महिलाओं में गर्भावस्‍था में गंभीर मॉर्निंग सिकनेस बन सकती है डिप्रेशन का कारण: शोध

हाल में हुए शोध से पता चलता है कि गर्भावस्‍था में गंभीर मॉर्निंग सिकनेस हाइपरमेसिस ग्रेविडरम, उनमें डिप्रेशन का कारण बन सकता है। 
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महिलाओं में गर्भावस्‍था में गंभीर मॉर्निंग सिकनेस बन सकती है डिप्रेशन का कारण: शोध


गर्भावस्‍था में मॉर्निंग सिकनेस होना एक आम समस्‍या है, लेकिन कुछ महिलाओं में गर्भावस्‍था गंभीर रूप से मॉर्निंग सिकनेस या‍नि उल्‍टी और मतली महसूस होती है। जिसे कि हाइपरमेसिस ग्रेविडरम के रूप में जाना जाता है। यह सामान्‍य मॉर्निंग सिकनेस की तुलना में अधिक गंभीर है। वैसे तो, यह समस्‍या आम है लेकिन हाल में हुआ एक शोध कहता है कि गंभीर मॉर्निंग सिकनेस महिलाओं में डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्‍याओं का कारण बन सकती है। 

Morning Sickness

मॉर्निंग सिकनेस और डिप्रेशन 

इस नए अध्‍ययन में पाया गया है कि गंभीर मॉर्निंग सिकनेस की स्थिति महिलाओं के मनोवैज्ञानिक से जुड़ी है। इंपीरियल कॉलेज लंदन और इंपीरियल कॉलेज हेल्थकेयर एनएचएस ट्रस्ट द्वारा किए गए अध्‍ययन में पाया गया है कि एचजी यानि हाइपरमेसिस ग्रेविडरम के साथ लगभग ज्‍यादातर महिलाओं में गर्भावस्‍था के दौरान डिप्रेशन यानि प्रसवपूर्व अवसाद का सामना करना पड़ा है। जबकि इसमें लगभग 30 प्रतिशत महिलाओं को प्रसवोत्तर अवसाद से गुजरना पड़ा। गर्भावस्‍था में नकारात्‍मक सोच या नींद न आना और बेचैनी डिप्रेशन के शुरूआती संंकेत हो सकते हैं।  

इसलिए कहा जा सकता है कि गर्भावस्‍था के दौरान गंभीर मॉर्निंग सिकनेस महिलाओं में डिप्रेशन के खतरे को बढ़ा सकती है। इसके विपरीत, जो महिलाएं गर्भावस्‍था में कम या बिलकुल भी मॉर्निंग सिकनेस नहीं महसूस करती थी, उनमें  6 प्रतिशत ने गर्भावस्‍था के दौरान और केवल 7 प्रतिशत ने प्रसव के बाद केवल डिप्रेशन का सामना किया। 

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कैसे किया गया अध्‍ययन? 

इस अध्‍ययन में महिलाओं को गर्भावस्था के पहले त्रैमासिक और जन्म के छह सप्ताह बाद उनकी मनोवैज्ञानिक स्‍वास्‍थ्‍य का मूल्यांकन किया गया था। जिसमें पाया गया कि हाइपरमेसिस ग्रेविडरम या गंभीर रूप से मॉर्निंग सिकनेस महसूस करने वाली महिलाओं में से 49 प्रतिशत ने गर्भावस्था के दौरान डिप्रेशन का अनुभव किया, जबकि नियंत्रण समूह में केवल छह प्रतिशत शामिल थी।

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Depression During Pregnancy

हालांकि, अध्ययन ने एचजी और मातृ-शिशु संबंध के बीच किसी भी संबंध की खोज नहीं की, अन्य शोधों से पता चला है कि डिप्रेशन इस बंधन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यानि कि गर्भावस्‍था के दौरान या प्रसव के बाद डिप्रेशन होने वाले बच्‍चे पर भी असर डाल सकता है। 

डॉ. मिशेल-जोन्स का कहना है कि इस अध्‍ययन के निष्कर्ष एचजी की समझ में सुधार कर सकते हैं और नैदानिक दिशानिर्देश बदल सकते हैं। ताकि इस स्थिति के साथ महिलाओं का इलाज किया जा सके, जिसमें कि उनकी मनोवैज्ञानिक स्क्रीनिंग और उन्‍हें मेंटल हेल्‍थ एक्‍सपर्ट के लिए रेफरल शामिल है।

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