Diabetic Vs Regular Eye Test Difference: शरीर के साथ-साथ आंखों की सेहत भी जरूरी है। आई टेस्ट के साथ-साथ डायबिटिक आई टेस्ट भी किया जाता है। जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या होती है, उनकी आंखें जल्दी कमजोर होती हैं। ब्लड शुगर लेवल बढ़ने का बुरा असर आंखों पर पड़ता है। डायबिटीज का बुरा असर रेटिना पर होता है और इससे संबंधित बीमारी को डायबिटिक रेटिनोपैथी कहते हैं। आंखों को सेहतमंद रखने के लिए समय-समय पर आई चेकअप जरूरी है। चलिए जानते हैं नॉर्मल आई टेस्ट और डायबिटिक आई टेस्ट में क्या अंतर है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने दुर्गा सहाय नर्सिंग होम, यूपी बिजनौर के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ विनीत माथुर से बात की।
नॉर्मल आई टेस्ट- Regular Eye Test
नॉर्मल आई टेस्ट तब कि या जाता है कि जब आपको आंखों में कोई समस्या हो या चश्मे का नंबर बढ़ गया हो। नॉर्मल आई टेस्ट में आंखों के विजन की जांच की जाती है। विजन के आधार पर चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस लगाने की सलाह दी जाती है।
डायबिटिक आई टेस्ट- Diabetic Eye Test
डायबिटिक आई टेस्ट में सामान्य आई टेस्ट की तरह आंखों का चेकअप किया जाता है। डायबिटिक आई टेस्ट के दौरान आप आंखों में हो रही समस्याओं का जिक्र कर सकते हैं। इसके अलावा ब्लड शुगर लेवल की जानकारी भी देनी होती है। डायबिटिक आई टेस्ट में रेटिना, ऑप्टिक नर्व और ब्लड वैसल्स की जांच की जाती है।
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डायबिटिक और नॉर्मल आई टेस्ट में अंतर- Diabetic Vs Regular Eye Test Difference
डायबिटिक आई टेस्ट वह आई टेस्ट जो डायबिटिक मरीजों के लिए किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्लड शुगर लेवल और आंखों के स्वास्थ्य का गहरा कनेक्शन है। अगर आपको ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल नहीं है, तो आपको रेटिनोपैथी यानी रेटिना की बीमारी का खतरा हो सकता है। वहीं दूसरी ओर नॉर्मल आई टेस्ट में आंख से संंबंधित किसी भी समस्या के लक्षणों को समझकर इलाज किया जाता है। जैसे नॉर्मल आई टेस्ट में दृष्टि परीक्षण होता है, उसी तरह डायबिटिक आई टेस्ट में भी दृष्टि परीक्षण किया जाता है।
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