बायोप्सी टेस्ट क्या है और कैसे किया जाता है? कैंसर स्पेशलिस्ट से जानें इससे जुड़े भ्रम और उनकी सच्चाई

कैंसर की बीमारी का पता लगाने के लिए अक्सर डॉक्टर बायोप्सी की सलाह देते हैं, एक्सपर्ट के हवाले से टेस्ट से जुड़ी अहम जानकारी के लिए पढ़ें ये आर्टिकल।
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बायोप्सी टेस्ट क्या है और कैसे किया जाता है? कैंसर स्पेशलिस्ट से जानें इससे जुड़े भ्रम और उनकी सच्चाई


कैंसर की बीमारी का पता लगाने के लिए एक्सपर्ट मरीज को बायोप्सी टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। यह सुनते ही कई लोग घबरा जाते हैं, तरह-तरह की बातें सोचने लगते हैं। एक्सपर्ट की सलाह लेने की बजाय रिश्तेदारों और आस पड़ोस के लोगों की राय लेकर उसपर यकीन करते हैं, जो सरासर गलत है। आज के इस आर्टिकल में हम जमशेदपुर के मानगो के डॉक्टर कैंसर स्पेशलिस्ट अमित से जानेंगे बायोप्सी से जुड़े भ्रम और फैक्ट्स, ताकि आम लोग घबराने की बजाय ट्रीटमेंट कराकर बीमारी को मात दे सकें। इस विषय पर ज्यादा जानने के लिए पढ़ें ये आर्टिकल।

बायोप्सी क्या है, कैसे की जाती है जांच की प्रक्रिया

डॉक्टर बताते हैं कि जब मुंह या शरीर के अन्य जगह पर घाव, गांठ हो जाता है तो हम यह कैंसर है या नॉर्मल घाव इसकी जांच कराते हैं। इस जांच प्रक्रिया को हम बायोप्सी कहते हैं। बायोप्सी में घाव के एक बहुत ही छोटे अंश को डॉक्टर काटकर अलग कर लेते हैं। इसके बाद इसके सैंपल की जांच की जाती है। इससे बीमारी का पता चलता है कि कैंसर है या नार्मल घाव है। बायोप्सी से हम कई बीमारी के बारे में हम पता कर सकते हैं। एंडोस्कोपी जांच की प्रक्रिया में कैमरा डाल कर भी शरीर के अंदर की बीमारियों का पता लगा सकते हैं। 

Biopsy Test

बायोप्सी की जांच में दर्द होता है या नहीं जानें

एक्सपर्ट बताते हैं कि बायोप्सी में दर्द इस बात पर निर्भर करता है कि नमुना किस जगह से लिया गया है। इस प्रक्रिया में आपको ज्यादा दर्द नहीं होगा। अगर हल्का दर्द हो रहा है तो डॉक्टर से सलाह लेकर दर्द निवारक दवा खा सकते हैं। इससे दर्द को ठीक किया जा सकता है। बायोप्सी कराने के परिणाम जल्दी मिलते हैं। गंभीर स्थिति होने पर कुछ दिन में इसके लक्षण का पता आपको लगने लगता हैं। इसका अनुमान लगाना मुश्किल होता है कि पहले जांच के बाद दूसरे जांच कितनी जरूरी होती है।

शरीर में कैंसर की बीमारी के लक्षण दिखने पर बायोप्सी की सलाह देते हैं डॉक्टर

बायोप्सी की सलाह तब दी जाती है जब डॉक्टर को मरीज के शरीर में कुछ संदिग्ध दिखाई देती है। उन्हें लगता है इससे कैंसर हो सकता है। बायोप्सी सूजन, संक्रमण, सूजन या कैंसर जैसी बीमारी को निर्धारित करने में मदद करता है। बायोप्सी को लेकर कई मिथक भी हैं। कई बार डॉक्टर बायोप्सी कराने की सलाह देते हैं। लेकिन मरीज बायोप्सी के नाम से डर जाते हैं। उन्हे लगता है बायोप्सी से कैंसर निकल जाएगा या इससे लगने वाले कट से कई तरह की बीमारी हो जाएगी या कैंसर का संक्रमण फैल जाएगा। ऐसा कुछ नहीं होता है। यह तमाम बातें मिथक हैं। बायोप्सी जांच में आज के समय में काफी विकास हुआ है। इसे सर्जन या रेडियोलॉजिस्ट करते हैं। यह 90 फीसदी मामले के निदान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

बायोप्सी के भ्रम और तथ्यों पर एक नजह

1. कई मानते हैं कि ये जांच खतरनाक है

डॉक्टर बताते हैं कि बायोप्सी साधारण प्रक्रिया है। वैसे हर ऑपरेशन में थोड़ा जोखिम तो होता ही है। लेकिन बड़े ऑपरेशन के समान इसमें जोखिम नहीं होता है। कई लोग बायोप्सी के नाम से डर जाते हैं। बायोप्सी में बस छोटी सी सर्जरी कर आपके घाव या शरीर के अंदर के घाव का छोटा सा अंश जांच करने के लिए लिया जाता है। इससे नॉर्मल कट लगता है। इससे कटा हुआ घाव एक सप्ताह में ठीक हो जाता है। कई लोगों को लगता है बायोप्सी के कट से संक्रमण फैलता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। बायोप्सी का बेहतर परिणाम मिलता है। इससे कैंसर मरीजों की कैंसर ठीक भी हो सकता है।

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2. बायोप्सी से कैंसर का स्टेज बढ़ता है... है मिथ

डॉक्टर बताते हैं कि इसके कोई सबूत नहीं है कि बायोप्सी कैंसर के स्टेज को बढ़ाती है। बायोप्सी प्रक्रिया करने से पहले मरीज को भरोसा दिलाया जाता है कि इस ट्रीटमेंट से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इससे बीमारी को खतरा कम हो सकता है।

Biopsy

3. कई लोगों को लगता है कि बायोप्सी कराने से कैंसर फैलता है, जानें सच्चाई

एक्सर्ट बताते हैं कि बायोप्सी से कैंसर फैलता है यह सबसे बड़ा मिथक है। कईयों को लगता है कि बायोप्सी में घाव कट करके उसका अंश निकाला जाता है, इससे अगर कैंसर होगा तो वो कोशिकाओं में तेजी से फैल जाएगा और शरीर को नुकसान पहुंचाएगा। लेकिन इसके वैज्ञानिक सबूत नहीं मिले हैं कि बायोप्सी से कैंसर फैलता है।

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4. बायोप्सी में हमेशा अस्पताल में भर्ती होना जरूरी, ऐसा हर केस में नहीं होता

डॉक्टर बताते हैं कि बाहरी अंगों के बायोप्सी करने में ऑपरेशन की जरूरत नहीं होती है। सबसे पहले जिस जगह बायोप्सी की जाती है उस जगह को सुन्न किया जता है। इसमें कुछ देर लगता है। बायोप्सी कराने के बाद आप तुरंत घर जा सकते हैं। इसमें आपको अस्पताल में भर्ती नहीं होना होता है। हालांकि किडनी, लिवर में समस्या होने पर बायोप्सी करने के लिए मरीज को बेहोश किया जाता है। इसमें कभी-कभी एक दिन अस्पताल में रहने की जरूरत पड़ सकती है।

5. गलत भ्रम; बायोप्सी कैंसर के इलाज के लिए जरूरी नहीं

डॉक्टर बताते हैं कि बायोप्सी से कैंसर की सीमा और स्टेज की बारे में जानकारी मिलती है। यह जांच बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक अंग से दूसरे अंग में फैलने वाले कैंसर का भी पता बायोप्सी से किया जा सकता है। बायोप्सी थेरेपी से कैंसर के जीन और प्रोटीन को टारगेट करने वाले दवा का पता लगाती है। इससे ट्य़ूमर कितना खतरनाक है इसका पता चलता है।

हमेशा डॉक्टरी सलाह लें

आर्टिकल में दी गई जानकारी सिर्फ परामर्श के लिए है। अगर आपको बायोप्सी के भ्रम और सच्चाई को जानना है तो एक बार डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। उनके सलाह के बाद ही इन परामर्श को मानें। कई लोगों को डॉक्टर बायोप्सी की सलाह देते हैं लेकिन वो इसके बारे में डॉक्टर से पूछने की बजाय आम लोगों से जानकारी लेते हैं, ये गलत है। जरूरी है कि बीमारी के बारे में डॉक्टर से पूछताछ की जाए। ताकि बीमारी से बचाव किया जा सके। 

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