टेस्टिकुलर कैंसर पुरुषों के अंडकोष में होने वाले कैंसर को कहते हैं। एक पुरुष के लिए टेस्टिस (अंडकोष) का क्या महत्व है, इसे आप इसी बात से समझ सकते हैं कि यही अंडकोष पुरुषों में सेक्स हार्मोन बनाना है और स्पर्म का प्रोडक्शन भी करता है। इसका अर्थ है कि अगर टेस्टिस में कोई परेशानी आती है, तो व्यक्ति की सेक्शुअल लाइफ पर इसका असर पड़ता है। वैज्ञानिक अभी इस बात के पुख्ता कारणों का पता नहीं लगा पाए हैं कि पुरुषों में टेस्टिकुलर कैंसर आखिर क्यों होता है। लेकिन देखा गया है कि जिन लोगों के अंडकोष का आकार असामान्य होता है, उन पुरुषों को अंडकोष के कैंसर का खतरा ज्यादा होता है।
20 से 40 साल के लोगों को ज्यादा है खतरा
Johns Hopkins Medicine द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार टेस्टिकुलर कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा युवाओं को होता है। आमतौर पर टेस्टिकुलर कैंसर 20 साल से 40 साल की उम्र के लोगों में ज्यादा देखने को मिलता है। औसतन 33 साल की उम्र तक किसी व्यक्ति में इस कैंसर का पता चल जाता है। पिछले कुछ दशकों के आंकड़ों को देखें तो ये पता चलता है कि टेस्टिकुलर के मामले पुरुषों में लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जॉन हॉप्किन्स की इसी रिपोर्ट के अनुसार टेस्टिस कैंसर का खतरा हर 270 में से 1 पुरुष को होगा।
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टेस्टिकुलर कैंसर को ठीक किया जा सकता है
सबसे अच्छी और पॉजिटिव बात ये है कि टेस्टिकुलर कैंसर को ठीक किया जा सकता है और इसके ठीक होने की दर बहुत ज्यादा है। जितने भी पुरुषों में हर साल टेस्टिकुलर कैंसर की पहचान होती है, उनमें से 95% लोग पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। मायो क्लीनिक के अनुसार अगर टेस्टिकुलर कैंसर टेस्टिस से आगे भी फैल गया हो, तो भी इसे ठीक किया जा सकता है। रोग की गंभीरता और कैंसर के हिस्से के अनुसार डॉक्टर्स यह तय करते हैं कि रोगी को कैसा ट्रीटमेंट देना है।
क्या हैं टेस्टिकुलर कैंसर के संकेत और लक्षण
- दोनों अंडों का आपस में छोटा-बड़ा होना यानी अंडकोष का एक तरफ से बड़ा होना और दूसरे तरफ अपेक्षाकृत छोटा होना
- अंडकोष का भारी लगना
- अंडकोष या पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
- अंडकोष में पानी भर जाना
- अंडकोष को छूने या कपड़े पहनने में दर्द महसूस करना
- कमर और पीठ में लंबे समय से दर्द होना
- पुरुषों के ब्रेस्ट का बढ़ जाना और हल्का दर्द महसूस होना
आमतौर पर टेस्टिकुलर कैंसर एक ही अंडे को प्रभावित करता है। लेकिन कई लोगों के दोनों अंडकोष भी इस रोग से प्रभावित हो जाते हैं। अगर किसी व्यक्ति को अंडकोष में दर्द, सूजन या गांठ जैसी समस्या महसूस होती है, तो उसे डॉक्टर के पास जाकर जांच जरूर करानी चाहिए। अगर ये लक्षण 2 सप्ताह या इससे ज्यादा समय से हैं, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है।
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कैसे कर सकते हैं टेस्टिकुलर कैंसर की जांच?
टेस्टिकुलर कैंसर की पहली जांच को आप स्वयं अपने हाथों से कर सकते हैं। अपने दोनों अंककोषको हाथों से छूकर और दबाकर देखें। अगर आपको कोई गांठ या अंडों के अतिरिक्त कोई हिस्सा महसूस होता है, साथ ही ऊपर बताए गए लक्षण महसूस होते हैं, तो डॉक्टर के पास जाएं। डॉक्टर्स अल्ट्रासाउंड के द्वारा इस बीमारी की पहचान करते हैं। इसके अलावा ब्लड टेस्ट के द्वारा कुछ विशेष हार्मोन्स की जांच करके भी टेस्टिकुलर कैंसर का पता लगाया जा सकता है। आमतौर पर दवाओं और सर्जरी के द्वारा इस प्रकार के कैंसर का इलाज किया जाता है।
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