Keloid in Hindi: आपने कुछ लोगों की त्वचा पर चोट या घाव के निशान देखे होंगे। यह निशान सामान्य से कुछ अलग नजर आते हैं। इनमें घाव जैसा उभार होता है। इन निशानों को केलोइड कहा जाता है। यह दिखने में भद्दे लगते हैं। ऐसा टिशूज के असाधारण तरीके से फैलने के कारण होता है। त्वचा के जिस हिस्से में केलोइड होता है, वह हिस्सा ऊपर की तरफ उठा हुआ नजर आता है। इससे त्वचा के रंग में भी फर्क देखने को मिलता है। इसका आकार भी फिक्स नहीं होता। यह छोटा या बड़ा हो सकता है। वैसे तो यह नुकसानदायक नहीं माना जाता। लेकिन इसका उपचार कराना जरूरी है। क्योंकि बिना इलाज कराए, यह आपकी त्वचा से नहीं जाएगा। चलिए जानते हैं केलोइड के लक्षण, कारण, इलाज और बचाव के उपाय। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने ओम स्किन क्लीनिक, लखनऊ के वरिष्ठ कंसलटेंट डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ देवेश मिश्रा (Dr. Devesh Mishra) से बात की।
केलोइड के लक्षण- Keloid Symptoms
- त्वचा का उभरा हुआ या खुरदुरा होना।
- जली हुई त्वचा जैसे निशान नजर आना।
- प्रभावित त्वचा में, केलोइड के कारण रंग बदला हुआ नजर आना।
- कुछ मामलों में खुजली या दर्द भी हो सकता है।
केलोइड क्यों होता है?- Keloid Causes
केलोइड के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे-
- जिन लोगों को चिकनपॉक्स हो जाता है, उन्हें केलोइड हो सकता है।
- त्वचा के जलने के कारण केलोइड की समस्या हो सकती है।
- सर्जरी में कट लग जाने के कारण।
- यह समस्या जेनेटिक भी हो सकती है।
- कान या शरीर के किसी हिस्से में पियर्सिंग कराने पर यह समस्या हो सकती है।
केलोइड से बचने के उपाय- Keloid Prevention
- त्वचा को खरोंच या छिलने से बचाएं।
- धूप में निकलने से पहले त्वचा को कपड़े से ढक लें।
- जबरदस्ती पियर्सिंग न कराएं।
- शरीर में टैटू न बनवाएं।
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केलोइड का इलाज- Keloid Treatment
अगर टिशू इंजरी हुई है, तो आपको केलोइड का जोखिम ज्यादा हो सकता है। वहीं बॉडी पियर्सिंग करवा रखी है, तो भी केलोइड जैसी समस्या का खतरा हो सकता है। केलोइड डायग्नोज के लिए डॉक्टर, माइक्रोस्कोप से जांच करते हैं। इसके अलावा बायोप्सी से भी केलोइड की जांच की जाती है। कुछ मामलों में केलोइड का इलाज, दवाओं की मदद से किया जाता है। इसकी दवा को कोर्टिकोस्टेरॉइड शॉट्स कहा जाता है। इसके अलावा क्रायोथेरेपी भी की जा सकती है। इसके अलावा लेजर थेरेपी की मदद से भी केलोइड का इलाज किया जाता है। अगर इनमें से कोई उपाय काम नहीं आते, तो लेजर थेरेपी की मदद ली जाती है।
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