Can Diabetes Causes Low Testosteorone In Hindi: आलस और मोटापे के कारण आपको कई समस्याओं का सामाना करना पड़ता है। इसमें आप डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर को शामिल कर सकते हैं। डायबिटीज को आज के समय में एक लाइफस्टाइल डिजीज माना जाता है। शारीरिक गतिविधियों में कमी के कारण मोटापा बढ़ने लगता है, जिसकी वजह से डायबिटीज का जोखिम बढ़ सकता है। डायबिटीज की वजह से नसों को नुकसान पहुंच सकता है, जिसकी वजह से दिखाई देने व प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं की संभावना अधिक होती है। डायबिटीज के कारण शरीर में हार्मोनल बदलाव हो सकते हैं। इसमें टेस्टोस्टेरोन का स्तर भी प्रभावित हो सकता है। टेस्टोस्टेरोन एक पुरुष हार्मोन माना जाता है, जो मांसपेशियों की ग्रोथ, हड्डियों की मजबूती और यौन स्वास्थ्य और एनर्जी को बनाए रखने में मुख्य भूमिका निभाता है। इस लेख में नारायणा अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ गौरव जैन से जानते हैं कि डायबिटीज और लो टेस्टोस्टेरोन (Low Testosterone) के बीच क्या कनेक्शन होता है।
डायबिटीज और टेस्टोस्टेरोन की कमी के बीच संबंध - Connection Between Diabetes and Low Testosterone In Hindi
जब व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन का सही उपयोग नहीं हो पाता है, या सही मात्रा में इंसुलिन का निर्माण नहीं होता है तो ऐसे में ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ जाता है। इससे आपको डायबिटीज की समस्या हो सकती है। इस स्थिति में कई बार कुछ लोगों के टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर प्रभावित होता है। आगे जानते हैं कि कैसे डायबिटीज का असर टेस्टोस्टेरोन हार्मोन पर पड़ता है।
मोटापा और टेस्टोस्टेरोन
टाइप 2 डायबिटीज के अधिकतर पुरुषों में मोटापा पाया जाता है। इस स्थिति में शरीर में अधिक चर्बी, विशेष रूप से पेट के आसपास, टेस्टोस्टेरोन हार्मोन को प्रभावित कर सकती है। जिससे टेस्टोस्टेरोन का स्तर और अधिक कम जाता है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस और हार्मोन असंतुलन
टाइप 2 डायबिटीज में, शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या हो जाती है, जिससे ब्लड में शुगरा का स्तर बढ़ जाता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करने में योगदान कर सकती है, क्योंकि यह हार्मोन उत्पादन से जुड़ी प्रमुख ग्रंथियों (जैसे पिट्यूटरी ग्लैंड और टेस्टिस) पर असर डालती है।
शरीर में सूजन और हार्मोनल बदलाव
डायबिटीज से ग्रस्त लोगों में शरीर में क्रोनिक सूजन (Chronic Inflammation) पाई जाती है, जिससे टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। सूजन हार्मोन उत्पादन करने वाली कोशिकाओं को कमजोर कर देती है, जिससे शरीर पर्याप्त टेस्टोस्टेरोन नहीं बना पाता।
नसों पर बुरा असर पड़ना
डायबिटीज में डायबिटीक न्यूरोपैथी (Diabetic Neuropathy) नामक एक स्थिति पैदा हो सकती है, जिसमें नसें प्रभावित होती हैं। यह समस्या प्रजनन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है और टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम कर सकती है।
तनाव अधिक होना
डायबिटीज वाले लोगों में अवसाद (Depression) और तनाव (Stress) का स्तर अधिक पाया जाता है। लगातार तनाव शरीर में कोर्टिसोल (Cortisol) नामक हार्मोन को बढ़ा सकता है, जो टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करता है।
टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में सुधार के उपाय - How To Prevent Low Testosterone Level In Hindi
- हेल्दी डाइट का सेवन करें। हरी सब्जियां और फल अधिक खाएं, जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
- वजन कम करने से शरीर में इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होता है और टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ सकता है।
- ध्यान (मेडिटेशन) और योग का अभ्यास करें।
- पर्याप्त नींद लें (कम से कम 7-8 घंटे)। इससे तनाव कम होता है।
- डॉक्टर की सलाह पर टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (TRT) ली जा सकती है।
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टेस्टोस्टेरोन कम होने पर व्यक्ति को प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं, थकान, कमजोरी, वजन बढ़ना, चिड़चिड़ापन और हड्डियों का कमजोर होना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं। यदि किसी व्यक्ति को टाइप 2 डायबिटीज है, तो उसके लिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि वह अपने टेस्टोस्टेरोन के स्तर की समय-समय पर जांच करें। हेल्दी लाइफस्टाइल और डाइट से हार्मोनल बदलाव की स्थिति में सुधार किया जा सकता है।