
बच्चे की गतिविधियों पर बचपन से गौर किया जाए, तो पता लगाया जा सकता है कि वो आगे चल कर किस काम को अच्छे से कर सकता है। जैसे कि जो बच्चे शुरू से ही नंबर समझ नहीं पाते और पेंटिंग्स तो बेहतर बनाते हैं वो एक इमोशनल सेंस वाले व्यक्ति बनते हैं। ऐसे बच्चों में कला होती है। वहीं कुछ बच्चे जो फटाफट काउंटिंग करने में माहिर होते हैं या जल्दी-जल्दी जोड़-घटाव करते हैं उनका दिमाग गणित और साइंस में ज्यादा तेज होता है। पर ये सब एक बच्चे के दिमाग में शुरू कैसे होता है? दरअसल ये सब मस्तिष्क का कमाल है और यहीं से इन सब चीजों की शुरुआत होती है। तो आइए विस्तार से समझते हैं दिमाग के इस कमाल को।
बच्चे का मस्तिष्क (Right vs left brain)
साइंस की मानें, तो बड़े होने के साथ बच्चों के दिमाग का विकास बड़ी तेजी से होता है। इस दौरान खास बात ये होती है दिमाग अपनी कुशलताओं और गतिविधियों को बांटने लगता है। ऐसे में ये अलग-अलग गतिविधियों के हिसाब से दिमाग को बांटता है, जिसका अर्थ है कि उनके मस्तिष्क का एक पक्ष प्रमुख है। अगर आप अपनी सोच में अधिकतर विश्लेषणात्मक और व्यवस्थित हैं, तो आपको बाएं दिमाग का कहा जाता है। अगर आप अधिक रचनात्मक या कलात्मक होते हैं, तो आप दाएं दिमाग वाले हैं। यह सिद्धांत इस तथ्य पर आधारित है कि मस्तिष्क के दो गोलार्ध अलग-अलग कार्य करते हैं। मस्तिष्क दाहिने मस्तिष्क की तुलना में अधिक मौखिक, विश्लेषणात्मक और व्यवस्थित है।
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दिशाओं को समझने और घड़ी देखने में जरूरी होता है डिजिटल मस्तिष्क (brain mapping technology)?
डिजिटल मस्तिष्क वो मस्तिष्क है, जो तर्क संगत काम करता है। ये दाहिना वाला मस्तिष्क होता है। इसमें किसी भी गतिविधि को रिएक्शन देने की ताकत होती है। वहीं ये तमाम अन्य तरीकों के फंक्शनल गतिविधियों को करने में भी मदद करता है। जैसे कि
- -दिशाओं को समझना
- -तर्क समझना
- -शोध करना
- -गणित पढ़ना
- -तथ्यों को समझना
- -शब्दों में सोचना

इस तरह अगर आपका बच्चा अगर इन चीजों आसानी से समझ नहीं पाता है, तो आपको चाहिए कि आप उन्हें इसे समझे के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें समझने में मदद करें ये गतिविधियों को आगे करने के लिए आपको उनके बेसिक समझने होंगे। वहीं बच्चों के खान-पान पर ध्यान दें, ताकि वो कमजोर दिमाग वाले न हों।
कलात्मक दिमाग
कलात्मक दिमाग कल्पनाओं से भरा हुआ होता है। उसमें काफी सोच और सहजता होती है। इसमें आपका बच्चा कला के क्षेत्र में आगे होता है। ऐसे बच्चों के लिए मैथ्य और फिजिक्स लगाने की जगह चीजों की कल्पना करना बहुत आसान होता है। जैसे कि
- -अशाब्दिक संकेत समझना
- -भावनाओं का दृश्य समझना
- -पेटिंग करना

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बच्चे का डिजिटल ब्रेन कैसे ठीक करें?
बच्चे का डिजिटल ब्रेन ठीक करने के लिए हर दिन उसे पढ़ने, लिखने या दोनों कामों को करने में थोड़ा प्रोजेक्ट्स करने का कहें। इससे उनका दिमाग चीजों को समझने में आसानी महसूस करता है। वहीं आप कुछ चीजों की और मदद ले सकते हैं। जैसे कि
- -क्रॉसवर्ड और सुडोकू पज़ल्स को सॉल्व करें
- -मेमोरी गेम, बोर्ड गेम, कार्ड गेम या वीडियो गेम खेलें।
- -चीजों को बनाने में ध्यान दें।
- -कंसट्रक्टीव काम करें।
इसके साथ एक चीज और है, जो कि ध्यान रखने वाली है वो ये कि चाहे आप तार्किक या रचनात्मक कार्य कर रहे हों, आप अपने मस्तिष्क के दोनों ओर से इनपुट प्राप्त कर रहे होते हैं। उदाहरण के लिए, बाएं मस्तिष्क को भाषा का श्रेय दिया जाता है, लेकिन दाएं मस्तिष्क आपको संदर्भ और स्वर को समझने में मदद करता है। बाएं मस्तिष्क गणितीय समीकरणों को संभालता है, लेकिन दायां मस्तिष्क तुलना और मोटे अनुमानों के साथ मदद करता है। इस तरह बच्चे के दोनों मस्तिष्क की एक्सरसाइज करवाएं।
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