Tonometry or Eye Pressure Test in Hindi: टोनोमेट्री एक तरह का टेस्ट है जिससे आंखों के अंदर इंट्राओकुलर दबाव (आईओपी) की जांच की जाती है। जिन लोगों को ग्लूकोमा की बीमारी होती है, उनकी आंखों में इंट्राओकुलर दबाव ज्यादा होता है क्योंकि ऐसे लोगों की आंखों के अंदर मौजूद फ्लूड जल्दी खत्म होता है। फ्लूड जल्दी खत्म होने के कारण, आंखों पर दबाव पड़ता है। अगर इस दबाव की जांच न की जाए, तो यह समस्या बढ़कर, ऑप्टिक नर्व और विजन लॉस का कारण बन सकती है। इस जांच का मुख्य काम है ग्लूकोमा का पता लगाना। ग्लूकोमा एक ऐसी बीमारी है जो आपकी आंख की ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचाती है। यह बीमारी ज्यादातर तब होती है जब आंख के सामने वाले हिस्से में तरल पदार्थ जमा हो जाता है। वह अतिरिक्त तरल पदार्थ आपकी आंख में दबाव बढ़ाता है, जिससे ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचता है। अगर आपको आंखों में दर्द है, धुंधला नजर आ रहा है या आंखों में रेडनेस है, तो डॉक्टर आपको टोनोमेट्री टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। इस लेख में जानेंगे टोनोमेट्री टेस्ट की जरूरत कब पड़ती है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने दुर्गा सहाय नर्सिंग होम, यूपी बिजनौर के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ विनीत माथुर से बात की।
किन लोगों को टोनोमेट्री टेस्ट की जरूरत पड़ती है?- When Tonometry or Eye Pressure Test is Required
- जिन लोगों के घर में ग्लूकोमा एक अनुवांशिक बीमारी है, उन्हें इस टेस्ट को करवाने की जरूरत पड़ सकती है।
- अगर आपकी उम्र ज्यादा है, तो भी आपको टोनोमेट्री की समस्या हो सकती है।
- आंखों में चोट लगने के कारण भी यह समस्या हो सकती है।
- हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति में भी यह समस्या हो सकती है।
- डायबिटीज या माइग्रेन के कारण भी टोनोमेट्री टेस्ट की जरूरत पड़ सकती है।
- जिन लोगों की आंखें कमजोर होती हैं, उन्हें टोनोमेट्री की जरूरत पड़ सकती है।
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टोनोमेट्री टेस्ट की नार्मल रेंज क्या है?- Normal Range of Tonometry Test
ग्लूकोमा रिसर्च फाउंडेशन के मुताबिक, नार्मल आई प्रेशर रेंज 12 से 22 mm Hg है। अगर आई प्रेशर 22 से ज्यादा होता है, तो आपको ग्लूकोमा या प्री-ग्लूकोमा की समस्या हो सकती है। वहीं अगर आपका आई प्रेशर 10 या उससे कम है, तो यह सामान्य स्थिति है। हालांकि यह रेंज 6 से कम नहीं होनी चाहिए।
टोनोमेट्री टेस्ट कैसे किया जाता है?- How Tonometry Test is Performed
टोनोमेट्री टेस्ट से पहले डॉक्टर, आंखों में आई ड्रॉप्स डालते हैं जिससे दर्द का एहसास नहीं होता और आंख सुन्न हो जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि आपको आंख में कुछ लगने पर इसका एहसास न हो। इसके बाद डॉक्टर एक पेपर स्ट्रिप को आंख के सर्फेस पर रख देते हैं और उस पेपर स्ट्रिप में ऑरेंज डाई होती है। इसके बाद एक मशीन जिसे टोनोमीटर कहा जाता है उससे आंख की कॉर्निया को छुआ जाता है। टोनोमीटर की मदद से आंख के अंदर का प्रेशर मापा जाता है। टोनोमेट्री टेस्ट की प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन इस जांच को अनुभवी डॉक्टर से ही करवाना चाहिए, क्योंकि अगर टोनोमीटर से जांच के दौरान कार्निया पर ज्यादा प्रेशर दिया गया, तो आंख में स्क्रैच लग सकता है।
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