लीन पीसीओएस होने पर महिलाओं को दिख सकते हैं ये 5 लक्षण, न करें नजरअंदाज

लीन पीसीओस महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है। यह पीसीओस का ही एक प्रकार है। आइये जानते हैं इस समस्या से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।
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लीन पीसीओएस होने पर महिलाओं को दिख सकते हैं ये 5 लक्षण, न करें नजरअंदाज

लीन पीसीओस महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है। यह पीसीओस का ही एक प्रकार है। यह हार्मोनल इंबैलेंस से जुड़ी एक समस्या है। इससे पीड़ित महिलाओं की ओवरी में कई सिस्ट यानि गांठें बन जाती हैं। अधिकांश महिलाओ में यह समस्या इनफर्टिलिटी के समय देर से डायग्रोस होती है। जिसे कंट्रोल करना कई बार मुश्किल साबित हो जाता है। चलिए गायनेकोलॉजिस्ट डॉ.सीमा से समझते हैं लीन पीसीओस की समस्या के बारे में। 

मरीजों में डिस्टर्ब रहता है वात और पित्त 

डॉ. सीमा के मुताबिक लीन पीसीओस के मरीजों में शुरुआत से ही वात और पित्त का बैलेंस गड़बड़ देखा जाता है। इसके लिए शरीर में होने वाले वात और पित्त के इंबैलेंस को भी ठीक रखना बेहद जरूरी होता है। यही नहीं, लीन पीसीओस से पीड़ित मरीजों में गट हेल्थ से जुड़ी समस्या भी देखी जाती है। जिसमें कई बार इरिटेबल बॉवेल सिंड्रॉम (IBD), पेट फूलना और कब्ज आदि जैसी समस्या भी देखी जाती है। लीन पीसीओस को नियंत्रित रखने के लिए आपको सबसे जरूरी है कि पित्त और वात को कंट्रोल करके रखें। 

क्या है लीन पीसीओस? 

लीन पीसीओस एक ऐसी समस्या है, जिसमें महिलाओं की ओवरी में छोटी-छोटी गांठें बन जाती हैं। यह नॉर्मल पीसीओस से थोड़ी अलग होती है। इस पीसीओस में कई बार लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं। जर्नल ऑफ ह्यूमन रिप्रोडक्टिव साइंस के मुताबिक पीसीओस के 80 प्रतिशत मामलों में महिलाएं ओवरवेट से पीड़ित होती हैं, लेकिन लीन पीसीओस में यह समस्या केवल 20 प्रतिशत महिलाओं में ही रहती है। 

लीन पीसीओस के लक्षण 

  • लीन पीसीओस होने पर आपको चेहरे पर हेयर ग्रोथ होने जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। 
  • ऐसे में कई बार मेंस्ट्रुअल साइकिल इररेगुलर हो सकती है। 
  • लीन पीसीओस में कई बार बाल पतले हो सकते हैं। 
  • ऐसे में स्किन टैग की भी समस्या हो सकती है। 
  • ऐसे में शरीर के कुछ हिस्सों में कालापन देखने को मिल सकता है। 

लीन पीसीओस से बचने के तरीके 

  • लीन पीसीओस से बचने के लिए आपको सबसे पहले अपने लाइफस्टाइल में सुधार लाने की जरूरत होती है। 
  • इसके लिए आपको नियमित तौर पर एक्सरसाइज करने के अलावां शारीरिक गतिविधियों में भी शामिल रहना चाहिए। 
  • इससे बचने या इससे राहत पाने के लिए आपको मेडिटेशन करने के साथ ही डीप ब्रीदिंग भी करनी चाहिए। 
  • इसके लिए आपको खुद को एजुकेट करना चाहिए और अपना ध्यान रखना चाहिए। 
  • ऐसे में हेल्दी डाइट लेना भी बेहद जरूरी होता है। इसके लिए आप हरी सब्जियां, फल और सीड्स आदि खा सकते हैंं। 

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