प्रोस्टेट कैंसर आज के दौर की सामान्य बीमारी है। जरूरी है कि समय रहते इससे बचाव किया जाए। यदि नहीं तो आप जानलेवा बीमारी के शिकार हो सकते हैं। यदि बीमारी को नजरअंदाज किया जाए तो यह शरीर के कई हिस्सों में फैल सकती है। एक्सपर्ट बताते हैं कि - बीमारी शरीर के किसी भी हिस्से में फैल सकती है। प्रोस्टेट कैंसर मेटास्टेसिस (prostate cancer metastasis) ज्यादातर शरीर के लिंफ नोड्स और हड्डियों में पाए जाते हैं। तो आइए इस आर्टिकल में हम यूरोलॉजिस्ट (पथरी एवं मूत्र रोग विशेषज्ञ) डॉ. संजय जौहरी से बात कर प्रोस्टेट कैंसर, इससे बचाव, बीमारी कैसे फैलती है सहित तमाम बिंदुओं पर विस्तारपूर्वक जानते हैं। ताकि बीमारी से बचाव किया जा सके।
प्रोस्टेट कैंसर मेटास्टेसिस क्यों होता है
प्रोस्टेट कैंसर मेटास्टेसिस उस स्थिति को कहते हैं जब प्रोस्टेट के ट्यूमर में से सेल्ट टूटते हैं। यही कैंसर सेल्स हमारे शरीर के लिंफेटिक सिस्टम ( lymphatic system) व रक्तकोशिशकाओं से होते हुए विभिन्न अंगों तक जाते हैं।
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सामान्य प्रोस्टेट कैंसर मेटास्टेसिस जो शरीर के इन हिस्सों में हो सकते हैं
- लीवर
- लंग्स (फेफड़े)
- लिंफ नोड्स
- हड्डियों में
शरीर के इन हिस्सों में भी प्रोस्टेट कैंसर मेटास्टेसिस की हो सकती है संभावना
- स्प्लीन (Spleen)
- सलाइवरी ग्लैंड्स (Salivary glands)
- पैंक्रियाज (Pancreas)
- मसल्स
- किडनी
- आंखें
- ब्रेस्ट्स
- दिमाग
- एड्रेनल ग्लैंड (Adrenal glands)
एक्सपर्ट बताते हैं कि यदि आपको प्रोस्टेट कैंसर है व प्रोस्टेट कैंसर मेटास्टेसिस के बारे में चिंतित हैं तो आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। अपने प्रोस्टेट के रिस्क को लेकर डॉक्टर से बात कर उसके ट्रीटमेंट की ओर रूख करना चाहिए।
क्या है प्रोस्टेट कैंसर, जानें कैसे करें इससे बचाव
पथरी एवं मूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय जौहरी (टाटा मेन हॉस्पिटवल में पूर्व सीनियर यूरोलॉजिस्ट) बताते हैं कि प्रोस्टेट ग्लैंड पुरुषों में पाए जाने वाला अखरोट की साइज का एक ग्लैंड होता है। यह पेशाब की थैली के नीचे, पेशाब की नली को घेरे होता है। जैसे-जैसे किसी की उम्र बढ़ती है इसके साइज में परिवर्तन आता है। इस कारण पेशाब की नली को चारों ओर से दबाता है। इसे प्रोस्टेट कैंसर का बड़ा होना या फिर बीपीएच - बेनानइन प्रोस्टेट हायपरप्लेसिटा (Benign prostatic hyperplasia) कहते हैं, जो कैंसर नहीं है। 50 वर्ष की उम्र तक लगभग 40 फीसदी पुरुषों को और 70 साल की उम्र तक लगभग 60 फीसदी पुरुषों को प्रोस्टेट ग्लैंड (बीपीएच) की समस्या होती है। यदि समय पर इसका उपचार कराया जाए तो बीमारी का कारगर इलाज संभव है। यह बीमारी जानलेवा नहीं है, ठीक इसके विपरीत प्रोस्टेट कैंसर जानलेवा बीमारी है। यह प्रोस्टेट में होने वाला खरनाक गांठ हैं।
दूसरा जानलेवा कैंसर में आता है प्रोस्टेट कैंसर
सीनियर यूरोलॉजिस्ट डॉ. संजय जौहरी बताते हैं कि तमाम कैंसर की बीमारी में यह दुनिया के सबसे खतरनाक कैंसर की श्रेणी में दूसरा कैंसर होता है। हर छह में से एक व्यक्ति को प्रोस्टेट कैंसर की बीमारी के होने की संभावना होती है। प्रोस्टेट कैंसर बहुत धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी है। देखा गया है कि कई बार इस बीमारी से ग्रसित होने पर मरीज को पता भी नहीं चलता है।
शुरुआती स्टेट में बीमारी का पता चलना है जरूरी
सीनियर यूरोलॉजिस्ट डॉ. संजय बताते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर यदि शुरुआती स्टेज में पता चले तो इलाज के बाद करीब 90% लोग दस साल या फिर उससे अदिक समय तक जी सकते हैं। विदेशों में देखा जाता है कि वहां के लोग अधिक शिक्षित होने की वजह से 70 फीसदी प्रोस्टेट कैंसर के मामले शुरुआती स्टेज में ही पता चल जाता है। जबकि भारत में जागरूकता की काफू कमी होती है। भारत में बीमारी को नजरअंदाज करने का 70 फीसदी कारण देखा गया है। प्रोस्टेट कैंसर के मरीज समय पर इलाज नहीं कराने से बीमारी ज्यादा गंभीर हो जाती है और मरीज तीसरे या फिर चौथे स्टेज तक पहुंचते हैं। इस वक्त तक मरीज का सही से इलाज नहीं हो पाता व बीमारी काफी गंभीर होती है।
जानें किस उम्र के लोगों को बीमारी से रहना है सतर्क
मूत्र एवं पेशाब रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय जौहरी बताते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर की बीमारी 40 साल से पहले के उम्र के लोगों में रेयर देखने को मिलता है। लेकिन 65 फीसदी बीमारी से ग्रसित लोग 65 साल या फिर 70 साल के बीच के उम्र के लोग इलाज व परामर्श लेने के लिए आते हैं। भारत में लोगों को बीमारी को नजरअंदाज करने की वजह से 70 फीसदी केस लेट होने पर पकड़ में आते हैं। जरूरी है कि मरीजों को बीमारी को लेकर काफी सतर्क रहना होगा। ताकि शुरुआती स्टेज में ही बीमारी का पता लगाकर इससे बचाव किया जा सके।
जानें किन लोगों को यह बीमारी होने की है अधिक संभावना
अनुवांशिक कारणों से बीमारी की संभावना : एक्सपर्ट बताते हैं कि यदि परिवार में पिता, भाई को प्रोस्टेट कैंसर की बीमारी है तो रिस्क डबल हो जाता है। यदि परिवार में दो या दो से अधिक लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं तो उस परिवार के तमाम सदस्यों को काफी सतर्क रहने की आवश्यकता है। ताकि बीमारी से बचाव किया जा सकें। ऐसे लोगों को समय-समय पर यूरोलॉजिस्ट से सलाह लेना चाहिए।
रिस्क फैक्टर्स पर नजर
- मोटापा
- शिथिल जीवनशैली, जैसे एक्सरसाइज, वॉकिंग न करना, दिनभर सोए रहना
- अधिक मांसाहारी भोजन खाना
- सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज- (Sexually Transmitted Diseases) होने से
- शरीर में विटामिन डी की कमी से
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जानें इस बीमारी का क्या है लक्षण, ताकि समय पर इलाज करा सकें
बीमारी के लक्षणों का पता चलते ही डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए। यदि ऐसा न हो तो बीमारी शरीर में फैल कई अंगों को प्रभावित कर सकती है। सीनियर यूरोलॉजिस्ट डॉ. संजय बताते हैं कि शुरुआती स्टेज में प्रोस्टेट कैंसर व प्रोस्टेट ग्लैंड का नॉर्मल बढ़ना (बीपीएच) के लगभग एक ही लक्षण होते हैं। बीमारी का समय पर इलाज न किया जाए तो पेशाब आना रूक जाता है, वहीं कई केस में किडनी में खराबी की समस्या हो जाती है। बार-बार पेशाब जाने से इंफेक्शन होने का खतरा अधिक रहता है। वहीं बीमारी के अन्य लक्षण जैसे :
बीमारी के शुरुआती लक्षण;
- पेशाब आखिरी में टप-टप कर चूना
- पेशाब पर कंट्रोल न रहना
- कभी-कभी पेशाब में खून आना
- बार-बार पेशाब होना, रात में पेशाब करने के लिए कई बार उठना
- पेशाब रूक-रूक कर होना
- पेशाब की धार धीमी होना
आखिरी स्टेज में यह दिखते हैं लक्षण
प्रोस्टेट कैंसर जब शरीर में फैल जाता है तब शरीर में इस प्रकार के लक्षण दिखते हैं, जैसे;
- भूख कम लगना
- वजन में एकाएक कमी
- जल्दी थकावट होना
- रीढ़ की हड्डी में दर्द होना या फ्रैक्चर की समस्या
- पेशाब का रूक जाना
- किडनी का खराब होना
जानें क्या करें
डॉ. संजय बताते हैं कि अमेरिकन यूरोलॉजिस्ट एसोसिएशन के अनुसार 55 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को साल में एक बार यूरोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए। यदि परिवार में कोई प्रोस्टेट कैंसर का मरीज है तो उस परिवार में 40 वर्ष के अधिक उम्र के तमाम लोगों को नियमित यूरोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए व जांच करवाना चाहिए।
एक्सपर्ट इन जांच को करवाने की देते हैं सलाह
- डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन (डीआरई- Digital Rectal Exam (DRE) : डॉ. संजय बताते हैं कि इस टेस्ट को करने के लिए डॉक्टर ग्लव्स में लूब्रिकेंट लगाकर मरीज के रेक्टम में अंगुली डालकर जांच करते हैं। वहीं प्रोस्टेट के बढ़ने की जानकारी हासिल करते हैं।
- प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजेन (prostate-specific antigen) : पीएसए एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है। पीएसए प्रोस्टेट ग्लैंड से निकलने वाला एक प्रोटीन है जो प्रोस्टेट की किसी भी बीमारी के होने पर बढ़ जाता है।
- अल्ट्रासाउंड : ऊपर तमाम बीमारी की जांच करने के बाद यदि जरूरत महसूस हो तो एक्सपर्ट प्रोटेट ग्लैंड की बायोप्सी करने की सलाह देते हैं। ताकि कैंसर है या नहीं यह पूरी तरह पुष्टि कर सकें।
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जानें कैसे किया जाता है इलाज
- सीनियर यूरोलॉजिस्ट बताते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर का इलाज उसके ग्वलैंड व स्टेज पर निर्भर करता है। ह कैंसर सबसे पहले रीढ़ की हड्डी में फैलता है।
- यदि कैंसर शुरुआती स्टेज में ही पकड़ा जाए तो ऑपरेशन द्वारा ज़ड़ से ठीक किया जा सकता है। आजकल यह ऑपरेशन लेप्रोस्कोप या फिर रोबोटिक सर्जरी की मदद से किया जाता है।
- बीमारी के स्टेज के अनुसार रेडियोथेरेपी से भी बहुत अच्छा इलाज संभव है।
- यदि बीमारी का पता आखिरी के स्टेज में चले तो पूरे शरीर में बीमारी फैल चुकी होती है। इस कंडीशन में हार्मोनल या कीमो थेरेपी कर मरीज का इलाज किया जाता है, जिसमें बीमारी जड़ से तो ठीक नहीं होती लेकिन इलाज कर मरीज के लाइफ को बढ़ाया जा सकता है
जानें क्या करें ताकि बीमारी से बचा जा सके
- ग्रीन टी, सोया का सेवन करने से काफी हद तक हो सकता है फायदा
- मौसमी सब्जियों व ताजे फलों का सेवन करने से
- रेड मीट का कम से कम सेवन करें
- 55 साल के बाद नियमित यूरोलॉजिस्ट की सलाह लें
- नियमित व्यायाम करें, शरीर को फिट रखने के लिए तंदरूस्त रहें
हमेशा लें डॉक्टरी सलाह
जैसा कि बीमारी के लक्षणों के बारे में बताया कि यदि उस प्रकार के लक्षण आपको भी दिख रहे हैं तो उसे नजरअंदाज करने की बजाय एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए। यदि आपके परिवार में कोई प्रोस्टेट कैंसर या फिर इस बीमारी से पीड़ित है तो डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए। ताकि समय रहते बीमारी का उपचार कर जोखिमों को कम किया जा सके।
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