बच्चों में भी बड़ों की तरह कई तरह के भावनात्मक उतार-चढ़ाव होते रहते हैं, जिसके कारण उनकी मनोदशा कई बार बुरी तरह से प्रभावित होती रहती है। बच्चें हो या बड़े हो हर किसी की जब मनोदशा प्रभावित हो रही होती है तो कुछ न कुछ लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। ऐसे ही बच्चों के मामलों में होता है जिस दौरान बच्चों की मानसिक स्थिति के लक्षण शारीरिक रूप से भी नजर आने लगते हैं। जरूरी नहीं कि बड़ों में ही या एक उम्र के बाद ही चिंता और तनाव बढ़ता है बल्कि आजकल बच्चों में भी चिंता और तनाव की स्थिति बढ़ने लगती है। इसके कई कारण हो सकते हैं जो उन्हें बुरी तरह से प्रभवावित कर सकते हैं। अगर इस दौरान बच्चे के अभिभावक या फिर माता-पिता उनकी स्थिति पर नजर नहीं रखते तो धीरे-धीरे ये स्थिति बच्चे को मानसिक रूप से बीमार कर रही होती है। जिसके कारण एक समय पर बच्चा अवसाद का शिकार हो सकता है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि पैरेंट्स को अपने बच्चों की मनोदशा का ख्याल हमेशा रखना चाहिए और ये जानने की कोशिश करनी चाहिए कि अगर वो खराब मानसिक स्थिति का शिकार हो रहे हैं तो ऐसे में क्या करना चाहिए। एक्सपर्ट का कहना है कि अक्सर माता-पिता को इस बात की जानकारी नहीं होती कि कब बच्चे को मेंटल हेल्थ या मानसिक थेरेपी की जरूरत हो सकती है, जबकि आपको ये जानना जरूरी है। हमने इस विषय पर बात की इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोमेट्रिक असेसमेंट एंड काउंसलिंग की अध्यक्ष और माइंड डिजायनर डॉक्टर कोमलप्रीत कौर से। जिन्होंने बताया कि बच्चों को किन स्थितियों में हो सकती है मेंटल हेल्थ थेरेपी की जरूरत।
खुद के बारे में बुरा महसूस करना
बच्चे हों या बड़े हर किसी को इस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, एक्सपर्ट कोमलप्रीत बताती हैं कि अक्सर बच्चों में भी जब मानसिक स्थिति बुरी तरह से प्रभावित होती है तो उस दौरान वो खुद को बहुत बुरा समझने लगते हैं। बच्चें जब गंभीर तनाव की स्थिति में आ जाते हैं तो ऐसे में उन्हें ऐसा लगने लगता है कि वो दूसरों से काफी बुरे हैं और वो जीवन में आगे कुछ भी नहीं कर सकते हैं।
भविष्य के बारे में गंभीर चिंता करना
एक्सपर्ट कोमलप्रीत का कहना है कि कई बच्चे ऐसे होते हैं जो बचपन से ही अपने भविष्य को लेकर काफी चिंता में रहने लगते हैं। वो हमेशा ये सोचते हैं कि वो आगे चलकर या बड़े होने के बाद कैसे खुद को संभाल पाएंगे या फिर कैसे खुद को सफल बना सकते हैं। ऐसे कई बच्चे होते हैं जो इस कारण अपने मनोदशा को खराब बना रहे होते हैं। जबकि माता-पिता को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि कब बच्चे की मानसिक स्थिति का इलाज करना चाहिए। एक्सपर्ट बताती हैं कि जब बच्चे में इस तरह के लक्षण नजर आएं तो उस दौरान बच्चे को मेंटल हेल्थ थेरेपी की जरूरत हो सकती है।
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हारा हुआ महसूस करना
आपने अक्सर कई अवसाद के शिकार लोगों में ये आदत होती है कि वो हमेशा खुद को हारा हुआ महसूस करते हैं। ऐसे लोग सबसे बात करने के दौरान ये बताते हैं कि वो आगे कुछ भी नहीं कर सकते हैं और वो पूरी तरह से हार गए हैं। ऐसे ही बच्चों के साथ होता है जब वो मानसिक रूप से बीमार होने लगते हैं तो उनमें इस तरह के लक्षण नजर आते हैं और वो खुद को हारा हुआ और खुद को असफल मानते हैं। ऐसी स्थिति में अक्सर बच्चे काफी परेशान रहने लगते हैं और माता-पिता उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं, लेकिन अगर आप ऐसी स्थिति अपने बच्चों में देखते हैं तो जरूरी है कि आप तुरंत अपने बच्चे को मेंटल हेल्थ थेरेपी दिलवाएं या फिर किसी साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें।
नींद की आदतों में बदलाव
ज्यादतर मामलों में किसी की भी नींद तब प्रभावित होती है जब वो किसी चिंता या तनाव की स्थिति से गुजर रहा हो। ऐसे में आपको नींद में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है और रात में कई बार नींद खुल सकती है। ऐसी ही स्थिति आपको बच्चों में भी दिखाई दे सकती है लेकिन कई बार आपको ये लक्षण मामूली लग सकते हैं। जबकि एक्सपर्ट का कहना है कि बच्चों में नींद की गिरावट आना एक सामान्य स्थिति नहीं है बल्कि इससे ये समझा जा सकता है कि आपका बच्चा मानसिक रूप से परेशान हैं। इस स्थिति को देखने के बाद आप ये समझ सकते हैं कि आपके बच्चे को मेंटल हेल्थ थेरेपी की जरूरत हो सकती है। अगर आप इस स्थिति को नजरअंदाज करते हैं तो इससे आपके बच्चे को काफी मानसिक परेशानियां हो सकती है।
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भूख में गिरावट
भूख में उतार-चढ़ाव एक सामान्य प्रक्रिया है लेकिन जब आपका बच्चा चिंता में रहने के साथ भूख की कमी दिखा रहा हो तो ये एक गंभीर समस्या हो सकती है। एक या दो दिनों तक भूख में कमी आना मामूली बात हो सकती है लेकिन जब आपका बच्चा काफी दिनों तक कुछ न खा रहा हो या अपनी सामान्य भूख से भी कम खा रहा हो तो आपको इसपर ध्यान देना जरूरी है। जी हां, अगर आप अपने बच्चे में भूख की गिरावट काफी दिनों तक देखते हैं और आपका बच्चा किसी गहरी चिंता में है तो जरूरी है कि आप उसे किसी साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाएं और मेंटल हेल्थ थेरेपी के लिए बात करें।
(इस लेख में दी गई जानकारी इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोमेट्रिक असेसमेंट एंड काउंसलिंग की अध्यक्ष और माइंड डिजायनर डॉक्टर कोमलप्रीत कौर से बातचीत पर आधारित है)।
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