शिशुओं और छोटे बच्चों को कई ऐसी समस्याएं हो जाती हैं जिन पर ना वे खुद ज्यादा ध्यान देते हैं और ना ही माता-पिता इतना ध्यान दें पाते हैं। ऐसे में अगर इन समस्याओं पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाए तो आगे चलकर ये समस्याएं गंभीर रूप ले लेती हैं। उन्हीं में से एक समस्या है कान से कम सुनाई देना। हालांकि बच्चों में इस समस्या का पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि माता-पिता को लगता है कि उनका बच्चा उनकी बातों को अनसुना कर रहा है या उसका ध्यान कही और है। ऐसे में ये समस्या पनपने लगती है और बच्चों को कम सुनाई देने की समस्या बढ़ने सकती है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस ल्ेख के माध्यम से बताएंगे कि बच्चों को कम सुनाई देने के पीछे क्या कारण होते हैं। साथी ही इस समस्या के लक्षण कारण और उपचार के बारे में भी जानेंगे। इसके लिए हमने हीलिंग केयर ईएनटी क्लीनिक नोएडा के ईएनटी स्पेशलिस्ट (एमबीबीएस एमएस) डॉ अंकुर गुप्ता (Dr. Ankur Gupta) से भी कुछ इनपुट्स मांगे हैं। पढ़ते हैं आगे...
बता दें कि हियरिंग लॉस की समस्या शिशुओं से लेकर 4 साल तक की उम्र के छोटे बच्चों में देखी जा सकती है। वहीं अगर स्थान की बात की जाए तो शहरों के मुकाबले गांव के बच्चों को ये समस्या ज्यादा हो सकती है। इससे संबंधित रिसर्च सामने आई है, जिससे ये पता चलता है कि हियरिंग की समस्या केसाथ-साथ बच्चों में सुनने की क्षमता, बच्चे के सीखने की क्षमता, बोलने की क्षमता आदि पर नकारात्मक रूप से प्रभाव पड़ सकता है। रिसर्च पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
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बच्चों में कम सुनाई देने के प्रकार
बता दें कि कम सुनाई देने के कई प्रकार होते हैं। ये प्रकार निम्न प्रकार हैं-
1 - जब बच्चे के बाहरी और मध्य कान तक आवाज नहीं पहुंच पाती है तो परिस्थिति को कंडक्टिव हियरिंग लॉस कहते हैं। बता दें कि ये बेहद आम प्रकार होता है जो किसी भी संक्रमण के कारण हो सकता है। हालांकि ये प्रकार ज्यादा गंभीर नहीं होता है, ऐसे में समय रहते इस समस्या को ठीक किया जा सकता है।
2 दूसरा प्रकार होता है सेंसेरिन्यूरल हियरिंग, जो नर्व डेफनेस के नाम से भी जाना जाता है। इसमें बच्चे की कान की संरचना या सुनने की क्षमता को कंट्रोल करने वाली नसों पर प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार के कारण भी शिशुओं में छोटे बच्चों में हियररिंग लॉस की समस्या हो सकती है। यह समस्या जन्म के समय के आस-पास हो सकती है। साथ ही इस समस्या में हल्की आवाज को ना सुन पाना या कभी ना सुनाई देना जैसे लक्षण सुनाई दे सकते हैं।
3 - अगर तीसरे प्रकार की बात करें तो कुछ बच्चे सेंसेरिन्यूरल हियरिंग और कंडक्टिव दोनों प्रकार की समस्या का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में ये प्रकार मिक्स्ड हियरिंग लॉस प्रॉब्लम कहलाता है। इसमें बच्चे के कम सुनने के पीछे बाहरी या मध्य कान तक आवाज ना पहुंचना और कान की संरचना या सुनने की क्षमता को नियंत्रित करने वाले नसों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना दोनों शामिल हैं।
4 - ऑडिटरी न्यूरोपैथी स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर भी हेयर लॉस का ही एक प्रकार है, जिसमें बच्चे को कम सुनाई देता है। इस स्थिति में आवाज बच्चे के कान तक पहुंचती है लेकिन नस या कान के अंदरूनी हिस्से के क्षतिग्रस्त होने के कारण बच्चे का दिमाग शब्दों को समझने में असमर्थ होता है।
बच्चों के कम सुनाई देने के कारण
बता दें कि बच्चे के कम सुनाई देने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। हालांकि इसका कोई स्पष्ट कारण ज्ञात नहीं है। लेकिन बच्चे को कम सुनाई देने के लिए निम्न कारणों को जिम्मेदार मान सकते हैं।
1 - छोटे बच्चों में या शिशुओं में ये समस्या जेनेटिक हो सकती है यानि यह समस्या यदि परिवार में किसी एक सदस्य को हो रही है तो बच्चे को भी हो सकती है।
2 - बच्चे को कम सुनाई देने के पीछे कुछ संक्रमण भी शामिल होते हैं।
3 - यदि गर्भावस्था के दौरान कोई महिला रूबेला या साइटोमेगालोवायरस से ग्रस्त हो जाती है तो बच्चे को यह समस्या हो सकती है।
4 - दिमाग में सूजन जिसे मैनिंजाइटिस कहते हैं या गले की सूजन के कारण भी बच्चों में कम सनने की समस्या पैदा हो सकती है। इनमें खसरा यानि दाने भी शामिल हैं।
5 - कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं जब बच्चे का समय से पहले जन्म हो जाता है तो ऐसी स्थिति में उसका वजन आम वजन के मुकाबले कम होता है। ऐसे बच्चों को भी हियरिंग की समस्या हो सकती है। इसके अलावा कुछ अन्य समस्याएं जैसे- ऑक्सीजन की कमी, जन्म के समय पीलिया (जॉन्डिस) हो जाना आदि के कारण भी बच्चे को कम सुनाई दे सकता है।
6 - कान से संबंधित कोई बीमारी होने पर भी हियरिंग लॉस हो सकता है। ऐसे में छोटे बच्चों के काम में बैक्स जरूरत से ज्यादा जमने लगता है या किसी द्रव के कान में इकट्ठा होने के कारण भी कम सुनाई देने की समस्या हो सकती है।
7 - यदि किसी बच्चे को अपने आस-पास लंबे समय तक तेज आवाज सुनाई दे तो इसके कारण बच्चे के कानों पर नकारात्मक रूप से प्रभाव पड़ सकता है। इसके कारण भी बच्चों में सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
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शिशुओं और बच्चों में हियरिंग लॉस के लक्षण
अगर शिशु की बात करें तो लक्षण निम्न प्रकार नजर आ सकते हैं-
1 - किसी तेज़ आवाज़ होने पर भी ना चौंकना
2 - किसी के आवाज देने पर ना मुड़ना
3 - एक साल की उम्र में माता-पिता जैसे शब्दों को नहीं बोल पाना।
अगर छोटे बच्चों की बात करें तो लक्षण निम्न प्रकार नजर आ सकते हैं-
1 - सही तरीके से ना बोलता पाना।
2 - किसी भी काम पर ध्यान ना लगा पाना।
3 - टीवी को तेज आवाज में देखना।
4 - कुछ बोलने पर बार-बार क्या-क्या बोलना।
बच्चों का हियरिंग प्रॉब्लम से कैसे करें बचाव
1 - यह समस्या गर्भावस्था के दौरान सही खान पान ना होने के कारण या गर्भावस्था के दौरान तबियत ठीक ना होने के कारण भी हो सकती है। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपनी प्रगनेंसी और डाइट दोनों का ध्यान रखना चाहिए।
2 - ज्यादा छोटे बच्चों को तेज आवाज से दूर रखना चाहिए।
3 - सही समय पर बच्चों को टीके लगवाना चाहिए।
4 - छोटे बच्चों को हेडफोन या ईयरफोन का इस्तेमाल करने से रोकना चाहिए।
5 - बच्चों को तेज आवाज में टीवी देखने से रोकना चाहिए।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि बच्चों में हियरिंग की समस्या आम और गंभीर दोनों कारणों से हो सकती है। ऐसे में माता-पिता को सतर्कता बरतनी जरूरी है। अगर आपके बच्चे को कान में ज्यादा दिक्कत महसूस हो रही है तो ऐसे में पेरेंट्स को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।