प्रेग्नेंसी का समय हर महिला के जीवन में बेहद खास होता है, यह एक ऐसी अवस्था होती है जब महिला के शरीर और मन में कई तरह के बदलाव होते हैं। इस दौरान केवल मां ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार की उम्मीदें और खुशियां भी एक नए जीवन के आगमन से जुड़ी होती हैं। लेकिन यह समय जितना खूबसूरत होता है, उतना ही संवेदनशील भी होता है। अगर इस दौरान मां के स्वास्थ्य में कोई गड़बड़ी आ जाए, तो चिंता का विषय बन जाता है। ऐसी ही एक स्थिति है गर्भावस्था में पीलिया (Jaundice during pregnancy)।
पीलिया सामान्यतौर पर तब होता है जब शरीर में बिलीरुबिन नामक तत्व का लेवल बढ़ जाता है, जिससे स्किन और आंखें पीली दिखने लगती हैं। लेकिन जब यह समस्या प्रेग्नेंट महिला को हो जाए, तो यह केवल एक सामान्य रोग नहीं रह जाता, बल्कि मां और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए जोखिम भरा हो सकता है। यही कारण है कि जब किसी गर्भवती महिला को पीलिया होता है, तो उसके मन में कई सवाल उठते हैं जैसे कि क्या यह शिशु के लिए खतरनाक है? क्या इससे गर्भपात हो सकता है? इसका इलाज क्या है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने दिल्ली के आनंद निकेतन में स्थित गायनिका: एवरी वुमन मैटर क्लीनिक की सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. (कर्नल) गुंजन मल्होत्रा सरीन (Dr. (Col.) Gunjan Malhotra Sareen, Senior Consultant, Obstetrics and Gynecologist, Gynecology: Every Woman Matters Clinic, located in Anand Niketan, Delhi) से बात की-
क्या गर्भावस्था के दौरान पीलिया खतरनाक हो सकता है? - Is Jaundice Harmful During Pregnancy
पीलिया को हल्के में लेना घातक हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह मां और शिशु दोनों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। गंभीर पीलिया की स्थिति में समय से पहले डिलीवरी की जरूरत पड़ सकती है और यदि बिलीरुबिन का लेवल अत्यधिक बढ़ जाए और इलाज न हो, तो शिशु की गर्भ में ही मृत्यु हो सकती है। यदि मां को हेपेटाइटिस या पीलिया है, तो यह इंफेक्शन शिशु को भी हो सकता है। बिना इलाज के गंभीर पीलिया मां के लिवर को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।
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प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई हार्मोनल और शारीरिक परिवर्तन होते हैं, जिससे महिला की इम्यूनिटी और अंगों की कार्यप्रणाली भी प्रभावित होती है। ऐसे में अगर किसी गर्भवती महिला को पीलिया हो जाए, तो यह सामान्य स्थिति नहीं मानी जाती। पीलिया तब होता है जब खून में बिलीरुबिन नामक पदार्थ का लेवल बढ़ जाता है, जिससे स्किन, आंखें और नाखून पीले दिखने लगते हैं। गर्भावस्था यानी प्रेग्नेंसी में यह स्थिति कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है। विशेष रूप से ICP और हेपेटाइटिस E इंफेक्शन प्रेग्नेंट महिलाओं में शिशु की मृत्यु, समय पूर्व प्रसव या शिशु में जन्मजात जटिलताएं पैदा कर सकते हैं। पीलिया के लक्षणों में ज्यादा खुजली, गाढ़ा मूत्र, पीली स्किन, भूख में कमी और थकान शामिल हैं। ये लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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प्रेग्नेंसी में पीलिया का इलाज - How to reduce jaundice during pregnancy
यदि गर्भावस्था में पीलिया की पहचान समय रहते हो जाए और उचित इलाज मिल जाए, तो मां और शिशु दोनों को गंभीर खतरे से बचाया जा सकता है। इसके इलाज में रोग के कारण के अनुसार दवाइयां दी जाती हैं। साथ ही, मां और भ्रूण की लगातार निगरानी की जाती है, जिसमें अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट और फेटल हार्ट रेट मॉनिटरिंग शामिल है। कई बार स्थिति अधिक गंभीर होने पर 36–38 सप्ताह पर सुरक्षित प्रसव का निर्णय भी लिया जा सकता है। इलाज के साथ-साथ बैलेंस डाइट और स्वच्छता का ध्यान रखना जरूरी होता है। गर्भवती महिलाओं को चाहिए कि वे समय-समय पर प्रसव पूर्व जांच करवाएं और किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज न करें। कुल मिलाकर, गर्भावस्था में पीलिया एक संभावित खतरनाक स्थिति हो सकती है, लेकिन सतर्कता, समय पर निदान और सही चिकित्सा से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
निष्कर्ष
गर्भावस्था में पीलिया एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन समय पर पहचान और सही इलाज से इससे बचा जा सकता है। इसका असर मां और शिशु दोनों पर पड़ सकता है, इसलिए लक्षण दिखते ही डॉक्टर से परामर्श लेना बहुत जरूरी है।
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FAQ
पीलिया के शुरुआती लक्षण क्या हैं?
पीलिया के शुरुआती लक्षणों में सबसे प्रमुख संकेत स्किन, नाखून और आंखों का पीला पड़ना होता है। इसके साथ ही व्यक्ति को ज्यादा थकान, कमजोरी, भूख में कमी, पेट के ऊपरी हिस्से में हल्का दर्द, मूत्र का गहरा रंग दिखाई दे सकता है। कुछ मामलों में मुंह का स्वाद कड़वा हो जाता है और हल्का बुखार भी महसूस हो सकता है। यदि ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि समय रहते पीलिया का इलाज शुरू करना जरूरी होता है ताकि यह गंभीर स्थिति में न बदले।पीलिया कितने दिन में ठीक होता है?
पीलिया कितने दिन में ठीक होगा, यह उसके कारण और व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। सामान्यतौर पर 2 से 3 हफ्तों में ठीक हो सकता है, जबकि कुछ में अधिक समय लग सकता है, कभी-कभी महीनों तक। यदि पीलिया किसी गंभीर लिवर रोग या गर्भावस्था संबंधी समस्या के कारण हो, तो इलाज की अवधि ज्यादा हो सकती है। इलाज के दौरान आराम, बैलेंस डाइट और डॉक्टर की सलाह का पालन करना जरूरी होता है ताकि जल्दी और सुरक्षित रूप से ठीक हुआ जा सके।प्रेग्नेंसी में क्या खाना चाहिए
प्रेग्नेंसी के दौरान संतुलित और पौष्टिक डाइट लेना मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत जरूरी होता है। इस दौरान महिलाओं को फॉलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन्स से भरपूर भोजन लेना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, दही, पनीर, अंडे, दालें, सूखे मेवे, ताजे फल और साबुत अनाज जैसे गेहूं और ओट्स शामिल करें। दिनभर में पर्याप्त पानी पिएं और कैफीन, जंक फूड से बचें।