ज्यादातर बच्चों की त्वचा पर क्यों दिखते हैं जन्मजात निशान (बर्थमार्क)? डॉक्टर से जानें इसके बारे में सबकुछ

शिशु की त्वचा पर बर्थमार्क किसी बीमारी की निशानी नहीं हैं। इन बर्थमार्क के होने के अलग कारण होते हैं। इनका इलाज संभव है।
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ज्यादातर बच्चों की त्वचा पर क्यों दिखते हैं जन्मजात निशान (बर्थमार्क)? डॉक्टर से जानें इसके बारे में सबकुछ


बर्थमार्क एक ऐसा निशान है जो शिशु को जन्म के समय से होता है। इसलिए इसे जन्म चिह्न भी कहते हैं। यह बर्थमार्क जैसे-जैसे शिशु की उम्र बढती है वैसे-वैसे वह निशान बढ़ता है। हालांकि, आगरा के एएसएन मेडिकल कॉलेज में कंसल्टेंट डर्मटॉलॉजिस्ट डॉ इशिता राका पंडित का कहना है कि यह बर्थ स्थायी और अस्थायी दो प्रकार के होते हैं। जिनमें से स्थायी बर्थमार्क जीवनभर रहते हैं और अस्थायी बर्थमार्क समय के साथ कम हो जाते हैं। यह बर्थमार्क काले, लाल रंग व किसी अन्य रंग के हो सकते हैं। यह चेहरे पर, पीठ पर, गर्दन पर या शरीर के किसी भी अंग पर हो सकते हैं। डॉ. इशिता का कहना है कि जो बर्थमार्क चेहरे पर होते हैं या किसी ऐसी जगह होते हैं जो ऊपर से विजिवल होते हैं उन्हें इलाज करके कम किया जा सकता है। उनकी ग्रोथ को खत्म किया जा सकता है। पर उन बर्थमार्क को पूरी तरह से क्लीन नहीं किया जा सकता है।

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बर्थमार्क का कारण?

भारत में बर्थ मार्क को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। जिसमें कहा जाता है कि मां ने पेट को बार-बार छुआ है, इसलिए बच्चे पर यह निशान आया। हालांकि बर्थमार्क का होने का सही कारण है, इसकी खोज अभी भी चल रही है। लेकिन डॉक्टर इशिता का कहना है कि शिशु में कोशिकाओं (Cells) में असंतुलन की वजह से भी बर्थमार्क होता है। तो वहीं, आनुवांशिक कारण भी बर्थ मार्क का कारण बनते हैं।

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क्या बर्थमार्क किसी बीमारी का संकेत हैं?

इस सवाल के जवाब में डॉ. इशिता कहती हैं कि बर्थ मार्क किसी बीमारी का संकेत नहीं हैं। यह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। लेकिन हां, अगर किसी के चेहरे पर बर्थ मार्क  है तो उसे अपनी खूबसूरती को लेकर शर्मिंदगी महसूस हो सकती है। ऐसे में उस व्यक्ति का आत्मविश्वास डगमगा सकता है। लेकिन यह जरूर देखा गया है कि बर्थ मार्क कुछ गंभीर मामलों में इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं। 

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क्या बर्थमार्क का इलाज संभव है?

डॉ. इशिता का कहना है कि बर्थमार्क का इलाज उनके प्रकार के अनुसार किया जाता है। जिस टाइप का बर्थ मार्क होता है उसी अनुसार उसका इलाज होता है। तो आइए इसके प्रकार के साथ इलाज के बारे में जानते हैं। 

हिमेनजियोमा

डॉ. इशिता का कहना है कि हिमेनजियोमा नामक बर्थमार्क दिखने में लाल रंग के होते हैं। ये ऐसे इसलिए दिखते हैं क्योंकि जिस जगह ये होते हैं वहां, कई छोटी रक्त वाहिकाएं जमा हो जाती हैं, जिस वजह से ये लाल दिखते हैं। यह निशान जन्म के कुछ समय बाद दिख सकते हैं। इसमें स्ट्रोबेरी हिमेनजियोमा और कैवर्नस हिमेनजियोमा दो प्रकार के होते हैं। स्ट्रोबेरी हिमेनजियोमा ऊपर लाल रंग के दिखते हैं। पर कैवर्नस हिमेनजियोमा त्वचा में अंदर तक होते हैं और इनका रंग नीला होता है। 

डॉ. इशिता का कहना है कि जिन बच्चों में हिमेनजियोमा होता है उन्हें हम दवाएं देते हैं, इसका इलाज सर्जरी से नहीं करते। 

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पिगमेंट बर्थमार्क

पिगमेंट बर्थमार्क त्वचा पर किसी एक जगह पर कोशिकाओं के जमा होने से होते हैं। यह तिल या मस्से जैसे दिखते हैं। पिगमेंट बर्थमार्क के भी कई प्रकार हैं। यह बच्चों में हल्के भूरे रंग के भी दिखाई दे सकते हैं। ऐसे बच्चों का इलाज करते समय न्यरो विकारों की भी जांच की जाती है। तो वहीं, मंगोलियन स्पॉट भी बच्चे की त्वचा पर दिखाई देते हैं। यह नीले रंग के हो सकते हैं। जो बर्थमार्क तिल जैसे दिखते हैं उनकी सर्जरी की जाती है। लेकिन डॉक्टर का कहना है कि सर्जरी के बाद भी निशान रह जाता है, उस निशान को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता।

अमूमन बर्थमार्क से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन अगर यह बर्थमार्क त्वचा पर हैं, तो भद्दे लगते हैं। इसलिए मरीज की इच्छानुसार उनका इलाज किया जाता है। 

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