टेस्टिकुलर कैंसर, पुरुषों के टेस्टिकल्स वाले हिस्से में होता है जो अंडकोष के अंदर होता है। टेस्टिकल्स का काम पुरुष हार्मोन को बनाना और स्पर्म बनाना होता है। अगर इसकी पहचान समय रहते की जाए तो इलाज जल्द से जल्द शुरू किया जा सकता है। इस लेख में हम टेस्टिकुलर कैंसर के लिए किए जाने वाले जरूरी टेस्ट पर बात करेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
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टेस्टिकुलर कैंसर क्या है? (Testicular cancer in hindi)
टेस्टिकुलर कैंसर को अंडकोष कैंसर भी कहा जाता है। ये कैंसर 25 से 30 साल की उम्र में पुरुषों में कॉमन होता है। लेकिन ऐसा नहीं हे कि ये इसी उम्र में होगा, ये कैंसर टीनेएजर से लेकर 55 साल की उम्र वाले व्यक्ति को भी हो सकता है। टेस्टिकुलर कैंसर होने पर व्यक्ति में टेस्टिकल्स की मात्रा बढ़ जाती है और टेस्टिकल्स की थैली में भारीपन महसूस होता है, न सिर्फ ये पर पेट खराब होना, अंडकोष में बदलाव महसूस होना भी इस कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।
टेस्टिकुलर कैंसर के प्रकार (Types of testicular cancer)
- टेस्टिकुलर (अंडकोष) कैंसर के कई प्रकार हैं। जिनमें से एक है सेमिनोमास, ये एक तरह का जर्म सेल ट्यूमर होता है जो धीरे-धीरे बढ़ता है। ये ट्यूमर लिम्फ नोड्स में भी शामिल हो सकते हैं।
- दूसरा प्रकार है नॉनसेमििनोमास, जो कि तेजी से बढ़ने वाला जर्म सेल ट्यूमर है और ये शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकता है। तीसरा प्रकार है गोनाडल स्ट्रोमल ट्यूमर, ये ट्यूमर उनमें पाया जाता है जो हार्मोन का उत्पादन करते हैं।
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टेस्टिकुलर कैंसर की जांच (Diagnosis of testicular cancer)
1. शारीरिक जांच (Physical test)
टेस्टिकुलर (अंडकोष) कैंसर का पता लगाने के लिए डॉक्टर शारीरिक जांच करते हैं। जांच के जरिए ये पता लगाया जाता हे कि कहीं कोई गांठ तो नहीं है। फिजीकल टेस्ट के जरिए डॉक्टर ये पता लगाने की कोशिश करते हैं मरीज का चिकित्सा इतिहास क्या है और डॉक्टर ये भी पता लगाते हैं कि कैंसर की फैमिली हिस्ट्री तो नहीं है।
2. सीरम ट्यूमर मार्कर परीक्षण (Serum tumor marker test)
टेस्टिकुलर (अंडकोष) कैंसर का पता लगाने के लिए सीरम ट्यूमर मार्कर परीक्षण किया जाता है। इस प्रक्रिया में कुछ पदार्थ की मात्रा को मापने के लिए ब्लड सैंपल लिए जाते हैं। इन सैंपल को ट्यूमर मार्कर के रूप में जाना जाता है।
3. बायोप्सी (Biopsy)
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बायोप्सी के जरिए कमर में चीरा लगाकर कैंसर कोशिकाओं की जांच की जाती है। बायोप्सी में डॉक्टर स्किन टिशू का छोटा हिस्सा लेते हैं और माइक्रोस्कोप में उसे टेस्ट किया जाता है जिससे ये पता लग सके कि कैंसर है या नहीं।
4. सीटी स्कैन और एक्सरे (CT scan and x-ray)
शरीर के अंदर के अंगों की छवियों को देखने के लिए सीटी स्कैन और एक्सरे किया जाता है।
5. ब्लड टेस्ट (Blood test)
टेस्टिकुलर (अंडकोष) कैंसर का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट भी किया जाता है। ब्लड टेस्ट के जरिए ट्यूमर की मौजूदगी का पता लगाया जाता है।
6. अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
डॉक्टर अल्ट्रासाउंड के जरिए भी टेस्टिकुलर (अंडकोष) कैंसर का पता लगाते हैं। अल्ट्रासाउंड में शरीर के आंतरिक अंग की छवियों को बनाने के लिए ज्यादा ऊर्जा वाली ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है। अल्ट्रासाउंड के जरिए ट्यूमर के साइज का पता चलता है।
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टेस्टिकुलर कैंसर का पता लगाएं सेल्फ एग्जाम के जरिए (Self examination for testicular cancer)
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टेस्टिकुलर कैंसर का पता लगाने के लिए मिरर के सामने खड़े हो जाएं और पेनिस के आसपास के एरिया यानी स्करोटम में सूजन चेक करें, अगर सूजन महसूस होती है तो आपको डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत पड़ सकती है।
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टेस्टिकल्स का साइज और वेट पता करें, इसका साइज नॉर्मल होना चाहिए।
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उंगलियों से टच करके आपको ये दे,खना है कि कहीं किसी प्रकार की सूजन या लंप तो नहीं है।
- इस प्रोसेस को आप हर महीने रिपीट करें जिससे आपको कैंसर के लक्षण का पता पहले ही चल जाए।
सेल्फ एग्जाम के बाद आपको आपको पुष्टि के लिए क्लीनिकल जांच जरूर करवानी चाहिए क्योंकि केवल डॉक्टर आपको सही रिजल्ट बता सकते हैं।
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