
आज की तेज-रफ्तार जिंदगी में मल्टीटास्किंग को अक्सर सफलता की चाबी माना जाता है। हम सोचते हैं कि अगर एक साथ कई काम करेंगे तो समय भी बचेगा और काम भी ज्यादा होंगे। ऑफिस में एक ओर प्रेजेंटेशन बनाते हुए ईमेल चेक करना, घर पर किचन का काम करते हुए फोन पर बात करना या पढ़ाई करते हुए सोशल मीडिया स्क्रॉल करना, ये सब हमें सुपर-एफिशिएंट होने का एहसास दिलाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसका असर आपके दिमाग और याददाश्त पर क्या पड़ता है? एक ओर जहां मल्टीटास्किंग हमें बिजी और प्रोडक्टिव दिखाती है, वहीं दूसरी ओर यह हमारे दिमाग की असली क्षमता को धीमा कर देती है। इस लेख में फोर्टिस अस्पताल, बन्नेरघट्टा रोड, बेंगलुरु के मनोचिकित्सा विशेषज्ञ, डॉ. सचिन बालिगा (Dr. Sachin Baliga, Consultant - Psychiatrist, Fortis Hospital, Bannerghatta Road, Bengaluru) से जानेंगे, क्या मल्टीटास्किंग से याददाश्त कमजोर होती है?
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क्या मल्टीटास्किंग से याददाश्त कमजोर होती है? - Is Multitasking Really Harming Your Memory
डॉ. सचिन बालिगा के अनुसार, मानव मस्तिष्क एक समय में कई जटिल कामों को एक साथ नहीं कर सकता। जिसे हम मल्टीटास्किंग कहते हैं, दरअसल वह तेजी से एक काम से दूसरे काम पर ध्यान शिफ्ट करने की प्रक्रिया है। बार-बार यह स्विचिंग दिमाग की एनर्जी को खत्म करती है। जब दिमाग लगातार काम बदलता है तो नई जानकारी को स्टोर करने की क्षमता प्रभावित होती है। यही वजह है कि मल्टीटास्किंग करने वाले लोग अक्सर चीजें भूल जाते हैं, जैसे नाम याद न रहना, सामान खो देना या पढ़ी हुई बात तुरंत भूल जाना। इसे ही ''Absent-mindedness'' कहा जाता है।
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कॉग्निटिव लोड और स्ट्रेस हार्मोन
लगातार मल्टीटास्किंग से दिमाग पर कॉग्निटिव लोड (मानसिक बोझ) बढ़ता है। इससे थकान और तनाव दोनों बढ़ते हैं। जब तनाव बढ़ता है तो कॉर्टिसोल हार्मोन का लेवल भी ऊपर चला जाता है। यही हार्मोन नई जानकारी को लंबे समय तक याद रखने की प्रक्रिया में बाधा डालता है। नतीजा, नई बातें सीखने और उन्हें याद रखने की क्षमता कम हो जाती है।
स्टैनफोर्ड की रिसर्च क्या कहती है?
डॉ. सचिन बालिगा बताते हैं कि स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक लंबे अध्ययन में पाया गया कि मल्टीटास्किंग से याददाश्त और फोकस पर नकारात्मक असर पड़ता है। दिलचस्प बात यह है कि जिन लोगों को पहले से ध्यान और वर्किंग मेमोरी में दिक्कत होती है, वे अधिक मल्टीटास्किंग करते हैं।
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बचाव के लिए क्या करें?
डॉ. सचिन बालिगा बताते हैं कि मल्टीटास्किंग पूरी तरह छोड़ना संभव नहीं है, लेकिन कुछ आसान उपायों से इसके नुकसान कम किए जा सकते हैं-
- नोटिफिकेशन ऑफ करें, क्योंकि लगातार पिंग्स और मैसेज दिमाग को भटकाते हैं।
- माइंडफुलनेस प्रैक्टिस करें, हर काम पर पूरी तरह ध्यान लगाएं।
- फोकस टाइम निकालें और रोजाना कम से कम 1-2 घंटे सिर्फ एक काम पर फोकस करें।
- सिंगल-टास्किंग की आदत डालें और एक काम पूरा करने के बाद ही अगला काम शुरू करें।
निष्कर्ष
मल्टीटास्किंग सुनने में भले ही स्मार्ट वर्क लगे, लेकिन असल में यह दिमाग को ज्यादा थकाता है और याददाश्त को कमजोर करता है। लगातार ध्यान बदलने से हम न तो एक काम सही से कर पाते हैं और न ही जानकारी को लंबे समय तक याद रख पाते हैं। डॉक्टर का मानना है कि अगर हम ''सिंगल-टास्किंग'' की आदत डालें, तो न सिर्फ हमारी प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी बल्कि दिमागी सेहत और मेमोरी भी बेहतर होगी।
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FAQ
क्या मल्टीटास्किंग तनाव बढ़ाती है?
मल्टीटास्किंग से कॉर्टिसोल (Stress Hormone) का लेवल बढ़ सकता है, जिससे थकान, चिड़चिड़ापन और एंग्जायटी बढ़ने लगती है।बच्चों पर मल्टीटास्किंग का क्या असर होता है?
पढ़ाई के दौरान मल्टीटास्किंग करने से ध्यान भटकता है और लर्निंग कैपेसिटी कम हो जाती है। इससे एग्जाम परफॉर्मेंस भी प्रभावित हो सकती है।मल्टीटास्किंग से बचने के लिए क्या करें?
नोटिफिकेशन बंद करें, टाइम-मैनेजमेंट अपनाएं, एक समय में एक काम पर फोकस करें और मेडिटेशन या माइंडफुलनेस प्रैक्टिस करें।
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Sep 24, 2025 19:13 IST
Published By : Akanksha Tiwari