आजकल की खराब जीवनशैली, तनाव और चिंता महिलाओं के साथ ही पुरुषाें की प्रजनन क्षमता पर भी बुरा असर डाल रही है। पिछले कुछ समय से पुरुषाें के शुक्राणुओं की गुणवत्ता और उनकी संख्या में काफी कमी देखने काे मिल रही है। जिससे पुरुषाें काे बांझपन से लेकर मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। लेकिन आज भी हमारे समाज में पुरुषाें की फर्टिलिटी काे लेकर कई ऐसे मिथक हैं, जिन्हें हम सभी सच मानते हैं। मणिपाल हॉस्पिटल, व्हाइटफील्ड के सलाहकार-आईवीएफ और भ्रूण चिकित्सा की डॉक्टर आरती रामा राव (Dr. Arati Rama Rao, Consultant - Ivf and fetal medicine, Manipal Hospital, Whitefield) से जानते हैं कुछ ऐसे ही मिथकाें की सच्चाई-
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1. धूम्रपान से सिर्फ महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित हाेती है, पुरुषाें की नहीं।
यह हमारे समाज में एक बड़ी अफवाह है कि धूम्रपान से सिर्फ महिलाओं की फर्टिलिटी या प्रजनन क्षमता ही प्रभावित हाेती है, पुरुषाें की नहीं। जबकि धूम्रपान पुरुषाें की फर्टिलिटी काे भी बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। धूम्रपान करने से शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में कमी हाेने लगती है। इतना ही नहीं धूम्रपान करने से शुक्राणु एक साथ चिपकने लगते हैं, सीमन में श्वेत रक्त काेशिकाएं उपस्थिति हाेने लगती है। इसलिए पुरुषाें काे भी धूम्रपान से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। धूम्रपान न सिर्फ आपके स्वास्थ्य के लिए बल्कि आपकी प्रजनन क्षमता काे भी प्रभावित कर सकता है।
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2. उम्र बढ़ने का पुरुषों के शुक्राणुओं की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
एक उम्र के बाद महिलाओं और पुरुषाें दाेनाें के प्रजनन क्षमता में कमी हाेने लगती है। लेकिन पुरुषाें की तुलना में महिलाओं की प्रजनन क्षमता में जल्दी कमी आने लगती है। 44 साल की उम्र के बाद शुक्राणु गर्भधारण करने के लिए स्वीकार नहीं हाे पाते हैं। कुछ मामलाें में गर्भधारण हाे जाता है, लेकिन उनकी फर्टिलिटी उतनी अच्छी नहीं रहती है, जितनी कम उम्र में हाेती है। फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए अच्छा आहार लेना जरूरी हाेता है।
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3. पुरुष के वजन का प्रजनन क्षमता पर काेई प्रभाव नहीं पड़ता है।
जिस तरह से माेटापा महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर प्रभाव डालता है, ठीक उसी प्रकार पुरुषाें की फर्टिलिटी भी माेटापे की वजह से प्रभावित हाे सकती है। कुछ मामलाें में अधिक वजन वाले पुरुषाें काे गर्भधारण में काेई समस्या नहीं आती है। लेकिन अधिकतर मामलाें में बढ़ा हुआ वजन स्त्री और पुरुष दाेनाें की प्रजनन क्षमता पर प्रभाव डाल सकता है। माेटापा बांझपन के साथ ही डायबिटीज, हाइपरटेंशन और हृदय राेग का कारण भी बन गया है।
4. खराब जीवनशैली भी पुरुषाें की फर्टिलिटी काे प्रभावित नहीं करता है।
खराब जीवनशैली कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के साथ ही बांझपन का कारण भी बन सकती है। अत्यधिक शराब का सेवन, अधिक फास्ट फूड खाना, शारीरिक रूप से सक्रिय न रहना जैसे जीवनशैली आपके शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में कमी कर सकता है। स्पर्म काउंट बढ़ाने के लिए अच्छा भाेजन, एक्सरसाइज और अच्छी नींद बहुत जरूरी हाेता है। इससे आपकी प्रजनन क्षमता बिल्कुल सही रहती है और आपकाे बांझपन जैसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।
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5. बांझपन महिलाओं की समस्या है। यह पुरुषाें में नहीं हाेता है।
यह एक आम मिथक हमारे समाज में बहुत लंबे समय से प्रचलित है। अभी भी लोग ऐसा मानते हैं कि बांझपन केवल महिलाओं से संबंधित है। बांझपन एक लिंग विशिष्ट समस्या नहीं है। यह महिलाओं और पुरुषों दोनों में हाे सकती है। पुरुष बांझपन मुख्य रूप से शुक्राणु की गुणवत्ता और मात्रा पर निर्भर करता है।
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6. एक्सरसाइज करने या जिम जाने से सेक्शुअल क्षमता पर बुरा असर पड़ता है।
यह भी एक मिथक है। एक्सरसाइज करने और जिम करने से आप खुद काे फिट और एक्टिव रख सकते हैं। एक्सरसाइज करने से आपकी सेक्शुअल क्षमता पर काेई असर नहीं पड़ता है। लेकिन क्षमता से अधिक एक्सरसाइज करना आपकी फर्टिलिटी पर बुरा असर डाल सकती है। अधिक एक्सरसाइज करने से गर्भधारण में मुश्किल हाे सकती है। इसलिए हमेशा अपनी क्षमातानुसार ही एक्सरसाइज करें, इससे आपकाे काेई परेशानी नहीं हाेगी।
7. तनाव का पुरुषों की फर्टिलिटी पर कोई असर नहीं पड़ता है।
तनाव और चिंता आपके संपूर्ण स्वास्थ्य काे खराब कर सकता है। यह एक मिथक है कि तनाव लेने से पुरुषाें की फर्टिलिटी पर काेई असर नहीं पड़ता है। तनाव और चिंता में रहने से पुरुषाें की प्रजनन क्षमता बुरी तरह से प्रभावित हाेती है। आजकल लाेग डिप्रेशन, स्ट्रेस के शिकार हाे रहे हैं। मानसिक तनाव और अवसाद का फर्टिलिटी पर बुरा असर पड़ता है। इससे शुक्राणुओं की संख्या में कमी आने लगती है और उनकी गुणवत्ता भी खराब हाे जाती है। अपनी फर्टिलिटी काे मजबूत बनाए रखने के लिए स्ट्रेस फ्री रहें।
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