योग की मदद से कई बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। योग न केवल फिट रहने के लिए कारगर है बल्कि यह गंभीर बीमारियों को दूर करने में भी मददगार है। मधुमेह की बीमारी बड़ी तेजी से फैल रही है। ऐसे में योग की मदद से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। बता दें कि योग करने से कोशिकाओं को ऑक्सीजन प्राप्त होती है। ये ऑक्सीजन बीटा सेल्स में नई ऊर्जा का संचार करती है। इसकी मदद से इंसुलिन ज्यादा बनता है। वैसे तो अनुलोम विलोम प्राणायाम वज्रासन, हलासन आदि योग मधुमेह के लिए कारगर है लेकिन हम बात कर रहे हैं अर्धमत्स्येंद्रासन और हलासन की। यह दोनों आसन डायबिटीज में लाभकारी है ।आइए पढ़ते हैं इन आसनों के लाभ, विधि और इनके दौरान बरतने वाली सावधानी के बारे में।
अर्धमत्स्येंद्रासन
चूंकि इस आसन की रचना स्वामी मत्स्येंद्रनाथ ने की थी इसलिए इस क्रिया को अर्धमत्स्येंद्रासन कहते हैं। अगर आपको रीढ़ की हड्डी में कोई शिकायत है या फिर पेट में कोई गंभीर बीमारी है तो इस स्थिति में यह योगा नहीं करना चाहिए। इसे करने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूरी ले लें।
अर्धमत्स्येंद्रासन से होने वाले लाभ
- यह डायबिटीज में लाभकारी है और इसे रोज करने से स्फूर्ति बनी रहती है।
- अगर इसे करने से पीठ, गर्दन, हाथ और नाभि के नीचे भाग एवं छाती में खिंचाव पढ़ें तो घबराए नहीं बल्कि इससे उन अंगों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है और शरीर में उर्जा का संचार होता है।
- कमर पीठ व जोड़ों के दर्द के लिए यह लाभदायक है।
अर्धमत्स्येंद्रासन को करने की विधि
- सबसे पहले दोनों पैरों को लंबा करके बैठ जाएं।
- अब आप बाएं पैर के घुटने से मोड़कर बैठ जाएं।
- दाहिने पैर को घुटने से मोड़कर सीधा रखें। बाएं हाथ से दाहिने पैर का अंगूठा पकड़ें।
- सिर को अपने सीधे हाथ की तरफ मोड़ें, जिससे दाहिने पैर के घुटने के ऊपर बाएं कांधे पर दबाव पड़ें।
- अब अपने हाथ पीठ के पीछे से घुमाकर बाएं पैर के पास ले जाएं।
- अब आपको अपनी थोड़ी और बाया कंधा एक सीध में रखना होेंगे। थोड़े देर इस अवस्था में बैठे रहें। इस प्रक्रिया को दो से तीन बार दोहराएं।
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हलासन (Halasana)
इस आसन में हमें अपने शरीर का आकार हल के समान बनाना होता है। यही कारण है कि इस आसन को हलासन कहते हैं। ध्यान दें, जिन लोगों को रीढ़ से संबंधित परेशानी है या गले में कोई गंभीर बीमारी है तो उन्हें ये आसन नहीं करने की सलाह दी जाती है। और खासकर स्त्रियां इस आसन को एक्सपर्ट की सलाह पर ही करें।
हलासन की विधि
- सबसे पहले शासन की अवस्था में भूमि पर लेट जाएं।
- अब आपको अपने पंजे मिलाने होंगे।
- हथेली को सीधा रखें और अपनी सांस को बाहर छोड़ें।
- दोनों पैरों को एक दूसरे से सटाते हुए पहले 60 और फिर 90 डिग्री का कोण बनाएं। और धीरे-धीरे भूमि से ऊपर ले जाएं।
- अब अपने घुटनों को सीधा रखें और पैरों को ऊपर 90 डिग्री का कोण बनाते हुए ऊपर धीरे-धीरे ले जाएं अब अपनी हथेलियों के सहारे नितंबों को धीरे-धीरे उठाएं और पैरों को सिर के पीछे झुकाते जाएं।
- ध्यान रहे की रीढ़ पर किसी भी तरह का दवाब ना पड़े। धीरे-धीरे अपने पंजों को सिर के पीछे इस तरह से ले जाएं, जिससे वो ज़मीन को छूने लगे। ऐसी स्थिति में थोड़ी देर रहकर धीरे-धीरे वापस लौट आए।
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इस आसन से होने वाले लाभ
- इस आसन को रोज करने से रीढ़ सही स्थिति में बनी रहती है।
- वृद्धावस्था के लक्षण जल्दी नहीं आते।
- डायबिटीज के अलावा यह आसन कब्ज, थायराइड, दमा, सिरदर्द, रक्त-विकार आदि में भी लाभदायक है।
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