Who Are More Prone To Cardiac Arrest In Hindi: जब दिल की धड़कनें अनियमित हो जाती हैं, जिस वजह से हृदय की गतिविधियां बंद हो जाती हैं। इसे ही हम कार्डियक अरेस्ट के नाम से जानते हैं। कार्डियक अरेस्ट होने पर व्यक्ति अचानक बेहोश हो जाता है और सांस बंद हो जाती है। इस स्थिति में व्यक्ति को तुरंत ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। अगर समय रहते व्यक्ति को इलाज न मिला, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। कार्डियक अरेस्ट आने पर कार्डियोपल्मनरी रिससिटेशन यानी सीपीआर दिया जाता है। इसके अलावा, हार्ट को ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर की मदद से शॉक दिया जाता है। ऐसे में हार्ट को दोबारा एक्टिव करने पर फोकस किया जाता है। ध्यान रखें कि कार्डियक अरेस्ट आने पर मरजी को जल्द से जल्द इलाज दिया जाना चाहिए। मरीज को बचाए जाने का यही एकमात्र तरीका होता है। बहरहाल, इन स्थितियों से हमें पता चल रहा है कि कार्डियक अरेस्ट जानलेवा है। इसलिए, पहले से ही हमें यह जानकरी होनी चाहिए कि किस तरह के लोगों को कार्डियक अरेस्ट का खतरा ज्यादा रहता है? आइए, जानते हैं इस बारे में मुंबई स्थित लीलावती अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विद्या सूरतकल का कहना है।
कार्डियक अरेस्ट का खतरा किन लोगों को ज्यादा रहता है?
हृदय संबंधी समस्या
कार्डियक अरेस्ट का खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है, जिन्हें कोरोनरी हार्ट डिजीज, हृदय की रिदम में गड़बड़ी, अतालता (Arrhythmia), हार्ट का क्षतिग्रस्त होना या हार्ट फेलियर है। इस तरह के लोगों का हार्ट बहुत कमजोर होता है, सही तरह से ब्लड पंपर करने में समर्थ नहीं होता है। वहीं, हार्ट में सूजन और संक्रमण भी कार्डियक अरेस्ट और हार्ट को क्षतिग्रस्त करने के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं।
बढ़ती उम्र
आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि बढ़ती उम्र भी लोगों में कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ा सकती है। हालांकि, हाल के दिनां में कई युवाओं में हार्ट अटैक के मामले देखने को मिले हैं। लेकिन, विशेषज्ञों की मानें, तो बढ़ती उम्र में हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट का जोखिम अधिक होता है। आपको बता दें कि उन्हीं युवाओं में कार्डियक अरेस्ट का रिस्क ज्यादा होता है, जिनके मेडिकल हिस्ट्री में यह समस्या मौजूद है। इसके अलावा, बढ़ती उम्र के साथ-साथ कोरोनरी हार्ट डिजीज और अन्य हृदय संबंधी समस्या का रिस्क भी बढ़ जाता है।
लिंग
विशेषज्ञों का दावा है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक कार्डियक अरेस्ट का जोखिम होता है। वहीं, जिन महिलाओं को मेनोपॉज हो चुका है, वे भी कार्डियक अरेस्ट के रिस्क में रहती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पुरुषों कार्डियवास्कुलर डिजीज अधिक होता है, क्योंकि महिलाओं और पुरुषों के हार्मोंस में फर्क होता है। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में एस्ट्रोजन का स्तर कम होता है। इसके अलावा, पुरुषों की कुछ बुरी आदतें, जैसे स्मोकिंग करना, बहुत ज्यादा शराब पीना आदि भी कार्डियक अरेस्ट के रिस्क को बढ़ा देती है।
मेडिकल कंडीशन
कई मेडिकल कंडीशन भी ऐसी है, जिसकी वजह से व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट आ सकता है, जैसे डायबिटीज। वहीं, अगर शरीर में इलेक्ट्रोलाइट के स्तर में बदलाव हो तो भी कार्डियक अरेस्ट का रिस्क बढ़ जाता है। इसके अलावा, कुछ दवाइयां भी हार्ट रेट को बढ़ा देती हैं। यही कारण है कि जब भी कोई दवा लंबे समय तक लें, तो बेहतर है कि शरीर में रहे बदलाव पर नजर रखें।
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