inverted Lotus Pose: ऊर्द्धव पद्मासन (Urdhva Padmasana) को अंग्रेजी में इनवर्टेड लोटस पोस्चर भी कहा जाता है। यह पूरा शब्द दो भिन्न शब्दों से मिलकर बना है ऊर्द्धव और पदमा। बता दें कि यहां पर पद्म का मतलब कमल का फूल यानी लोटस फ्लावर है और ऊर्द्धव का मतलब ऊपर की तरफ जाने वाला है। इस आसन को करना थोड़ा मुश्किल होता है। इसे सीखने के लिए किसी प्रशिक्षित एक्सपर्ट की जरूरत होती है। कहते हैं कि पुराने समय में योगी अपनी तपस्या के दौरान इस आसन को अपनाते थे। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि ऊर्द्धव पद्मासन करने की विधि (Inverted Lotus Pose Steps) क्या है। साथ ही इसके फायदे और इसके साथ कौन-कौन से सावधानियो को अपनाना चाहिए, यह भी जाएंगे। पढ़ते हैं आगे...
ऊर्द्धव पद्मासन करने की विधि (How to Do Urdhva Padmasana)
सबसे पहले इस आसन को करने से पहले आपको अच्छे से हलासन का अभ्यास होना चाहिए। सबसे पहले जमीन पर मैट बिछाएं और उस मैट पर सीधे लेट जाएं। अपने हाथों को साइड में जमीन पर टिकाएं। अब सांसों को अंदर की तरफ खींचे और अपने दोनों पैर ऊपर की तरफ लेकर जाएं। यह स्थिति हलासन की स्थिति होती है। इस दौरान अपनी कोहनियों को जमीन पर टिकने दें और अपने हाथों से पीठ को सहारा दें। इसके दौरान अपनी सांसो को धीरे से अंदर बाहर की तरफ छोड़ें। अपना संतुलन बनाए रखें। अपने पैरों को मोडें यानी पद्मासन की अवस्था में लेकर आएं। आप अपने हाथों से अपने घुटनों को छुएं और अच्छे से सहारा दें। अगर आपको संतुलन बैठाने में दिक्कत हो रही है तो पीठ को सहारा देने वाले मुद्रा में ही रहे। अपने हाथों को पैरो पर न लेकर जाएं। अब अपनी नाक को केंद्र मानकर अपनी आंखों को नाभि पर दिखाएं। इस अवस्था में तकरीबन 40 से 50 सेकेंड तक रहें। आप अपनी क्षमता के अनुसार भी समय निर्धारित कर सकते हैं। इसके बाद हल्के से अपने पैरों को खोलें और पुरानी अवस्था में लेकर आए। अब फिर से जमीन पर सीधे लेट जाएं। दोबारा से इस प्रक्रिया को दोहराने के लिए तकरीबन एक मिनट का समय लें उसके बाद ही शुरू करें।
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नोट - ऊर्द्धव पद्मासन (Urdhva Padmasana) आसन करने से पहले व्यक्ति को विरासन, हलासन, बालास, सेतुबंधासन आदि की समझ होनी जरूरी है।
ऊर्द्धव पद्मासन से होने वाले लाभ (Urdhva Padmasana Benefits)
जो लोग इस ऊर्द्धव पद्मासन को करते हैं उन्हें कई लाभ होते हैं, जो कि निम्न प्रकार है-
1 - गर्दन की मांसपेशियों में मजबूती आती है।
2 - माइग्रेन की समस्या दूर हो जाती है।
3 - ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में वृद्धि होती है।
4 - मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति होती है।
5 - पेट के सभी अंगों को लाभ पहुंचता है।
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ऊर्जा पद्मासन करने वक्त बरतने वाली सावधानी
जो लोग यह आसन करते हैं उन्हें ध्यान देना चाहिए कि अगर उन्हें हाई बीपी की समस्या है या रीढ़ की हड्डी की समस्या है या सिर में दर्द रहता है तो वे इस आसन को ना करें। इससे अलग यदि उन्हें कभी गर्दन की चोट, कंधे की चोट, घुटने की चोट या टखने की चोट लगी है तो वह इस आसन को करने से बचें। इससे अलग केवल अपनी क्षमता के अनुसार ही आसन करने का समय निश्चित करें। किसी के कहने पर अपने समय को ना बढ़ाएं। यह बेहद कठिन आसन है इसीलिए एक्सपर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों को अपनाएं।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि ऊर्द्धव पद्मासन, रीढ़ की हड्डी, माइग्रेन आदि के लिए बेहद उपयोगी है। ऐसे में इस आसन को करना, एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। लेकिन जैसे कि हमने पहले भी बताया यह कठिन आसन है इसीलिए इसे एक्सपर्ट की देखरेख में ही करें। इससे अलग यदि आप किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं तो इस आसन को अपनी दिनचर्या में जोड़ने से पहले एक बार एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
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