6 घंटे से कम नींद लेने और रात में बार-बार जागने वालों में बढ़ता है माइग्रेन और सिरदर्द का खतरा: शोध

हाल में हुए एक शोध में पाया गया कि नींद में गड़बड़ी माइग्रेन को ट्रिगर कर सकती है। 
  • SHARE
  • FOLLOW
6 घंटे से कम नींद लेने और रात में बार-बार जागने वालों में बढ़ता है माइग्रेन और सिरदर्द का खतरा: शोध


जर्नल के न्यूरोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार आमतौर पर नींद में गड़बड़ी माइग्रेन को ट्रिगर करती है। अध्‍ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि लगभग आधे से ज्‍यादा मरीज, जो माइग्रेन का शिकार होते हैं, उनमें नींद में गड़बड़ी को सिर दर्द के लिए ट्रिगर के रूप में पाया गया।  

अमेरिका में बेथ इज़राइल डेकोनेस मेडिकल सेंटर के शोधकर्ता सुज़ैन बर्टिस्क ने कहा, "नींद बहुआयामी होती है, और जब हम नींद जैसे कुछ पहलुओं को देखते हैं, तो हमने पाया कि नींद की की कमी या नींद में गड़बड़ी, जब कि आप बिस्‍तर में लेटे होते हैं और सोने की कोशिश कर रहे होते हैं, लेकिन सो नहीं पाते। इसका असर तुरंत अगले दिन नहीं, बल्कि कुछ समय बाद में माइग्रेन से रूप में दिखता है।'' 

अध्‍ययन के परिणामों के लिए बर्टिस्क और उनके सहकर्मियों ने एपिसोडिक माइग्रेन वाले 98 वयस्कों का एक गहन अध्ययन किया। जिसमें टीम ने ऐसे लोगों को शामिल किया, जिन्होंने कम से कम दो तरह से सिरदर्द की सूचना दी और महीने के 15 दिन कम से कम सिरदर्द के साथ थे।

Sleep disturbances can trigger migraine

इसे भी पढें: रोजाना 2 सेब खाने से घट सकता है कोलेस्‍ट्रॉल, रिसर्च में हुआ खुलासा

अध्‍ययन में शामिल प्रतिभागियों ने दिन में दो बार इलेक्ट्रॉनिक डायरी पूरी की, जिसमें कि छह सप्ताह के लिए उनकी नींद, सिरदर्द और स्वास्थ्य की आदतों के बारे में जानकारी को दर्ज किया गया। उस समय के दौरान, उन्होंने बिस्तर पर जाते हुए एक कलाई एक्टिग्राफ पहना था, जो कि नींद के पैटर्न को व्यवस्थित रूप से पकड़ने के लिए था।

शोधकर्ताओं की टीम ने माइग्रेन ट्रिगर करने वाले अन्य कारकों का भी डेटा समायोजित किया, जिसमें दैनिक कैफीन का सेवन, शराब का सेवन, शारीरिक गतिविधि, तनाव और बहुत कुछ शामिल हैं। अध्ययन के अनुसार, रात की नींद की अवधि 6.5 घंटे या उससे कम है और खराब नींद की गुणवत्ता से माइग्रेन के तुरंत बाद वाले दिन से जुड़ी नहीं थी। लेकिन आगे चलकर यह माइग्रेन को ट्रिगर कर सकती है।  

इसे भी पढें: 50 की उम्र के बाद महिलाओं के वजन में कमी ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को 26 फीसदी तक कर देती है कमः स्टडी

हालांकि, अध्ययन में कहा गया है कि नींद की गड़बड़ी को इलेक्ट्रॉनिक डायरी और एक्टिग्राफी दोनों के द्वारा मापा गया और एक्टिग्राफी से पता चलता है कि यह माइग्रेन से जुड़ा था। यानि रात को नींद की अवधि (6.5 घंटे से कम) या नींद की गुणवत्ता खराब होना माइग्रेन के खतरे से जुड़ा है।

Read More Article On Health News In Hindi 

Read Next

50 की उम्र के बाद महिलाओं के वजन में कमी ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को 26 फीसदी तक कर देती है कमः स्टडी

Disclaimer