यूरोलॉजिस्ट से जुड़ी इमरजेंसी की श्रेणी में आता है पैराफिमोसिस। जमशेदपुर में सीनियर यूरोलॉजिस्ट और साकची में प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे एच सिंह बात कर पता करेंगे कि यह बीमारी किसे होती है, क्यों होती है, इसका उपार आदि। वैसे पैराफिमोसिस की समस्या लिंग से जुड़ी समस्या है, इसमें लिंग की त्वचा में खिंचाव होता है। इस समस्या से पीड़ित लोगों को इमरजेंसी ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ती है।
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पैराफिमोसिस की समस्या क्या है, क्यों होती है यह बीमारी
यूरोलॉजिस्ट बताते हैं कि पैराफिमोसिस हमारे लिंग के आगे की स्किन जिसे फोर स्किन कहा जाता है, वो पीछे की तरफ चली जाती है और अटक जाती है। इस स्थान पर मरीज के लिंग पर सूजन, रेडनेस, पानी का जमा होने जैसी समस्या होती है। इसी को पैराफिमोसिस कहा जाता है।
रिंगनुमा बन जाती है चमड़ी
डॉक्टर बताते हैं कि यह बीमारी सामान्य तौर पर सभी मरीजों को नहीं होती है। क्योंकि लिंग का फोर स्किन जिसका पतला रहता है तो किन्हीं कारणों की वजह से वो पीछे की तरफ चला जाता है। लिंग में (ग्लांस) आगे का हिस्सा थोड़ा मोटा होता है, इस कारण पीछे जा चुकी स्किन आगे की तरफ सामान्य रूप से नहीं आ पाती है। पीछे की तरफ चमड़ी रिंगनुमा आकार में घिर जाती है, वहां पर सूजन होता है, फ्यूड जमा होता है, एडीमा की बीमारी हो जाती है, स्किन आगे नहीं आने से लिंग में दर्द होना, अल्सर की बीमारी होने सहित कई बीमारी की संभावना रहती है। ऐसा होने से लिंग की स्किन काली पड़ सकती है।
जानें किस प्रकार के मरीजों में होती है यह समस्या
यूरोलॉजिस्ट बताते हैं कि यह बीमारी ज्यादातर उन लोगों में होती है जिनके लिंग के फोर स्किन के आगे का हिस्सा पतला होता है। यह बीमारी बच्चों की तुलना में व्यस्कों में ज्यादा देखने को मिलती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जो पहली बार मास्टरबिट करते हैं उनके लिंग का चमड़ा पीछे की ओर चला जाता है, वो शुरुआत में इसपर ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन जब इस समस्या के कारण उन्हें परेशानी होने लगती है तो डॉक्टरी सलाह लेते हैं।
पहली बार सेक्स करने से भी हो सकती है समस्या
यूरोलॉजिस्ट बताते हैं कि उन पुरुषों को भी हो सकती है जो पहली बार संभोग करते हैं। क्योंकि संभोग के दौरान लिंग का स्किन पीछे की ओर चला जाता है और आगे नहीं आता। ऐसे में यदि आपके साथ भी इस प्रकार का लक्षण दिखाई दे तो आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। कई लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं, यदि आप इसे नजरअंदाज करेंगे तो एसटीडी, एडीमा, लिंग में पानी का जमना, दर्द होना, लिंग का काला होना आदि समस्याएं आ सकती हैं।
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डायबिटिक मरीजों में भी होती है बीमारी
यूरोलॉजिस्ट बताते हैं कि कुछ डायबिटिक में भी यह बीमारी देखने को मिलती है। कुछ डायबिटिक मरीजों के लिंग के आगे की चमड़ी का हिस्सा पतला हो जाता है और जब ये पीछे जाकर अटक जाता है तो ये भी पैराफिमोसिस का कारण बनता है।
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छोटे बच्चों में लिंग की चमड़ी नहीं जा पाती पीछे
यूरोलॉजिस्ट बताते हैं कि कुछ छोटे बच्चों के लिंग की चमड़ी पीछे की ओर नहीं जा पाती है। अमूमन ऐसा सात साल के बच्चों की उम्र तक देखा गया है। ऐसे में उनके माता-पिता को लगता है कि उनके पेनिस के आगे का हिस्सा खुल नहीं पाएगा, ऐसे में वो मसाज करने लगते हैं। मसाज करने के कारण लिंग का चमड़ा पीछे की ओर जाकर अटक जाता है, इस वजह से भी पैराफिमोसिस की समस्या होती है।
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पैराफिमोसिस की कैसे करें पहचान
- लिंग की स्किन यदि पीछे की ओर चली जाए
- पीछे की ओर स्किन जाने पर रिंगनुमा आकार बन जाए
- स्किन के रिंगनुमा बनने की वजह से ए़डिमा की बीमारी हो
- लिंग की स्किन में दर्द
- लिंग की स्किन का काला पड़ना
लिंग काटने की भी पड़ सकती है जरूरत
यूरोलॉजिस्ट बताते हैं कि यदि पैराफिमोसिस की बीमारी का इलाज न किया जाए तो लिंग का स्किन पीछे की ओर जाने के कारण वहां रिंगनुमा आकार बन जाता है, उसमें पानी जम जाता है, एडिमा सहित कई प्रकार की बीमारी होती है, स्किन फूलने के साथ पेनिस का शेप खराब होता है, कभी-कभी ग्लांस को काला कर सकती है। यदि बीमारी का शुरुआती स्टेज में इलाज न कराया जाए और इंफेक्शन अधिक फैल जाए तो लिंग को काटने तक की नौबत आ सकती है। इसलिए बीमारी से बचाव को लेकर जल्द से जल्द इलाज करवाना चाहिए।
डोरसोस्लिट कर उपचार
यूरोलॉजिस्ट बताते हैं कि इस बीमारी का डोरसोस्लिट कर उपचार किया जाता है। लेकिन यह उपचार सिर्फ बड़ी उम्र के लोगों के साथ ही किया जाता है, युवा व बच्चों में यह इलाज नहीं किया जाता है। इसमें स्किन की चमड़ी पर चीरा लगाया जाता है। इससे लिंग के टेढ़े होने की संभावना रहती है। इसका परमामेंट ट्रीटमेंट सरकम ट्रीटमेंट कर किया जाता है।
मेडिकल इमरजेंसी है डॉक्टरी सलाह लेना है जरूरी
यूरोलॉजिस्ट बताते हैं कि यह मेडिकल इमरजेंसी की श्रेणी में आने वाली समस्या है, यदि आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए। कई मामलों में ऑपरेशन कर इलाज किया जाता है। घर पर पेरेंट्स या खुद से इलाज करने की गलती न करें, बीमारी में डॉक्टरी परामर्श लेने में देरी न करें, क्योंकि इससे आपकी बीमारी कहीं ज्यादा अधिक बढ़ सकती है।
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