दिल्ली के धर्मशिला नारायणा अस्पताल में 106 साल की बुजुर्ग महिला शांति देवी की हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी सफलतापूर्वक कर ली गई। इस सफल सर्जरी के बाद परिवार ने खुशी जताई। शांति देवी का इलाज करने वाले डॉक्टर मोनू सिंह का कहना है कि जिस कंडीशन में मरीज आया था उसमें हड्डी को जोड़ना मुश्किल था। उनकी कूल्हे की हड्डी टूटी थी। यह मल्टीपल पार्ट्स फ्रैक्चर था। इसलिए मरीज को बचाने के लिए हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी करनी पड़ी। 106 साल की उम्र में किसी मरीज की हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी करना मुश्किल काम होता है, लेकिन धर्मशिला के डॉक्टरों ने यह कर दिखाया। इस सर्जरी के बाद शांति देवी के परिवार ने डॉक्टरों का शुक्रिया अदा किया। हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी क्या होती, इसकी जरूरत किन परिस्थितियों में पड़ती है और ऐसे मरीजों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इन सभी सवालों के जवाब धर्मशिला अस्पताल में हड्डी विभाग में वरिष्ठ डॉक्टर मोनू सिंह ने जवाब दिए।
घर में गिर गई थीं मां : बेटी
106 साल की शांति देवी की बेटी रितु ने बताया कि उनकी मां घर में चल रही थीं। इसी दौरान वे गिर गईं और उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई। रितु ने बताया कि उनकी मां आठ मार्च को गिरी थीं, 12 मार्च को धर्मशिला अस्पताल ले जाया गया। 13 मार्च को ऑपरेशन हुआ और 17 मार्च को डिस्चार्ज कर दिया गया। रितु का कहना है कि मां हम सभी की लाइफलाइन हैं। उन्हें स्वस्थ देखकर घर में सभी बहुत खुश हैं।
शांति देवी की बेटी ऋतू सिंह ने इलाज करने वाले डॉक्टरों की टीम का दिल से शुक्रिया अदा किया। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने उनकी उम्र को देखते हुए सभी जरूरी कदम उठाए और उनकी जान बचा ली। अभी मां के टाकें कटने हैं और बाद में फिजियोथेरेपी होगी।
ऋतू सिंह ने कहा कि, “मेरी मां की उम्र भले ही ज्यादा है लेकिन वे ज़िन्दगी से भरी हुईं हैं। हम उनके ऑपरेशन के सभी विकल्प तलाशना चाहते थे, हम बस कैसे भी चाहते थे कि वे ठीक हो जाएँ। हमें उन्हें बेहतर स्थिति में देखकर बहुत ख़ुशी हो रही है।“
क्या बोले मरीज का इलाज करने वाले डॉक्टर
ऑर्थरोस्कोपी एंड स्पोर्ट्स मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट मोनू सिंह ने कहा कि मरीज की उम्र ज्यादा होने के कारण उन्हें बहुत सी बीमारियाँ जैसे थाइरॉइड, हाइपरटेंशन, अस्थमा आदि था। ऐसे में एनेस्थीसिया देना बहुत बड़े जोखिम खड़े कर सकता था, इसलिए हमने सर्जरी की। डॉक्टर ने कहा कि अगर किसी नौजवान का हिप रिप्लेस करना होता है तो इस टूट हड्डी को रॉड या पेच से रिप्लेस करते, लेकिन क्योंकि शांति देवी की उम्र ज्यादा थी, इसलिए हड्डी जुड़ने की संभावना कम थी। इसलिए हमने रिप्लेसमेंट को चुना और पूरा जोड़ ही बदल दिया। अब मरीज की हालत बिल्कुल ठीक है।
क्या है हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी (What is Hip replacement surgery)
मेडिकल साइंस में इतनी तरक्की हो गई है किसी सर्जरी को करने के लिए उनका इस्तेमाल किया जा सके। हिप रिप्लेसमेंट में डॉक्टर दर्द वाले हिप जॉइंट को सर्जरी की मदद से आर्टिफिशियल जॉइंट के साथ रिप्लेस कर देते हैं। यह आर्टिफिशियल जॉइंट प्लास्टिक कंपोनेंट्स और मेटल के बने होते हैं। इसकी जरूरत तब पड़ती है जब हिप जॉइंट के दर्द को खत्म करने के लिए इलाज के बाकी सभी तरीके फेल जाते हैं।
डॉक्टर मोनू सिंह ने बताया कि अगर हिप जॉइंट चोट, घिसने या किसी बीमारी की वजह से डैमेड हो जाए तब हिप रिप्लेस किया जाता है। हिप रिप्लेस होने के बाद मरीज आराम से चल फिर सकता है। वह बिना किसी की मदद से अपना काम कर सकता है।
डॉ मोनू ने बताया कि हिप रिप्लेसमेंट में आर्टिफिशियल सरफेस लगा देते हैं। आईबोन के अंदर इंप्लांट होता है जो सीमेंट के साथ हड्डी को पकड़ लेता है और हम गोला रिप्लेस करके दोनों जॉइंट के दोनों सरफेस को बदल देते हैं तो पेशेंट फिर उठने-बैठने चलने लायक हो जाता है। इस आर्टिफिशल जॉइंट की लाइफ लंबी होती है। वह सामान्य जिंदगी को जीता है।
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किन परिस्थितियों में होता है हिप रिप्लेसमेंट
डॉक्टर मोनू के मुताबिक निम्न परिस्थितियो में हिप रिप्लेसमेंट की जरूरत पड़ती है-
- अगर हिप जॉइंट इतनी बुरी तरीके से खराब हो जाएं कि सरफेस को सेलेवेज नहीं कर पाएं तो इसकी जरूरत पड़ती है।
- गठिया के रोग में हिप रिप्लेसमेंट की जरूरत पड़ती है।
- पुराना अर्थराइटिस होकर एकदम घिस जाता है तब हिप जॉइंट रिप्लेस किया जाता है।
- हिप जॉइंट में इतना बुरा फ्रैक्चर हो जाए कि जिसको वापस अपनी जगह नहीं लाया जा पाए तो भी हिप रिप्लेसमेंट किया जाता है।
- ऑपरेशन के बाद हड्डियों को सभी जगह रखने के बाद भी उसका खून का दौरा खत्म हो जाता है, तो वो हड्डी मर जाती है, ऐसी सूरत में भी हिप रिप्लेसमेंट की जरूरत पड़ती है।
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हिप रिप्लेसमेंट के बाद मरीज किन बातों का रखें ध्यान
डॉक्टर मोनू के मुताबिक ऐसे मरीज सामान्य जिंदगी जी सकते हैं। ऑपरेशन के बाद निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- सर्जरी के बाद उन्हें खुद चलते फिरते रखना होता है। ऐसे पेशेंट को जरूरी है कि वे उठें, बैठें और चलें।
- अगर इन मरीजों को बिस्तर पर लिटाकर रखेंगे तो छाती में संक्रमण, यूरिन इनफेक्शन, पैर की नसों में ब्लड क्लॉटिंग हो सकती है।
- ऐसी परेशानियों से पेशेंट की क्वालिटी ऑफ लाइफ बिगड़ती है।
- बार-बार इंफेक्शन होने की वजह से पेशेंट की जान भी चली जाती है। -ऐसे पेशेंट अगर ध्यान नहीं रखते हैं तो एक साल के अंदर उनकी मौत हो जाती है।
- इलाज के बाद मरीज को पैरों और पंजों को चालू हालत में रखें। क्योंकि मांसपेशियां जब चलती हैं तो उनमें खून की पंपिंग होती है।
- ऐसे मरीजों में धमनियों में क्लॉटिंग का खतरा बनता है, तो उससे बचने के लिए पैरों को चलाना जरूरी होता है।
- इन पेशेंट को थोड़ा ऊंचना बैठना होता है। अगर वो नीचे बैठेंगे तो उनको असुविधा होगी। दूसरा अगर चीरा पीछे की तरफ से दिया गया है तो ऐसे में जॉइंट का डिसलोकेशन भी हो सकता है। क्योंकि इनकी मांसपेशियां काफी कमजोर होती हैं।
- अगर चीरा आगे से देकर सर्जरी हुई है तो उसमें डिसलोकेशन का खतरा नहीं होता।
बुज़ुर्ग व्यक्ति के शरीर में सर्जरी बहुत जोखिम भरी होती है, साथ ही ये चुनौतियां निश्चित रूप से दोगुनी हो जातीं हैं अगर मरीज़ की उम्र 100 साल से अधिक हो तो दिक्कतें और बढ़ जाती हैं। 106 साल की शांति देवी को हिप फ्रैक्चर के कारण धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशेलिटी अस्पताल लाया गया, और उन्हें वापस खड़े होने व चलने के योग्य बनाने के लिए हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी करके वापस सामान्य जिंदगी दी गई।
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