2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एक शोध सामने आया था, जिसमें पता चला था कि अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले 60% मरीज आंत संबंधित परेशानियों से जूझ रहे हैं। इन सभी समस्या की वजह केवल आंतों की सेहत और कार्यप्रणाली का सही रूप से कार्य ना करना है। हम आपको बता रहे हैं ऐसी तीन बीमारियों के बारे में, जो पाचन तंत्र के दुरुस्त न होने पर हो सकती हैं। साथ ही हम आपको उनके बचाव का तरीका भी बता रहे हैं। पढ़ते हैं आगे...
पाचन तंत्र के बिगड़ने पर होने वाली बीमारियां
आज की लाइफस्टाइल और खानपान की गलत आदतों के कारण आंतों की सेहत बिगड़ने लगती है। ऐसे में निम्न समस्याएं हो सकती हैं-
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की समस्या
बता दें कि खानपान की अनियमितता के कारण आंतों में एसिड का सिक्रीशन तेज गति से होने लगता है। इस समस्या की वजह ज्यादा खा लेना या काफी समय तक कुछ ना खाना, ज्यादा तेल मसाले, मैदे से बनी चीजें आदि होती हैं। इस समस्या के कारण उल्टी आना, पेट में दर्द होना, सीने में जलन होना, नॉज़िया जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
पेप्टिक अल्सर की समस्या
जब छोटी आंत के शुरुआती हिस्से की भीतरी परत पर छाले आ वे ज़ख्मी हो जाती है तो पेप्टिक अल्सर या गैस्ट्रिक अल्सर की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह समस्या गलत खानपान की वजह से, अधिक सिगरेट या अल्कोहल का सेवन करने से, हर वक्त तनाव में रहने से होती है। इसके लक्षणों में पेट फूलना, पेट के ऊपरी हिस्से में तेज दर्द होना, चाय कॉफी पीने पर तकलीफ बढ़ना, बार बार डकार आना आदि आते हैं।
इसे भी पढ़ें-क्यों कहा जा रहा है कि सर्दियों में बढ़ जाएगा कोरोना वायरस का खतरा? ठंडे मौसम में कोविड-19 से बचाव के उपाय
आईबीएस
इस समस्या से ज्यादातर लोग परेशान रहते हैं इनके लक्षण की बात की जाए तो अचानक से टॉयलेट जाने की जरूरत पड़ जाती है या पेट में दर्द आदि इसके प्रमुख लक्षण है। बता दें कि इससे पीड़ित लोग लंबी यात्राओं पर या किसी पारिवारिक समारोह पर जाने से डरते हैं। वे ज्यादातर अकेलापन महसूस करते हैं। अगर इस बीमारी को लेकर डॉक्टर से सलाह समय पर न ली जाए तो व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार भी हो जाता है। बता दें कि ये समस्या आंतों की अति संवेदनशीलता के कारण होती है। आंत का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हमारे दिमाग से जुड़ा होता है। जिससे एंटरिक नर्वस सिस्टम कहते हैं। इसी के माध्यम से व्यक्ति की आंते दिमाग के दिए निर्देश अनुसार काम करती हैं। लेकिन कई बार इनका दिमाग से सही ताल में ना बैठ पाने के कारण यह समस्या हो जाती है। ऐसे में डाइजेस्टिव एंजाइम का प्रभाव तेजी से हो जाता है और लूज मोशन और कब्ज की समस्या हो जाती है। बच्चों की आंतों में भी इंटेस्टाइनल वर्म की समस्या सफाई की कमी से हो जाती है।
इसे भी पढ़ें- क्या आपके नाखूनों का कलर भी है लाल, पीला या काला? जानें एक्सपर्ट से इनके बदलते रंगों का कारण
इनके बचाव-
- तली भुनी चीजें, अधिक मिर्च मसाले, मैदा और घी तेल का सेवन कम करें।
- सफाई को ध्यान में रखते हुए खाना बनाएं। साथ ही अपनी रसोई में कंपनी का वाटर प्यूरीफायर लगवाएं और उसकी रोज सफाई करें।
- खाने से पहले हाथ जरूर धोएं।
- सब्जियों की बात करें तो बंदगोभी, फूलगोभी और पत्तेदार सब्जियां अच्छी तरह से धोने के बाद ही बनाएं क्योंकि इनके अंदर अक्सर कीड़े होते हैं जो सेहत के लिए नुकसानदेह होते हैं।
(ये लेख मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, वैशाली के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डॉक्टर पी.कर से बातचीत पर आधारित है।)
Read More Articles on Other Diseases in Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version