अपनी सुंदरता को बनाए रखने के लिए लोग न जाने कितने महंगे प्रोडक्ट खरीद लेते हैं। और जब फायदा नहीं मिलता तो वे अपनी किस्मत समझकर दुखी हो जाते हैं। अगर हम आपसे कहें कि थोड़ी सी मेहनत से आप खोया हुआ रंगरूप पा सकते हैं व खुद को पहले से भी ज्यादा तरोताजा महसूस कर सकते हैं तो क्या आप मानेंगे? ऐसा मुमकिन है। इस लेख में हम आपको नाड़ी शोधन और कपालभाति प्राणायाम से होने वाले लाभ और इनकी विधि बताएंगे। पढ़ते हैं आगे...
नाड़ी शोधन प्राणायाम (Nadi Shodhana Pranayama)
अगर आपकी नाड़ियां शुद्ध और मजबूत हैं तो इससे आपके अन्य अंगो में शुद्धि का संचार होता है। बता दें कि नाड़ी शोधन और अनुलोम-विलोम में कोई खास फर्क नहीं है। प्रदूषित वातावरण के चलते अगर आप अपनी दिनचर्या में योग को जोड़ेगे तो आप ज्यादा तरोताजा महसूस करेंगे। जानते हैं...
नाड़ी शोधन प्राणायाम को करने की विधि (Nadi Shodhana Pranayama Instructions)
- सबसे पहले आप सुखासन में बैठकर कमर सीधी और आंखें बंद कर लें।
- अब अपने सीधे हाथ के अंगठे से दाई नासिका बंद कर पूरी सांस बाहर निकालें।
- अब बाई नासिका से सांस लें, तीसरी अंगुली से बाईं नासिका को भी बंद कर आंतरिक कुंभक करें।
- जितनी देर स्वाभाविक स्थिति में खुद को रोक सकते हैं, रोंके।
- अब नाक से अंगूठा हटाकर सांस को धीरे-धीरे बाहर छोड़ें।
- अब एक से 2 मिनट के लिए बाह्या कुंभक करें।
- इसके बाद फिर दाईं नासिका से उंगली हटाकर सांस को रोकें और बाई तरफ से धीरे-धीरें से निकाल दें।
- इस प्रक्रिया को कम से कम सात से आठ बार करें और धीरे-धीरे इसकी संख्या को बढ़ाएं।
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नाड़ी शोधन प्राणायाम के लाभ (Nadi Shodhana Pranayama Benifits)-
- बता दें कि इस प्राणायाम के रोज करने से सभी प्रकार की नाड़ियों को लाभ मिलता है।
- इससे नेत्र ज्योति बढ़ती है और रंक्त संचार सही रहता है।
- यदि आपको नींद न आने की परेशानी है तो इससे ये समस्या भी दूर हो जाती है।
- यह प्राणायम आपको स्ट्रेस फ्री रखता है और दिमाग को शांत रखता है।
- इससे व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है।
कपालभाति प्राणायम (Kapalbhati Pranayama)
प्राणायामों में कपालभाति को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। बता दें कि इस प्राणायाम को हठयोग में शामिल किया गया है। प्राणायामों में ये सबसे कारगर प्राणायाम माना जाता है। यह तेजी से की जाने वाली प्रक्रिया है। ध्यान दें कि मस्तिष्क के अग्र भाग को कपाल और भाति का अर्थ है ज्योति।
कपालभाति को करने की विधि(Kapalbhati Pranayama Instructions)
- सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठकर सांसों को बाहर छोड़ने की प्रक्रिया करें।
- अब सांसों को बाहर छोड़ते वक्त अपने पेट को अंदर की तरफ खीचें।
- ध्यान रखें कि सांस भीतर लेने के लिए कोई प्रयास नहीं करना है क्योंकि इस प्रक्रिया में सांस खुद ही अंदर चली जाती है।
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कपालभाति को करने से लाभ(Kapalbhati Pranayama Benifits)
- यह प्राणायाम चेहरे की झुर्रियों को कम कर आंखों की रोशनी को बढ़ाता है।
- चेहरे की चमक बरकरार रखता है।
- इससे बालों और दांतों की सभी प्रकार की बीमारियां दूर हो जाती हैं।
- शरीर की चर्बी दूर होती है।
- कब्ज, गैस, एसिडिटी की समस्या दूर हो जाती है।
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