्त प्रवाह न होने के कारण किडनी की कार्यपणाली बाधित होने लगती है। इस तरह देखा जाए, तो स्ट्रेस के कारण किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है।

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स्ट्रेस के कारण हार्ट पैल्पिटेशन होना

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हार्ट पैल्पिटेशन यानी दिल का अनियमित धड़कना। जैसा कि पहले ही जिक्र किया गया है कि एक सीमा तक स्ट्रेस लेना सही होता है। इससे हमारी बॉडी का फाइट एंड फ्लाइट रेस्पॉन्स एक्टिव होता है। लेकिन, कई बार जब हम तनाव के कारण खुद को फंसा हुआ पाते हैं, तो ऐसी स्थिति हमारी दिल की धड़कनें बढ़ सकती हैं, जिससे हार्ट पैल्पिटेशन होने लगता है। असल में, जिस समय हमारा तनाव बढ़ जाता है, तब एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल हार्मोन रिलीज होता है। एड्रेनालाईन के कारण हार्ट रेट बढ़ने लगता है, जिससे हार्ट पैल्पिटेशन होने लगता है।

स्ट्रेस का लिवर पर असर

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स्ट्रेस का लिवर पर भी बुरा असर पड़ता है। खासकर, अगर किसी को पहले से लिवर से संबंधित बीमारी है, तो व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ सकती है। इसमें नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर और लिवर डिजीज शामिल हैं। सवाल है, ऐसा कैसे होता है? एक्सपर्ट की मानें, तो स्ट्रेस के कारण लिवर की सामान्य कार्यप्रणाली पर बुरा असर पड़ता है। तनाव की वजह से लिवर टिश्यूज क्षतिग्रस्त हो सकते हैं और चोट लग सकती है। यही नहीं, स्ट्रेस कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर को बढ़ा देता है, जो लिवर इंसुलिन प्रतिरोध और लिवर में सूजन में योगदान दे सकता है। ऐसे में लिवर में फैट जमने लगता है, जो कि फैटी लिवर का कारण बन सकता है।

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कैसे बरतें सावधानी

स्ट्रेस का स्वास्थ्य पर बुरा असर न पड़े, इसके लिए जरूरी है कि आप तनाव के स्तर को मैनेज करें। ऐसा कैसे कर सकते हैं, आइए जानें-

  1. बहुत ज्यादा तनाव लेने से बचें।
  2. कोई बात लंबे समय से परेशान कर रही है, तो ऐसे में उसके समाधान पर फोकस करें।
  3. स्ट्रेस होने पर अपने दोस्तों, सगे-संबंधियों की मदद लेना लें।
  4. स्ट्रेस को मैनेज करने में मुश्किल आ रही है, तो बेहतर है कि आप एक्सपर्ट की सलाह लें।
All Image Credit: Freepik

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