एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि जिन पुरुषों के खून में टेस्टोस्टेरोन का लेवल और ग्रोथ हार्मोन बहुत ज्यादा होता है उनमें प्रोस्टेट कैंसर के खतरे की संभावना बहुत ज्यादा होती है। दो लाख से ज्यादा पुरुषों पर किए गए इस अध्ययन में इन दोनों कारकों से जुड़े पुख्ता सबूत दिए गए कि इनमें संभावित कमी प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को कम कर सकती है।
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य लेखक रूथ ट्रेविस ने कहा, ''विश्व भर में पुरुष फेफड़ों के कैंसर के बाद सबसे ज्यादा प्रोस्टेट कैंसर के शिकार होते हैं और यह कैंसर से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण भी है। लेकिन इस बात का कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि इस जोखिम को कम करने के लिए पुरुषों को किया दिया जा सकता है।''
ट्रैविस ने कहा, ''हम रक्त में वितरित इन दोनों हार्मोन के स्तर का अध्ययन करने में रूचि ले रहे हैं क्योंकि पिछले शोध में बताया गया था कि इनका जुड़ाव प्रोस्टेट कैंसर से हो सकता है। इसके साथ ही ये ऐसे कारक हैं जिन्हें प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को कम करने के प्रयास में संभावित रूप से बदला जा सकता है।''
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शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे 200, 452 पुरुषों का अध्ययन किया। जब यह पुरुष अध्ययन में शामिल हुए तब इन्हें कैंसर नहीं था और यह किसी हार्मोन थेरेपी का हिस्सा नहीं थे।
अध्ययन के मुताबिक, इन पुरुषों से ब्लड सैंपल लिए गए और उनमें टेस्टोस्टेरोन व ग्रोथ फैक्टर-आई (IGF-I) जैसे इंसुलिन नाम के ग्रोथ हार्मोन के लेवल की जांच की गई। शोधकर्ताओं ने सिर्फ रक्त में प्रवाहित मुक्त टेस्टोस्टेरोन के लेवल को जांचा और यह पता लगाने की कोशिश की कैसे यह शरीर को प्रभावित कर सकता है।
वहीं बाद में लिए गए 9, 000 पुरुषों के ब्लड सैंपल से शोधकर्ताओं को हार्मोन के स्तर में प्राकृतिक उतार-चढ़ाव का पता लगाने में मदद मिली। इन सभी पुरुषों पर करीब 6 से 7 साल तक नजर रखी गई और यह देखा गया कि क्या इनमें प्रोस्टेट कैंसर की संभावना पैदा होती है या नहीं। इस समूह में प्रोस्टेट कैंसर के 5,412 मामले दर्ज किए गए और 296 लोगों की मौत इस बीमारी से हुई।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन पुरुषों के रक्त में इन दोनों हार्मोन के सघनता अधिक पाई गई उनमें प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना अधिक पाई गई। अध्ययन में पाया गया कि जिनके रक्त में IGF-I की मात्रा (5 nmol (nanomoles)/L) तक पाई गई उनमें प्रोस्टेट कैंसर की संभावना नौ फीसदी तक बढ़ गई।
अध्ययन में पाया गया कि जिन पुरुषों के रक्त में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा (50 pmol(picomoles)/L) पाई गई उनमें प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना 10 फीसदी तक बढ़ गई।
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शोधकर्ताओं के मुताबिक, जिन पुरुषों में IGF-I का स्तर बहुत ज्यादा था उनमें कम स्तर वाले लोगों की तुलना में प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम 25 फीसदी ज्यादा था।
लंदन में 2019 एनसीआरआई कैंसर कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत अध्ययन के मुताबिक जिन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन स्तर बहुत ज्यादा था उनमें कम स्तर वाले पुरुषों की तुलना में प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना 18 फीसदी अधिक पाई गई।
ट्रैविस ने कहा, ''इस प्रकार के अध्ययन हमें यह नहीं बताते हैं कि क्यों यह कारक प्रोस्टेट कैंसर से संबंधित हैं लेकिन हम जानते हैं कि टेस्टोस्टेरोन प्रोस्टेट के सामान्य वृद्धि और गतिविधियों में एक अहम भूमिका निभाता है। वहीं IGF-I हमारे शरीर में ग्रोथ कोशिकाओं को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।''
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