किडनी में बीमारी के लक्षण नजर आने पर शुरुआती दौर में जांच की जाए, तो आप किडनी के गंभीर रोगों से बच सकते हैं। हालांकि क्रॉनिक किडनी डिजीज में शुरुआती लक्षणों को पकड़ पाना मुश्किल हो सकता है। किडनी की बीमारियों का पता लगाने के लिए आमतौर पर डॉक्टर ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। इसके अलावा भी कई जांच हैं, जिनसे किडनी की समस्याओं और बीमारियों (Tests for Kidney Diseases) का पता लगाया जा सकता है, जिनके बारे में हम आगे जानेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
1. यूरिन टेस्ट- Urine Test
किडनी की बीमारियों का पता लगाने के लिए यूरिन टेस्ट किया जाता है। हालांकि गंभीर बीमारियों का पता लगाने के लिए केवल यूरिन टेस्ट काफी नहीं है। रिपोर्ट गलत आने के कारण बीमारी का पता लगाने में समस्या हो सकती है। किडनी में सूजन का पता लगाने के लिए भी यूरिन टेस्ट किया जाता है। यूरिन जांच के जरिए किडनी की बीमारी का पता जल्दी चल जाता है।
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2. इन्ट्रावीनस यूरोग्राफी- Intravenous Urography
इन्ट्रावीनस यूरोग्राफी की मदद से भी किडनी से जुड़े रोगों के बारे में जानकारी मिलती है। किडनी की कार्यक्षमता की जांच करने के लिए इस जांच को किया जाता है। किडनी में पथरी या गांठ की जांच करने के लिए भी इस टेस्ट को किया जाता है।
3. हीमोग्लोबिन टेस्ट- Haemoglobin Test
एनीमिया को क्रॉनिक किडनी रोग का लक्षण माना जाता है। किडनी से जुड़ी समस्या का पता लगाने के लिए हीमोग्लोबिन टेस्ट किया जाता है। हेल्दी किडनी आरबीसी सेल्स का उत्पादन करने में सक्षम होती हैं।
4. सीरम क्रिएटिनिन टेस्ट- Serum Creatinine Test
किडनी रोग का पता लगाने के लिए सीरम क्रिएटिनिन टेस्ट भी किया जाता है। ये एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है। इसके अलावा डॉक्टर कोलेस्ट्रॉल, इलेक्ट्रोलाइट्स, कैल्शियम और फॉस्फोरस आदि की मात्रा को चेक करने के लिए भी ये टेस्ट कर सकते हैं।
5. किडनी का अल्ट्रासाउंड- Kidney Ultrasound
किडनी में बीमारी का पता लगाने के लिए किडनी की सोनोग्राफी की जाती है। ये एक सुरक्षित जांच है। इस जांच की मदद से किडनी में पथरी, गांठ आदि का पता लगाया जाता है। पेशाब प्रवाह की रुकावट का पता लगाने के लिए भी ये जांच की जाती है।
6. वॉइडिंग सिस्टोयूरेथ्रोग्राम- VCUG Test
किडनी में पेशाब के बैकफ्लो का इलाज करने के लिए वॉइडिंग सिस्टोयूरेथ्रोग्राम जांच की जाती है। इस बीमारी को मेडिकल भाषा में वसाइको यूरेट्रल रिफल्क्स के नाम से जानते हैं। इस जांच की मदद से किडनी के साथ मूत्राशय की जांच में भी मदद मिलती है।
7. रेडियोलॉजिकल जांचें- Radiological Tests
किडनी की बीमारी का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन, रिट्रोग्रेड पाइलोग्राफी, रेडियो न्यूक्लीयर स्टडी, किडनी डॉप्लर आदि जांचें की जाती हैं।
8. किडनी बायोप्सी- Kidney Biopsy
किडनी में बीमारी का पता लगाने के लिए किडनी बायोप्सी भी की जाती है। बायोप्सी की मदद से किडनी के आकार और स्थान की जांच करने में मदद मिलती है। बायोप्सी करने के लिए सुई की मदद से किडनी का सैंपल लेकर माइक्रोस्कोप से उसकी जांच की जाती है।
9. किडनी फंक्शन टेस्ट- Kidney Function Test
किडनी फंक्शन टेस्ट के जरिए किडनी की कार्यक्षमता की जांच की जाती है। कई बार पेशाब में प्रोटीन की मात्रा को चेक करने के लिए भी किडनी फंक्शन टेस्ट किया जाता है। सोडियम, क्लोराइड, यूरिक एसिड का रक्त स्तर भी इस जांच का हिस्सा हो सकता है।
किडनी की बीमारियों का पता लगाने के लिए यूरिन जांच, सीरम क्रिएटिनिन और किडनी का अल्ट्रासाउंड जरूरी जांचें मानी जाती हैं। किडनी की बीमारी का लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
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