Menstrual Hygiene Day 2020: आंकड़े बताते हैं कि भारत में महिलाओं और लड़कियों की संख्या 355 मिलियन से अधिक है, लेकिन इनमें से कईं मैन्सट्रुअल हाइजीन के मामले में असहज और ज़ोर ज़बरदस्ती की भावना का अनुभव करती हैं। अलग-अलग सामाजिक मीडिया प्लेटफार्मों, अभियानों, पर्यावरण-अनुकूल या जैविक मैन्सट्रुअल उत्पादों, आदि की उपलब्धता के माध्यम से इस मुद्दे की ओर ध्यान करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कदम उठाने के बावजूद विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में इस मुद्दे को लेकर अभी भी अस्पष्टता यानि बात साफ नहीं है।
मैन्सट्रुअल हाइजीन डे पर, विशेष रूप से ग्रामीण स्कूलों में जाने वाली लड़कियों के बीच इन पहलुओं पर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। जानकारी होने का विकल्प महिलाओं के प्रजनन और यौन स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह मैन्सट्रुअल हाइजीन के मामले में भी ज़रुरी है, जहां महिलाओं को उपलब्ध उत्पादों के बारे में जानकारी उपलब्ध है, उनके फायदे, उनका उपयोग, उनका निपटारा कैसे करें, अपनी जरूरतों को देखते हुए उत्पाद चुनने की आजादी और सामाजिक-आर्थिक स्थिति जिसमें वे रहती हैं ।
इस बारे में बात करते हुए डॉ. हृषिकेश पई, पूर्व महासचिव FOGSI (स्त्री रोग विशेषज्ञ और आईवीएफ विशेषज्ञ) ने कहा "पीरियड्स की बात युवा लड़कियों में यौन शिक्षा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है। इसका सही उम्र और समय पर ज्ञान मिल जाना चाहिए। उन्हें इस बात के बारे में जानकारी देना ज़रुरी है कि मैन्सट्रुअल हाइजीन पर कम ध्यान देने से कई तरह का इंफेक्शन और यहां तक कि सर्वाइकल कैंसर भी हो सकता हैं। इस ज़रुरी समय के दौरान न केवल लड़कियों, बल्कि उनकी माताओं और परिवार के बीच भी जागरूकता की ज़रुरत है ताकि पता चले कि सहयोग और समझ कितनी महत्वपूर्ण है।"
डॉक्टर हृषिकेश कहते हैं, बच्चे के जन्म के बाद पीरियड्स की कमी मूत्र पथ इंफेक्शन (यूटीआई) और प्रजनन पथ इंफेक्शन (आरटीआई) जैसे मुद्दों के कारण मां के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। स्वच्छता के तरीकों को इस्तेमाल करने और कचरे के उचित निपटान के बारे में जागरूकता बहुत जरूरी है।
रेडक्लिफ लाइफसाइंसेस की बाल रोग विशेषज्ञ और क्लिनिकल जेनेटिकिस्ट डॉ. सारा बेलूर ने आगे कहा, "पीरियड्स, प्रसव में और प्रसव के बाद के समय के दौरान हाइजीनिक आदतों के बारे में महिलाओं के अंदर जागरूकता पैदा करना बहुत ज़रुरी है। अस्वच्छ आदतों से नई माताओं में इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है जो उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करता हैं। इस प्रकार, उचित सैनिटरी उत्पादों का उपयोग करने के अलावा, यह ध्यान रखना भी ज़रुरी है कि महिलाएं अन्य चीजों के अलावा अपने अंदरुनी क्षेत्र को अच्छी तरह से धो लें और जब आवश्यक हो, पैड बदलें।"
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डॉ. सारा कहती हैं, एक समाज के रूप में, पीरियड्स या मैन्सट्रुएशन को कलंक की तरह देखना बंद किया जाना चाहिए। यह समझना ज़रुरी है कि यह शर्मनाक या अशुद्ध जैसा कुछ भी नहीं है और यह महिलाओं को स्वच्छता और अच्छे मैन्सट्रुअल हाइजीन की पहुंच का अधिकार देता है। ज्ञान और सहयोग महत्वपूर्ण है क्योंकि मैनस्ट्रुएशन से जुड़े हुए मिथकों और बाधाओं को दूर किया जा रहा है, लोग इसके बारे में बिना किसी शर्म के बात कर रहे हैं।
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