हाल ही में हुए एक अध्ययन में फिर से खुलासा हुआ है कि एंड्रोजन डेप्रिवेशन थेरेपी (एडीटी) अल्जाइमर की बीमारी या डिमेंशिया के खतरे को भी बढ़ा सकती है। एडीटी एक एंटीहार्मोन थेरेपी है, जो अभी तक प्रोस्टेट कैंसर के उपचार में सबसे प्रभावी मानी जाती है।
प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाला गैर त्वचा कैंसर का सबसे आम रूप है और अमेरिका में सबसे ज्यादा पुरुषों की मौत इसी कारण से होती है। एडीटी या हार्मोन थेरेपी प्रोस्टेट कैंसर को फैलने और उसे बढ़ने से रोकने में काफी फायदेमंद है लेकिन इसमें जोखिम रहता है।
इस सप्ताह JAMA में प्रकाशित नए अध्ययन में इस खोज का समर्थन किया गया है। अध्ययन में प्रमाण दिया गया है कि ADT वास्तव में अल्जाइमर रोग या डिमेंशिया के निदान की अधिक संभावना से जुड़ा हो सकता है। अध्ययन में पाया गया कि प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे बुजुर्ग रोगियों के कम से कम 10 वर्षों तक एडीटी के संपर्क में रहने से अल्जाइमर रोग या डिमेंशिया का खतरा बढ़ता हुआ पाया गया है।
एडीटी का अकेले या फिर मल्टीमॉडल थेरेपी के हिस्से के रूप में प्रयोग प्रोस्टेट कैंसर की प्रगति और मृत्यु दर की संभावना को कम करता है। अध्ययन में पाया गया कि इन लाभों के बावजूद ADT हड्डी, यौन और हृदय स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है। ये कारक प्रोस्टेट कैंसर से संबंधित जीवन की गुणवत्ता, कार्यात्मक स्थिति और स्वास्थ्य सेवा को प्रभावित करते हैं।
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वैज्ञानिकों ने एडीटी के संपर्क में रहने से और ज्ञान संबंधी गतिविधियों के बीच संभावित संबंध पर ध्यान दिया, जो एक बढ़ती चिंता का कारण बन रहा है।
पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन द्वारा किए गए अध्ययन को JAMA में इस सप्ताह प्रकाशित किया गया, जिसमें 154,089 पुरुष शामिल हुए। इनमें से 62,330 पुरुषों ने प्रोस्टेट कैंसर के निदान के लिए दो साल के अंदर-अंदर एडीटी का प्रयोग किया था। जबकि अन्य 91,759 लोगों ने ऐसा नहीं किया। जिन प्रोस्टेट कैंसर रोगियों ने एडीटी प्राप्त किया उनमें से 13 प्रतिशत को अल्जाइमर रोग के निदान के लिए उपचार कराना पड़ा जबकि एडीटी नहीं लेने वाले लोगों में यह 9 प्रतिशत रहा था।
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फ्रेमिंघम हार्ट अध्ययन से प्राप्त डेटा के मुताबिक, एडीटी प्राप्त करने वाले प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों में डिमेंशिया का खतरा 22 फीसदी तक बढ़ गया। इसके साथ ही पुरुषों के लिए अल्जाइमर डिमेंशिया का खतरा कुल मिलाकर 12 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
अध्ययन के मुताबिक, एडीटी एंड्रोजन के स्तर को कम कर प्रोस्टेट कैंसर के सेल को बढ़ने से रोकती है। यह आमतौर पर उन रोगियों में उपयोग की जाती है, जो इस बीमारी की एडवांस स्टेज से गुजर रहे होते हैं या फिर उन लोगों में जिनके प्रारंभिक उपचार के बाद इसकी पुनरावृत्ति का जोखिम अधिक होता है।
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